भाजपा आपातकाल को काला दिवस के रूप में मनाएगी  : शिव वर्मा

भाजपा आपातकाल को काला दिवस के रूप में मनाएगी  : शिव वर्मा

 

राजनंदगांव :  नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष शिव वर्मा ने कांग्रेस के आपातकाल को लेकर तीरवी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा 25 जून को आपातकाल को काला दिवस के रूप में मनाएगी।श्री वर्मा ने आगे कहा कि "आपातकाल। एक ऐसा दौर, जब शासन का अहंकार जनमानस पर कहर बनकर टूटा। उन यातनाओं के बारे में सोचकर आज भी सिहरन होती है। 21 महीने के उस कालखंड में निरंकुश शासन ने प्रत्यक्ष रूप से जो किया, उसे न तो भूला जा सकता है और न ही भूलना चाहिए। उस दौर का झरोखा खोलने वाले कुछ प्रश्न, कुछ स्मृतियों के सूत्र भी हैं। क्या आप न्यायमूर्ति ए.एन. रे के बारे में जानते हैं? न्यायमूर्ति बेग के बारे में जानते हैं? अडनीर ट्रस्ट मामला क्या था? 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण कैसे किया गया? या देशी राजाओं के प्रिवी पर्स कैसे खत्म किए गए? या यह कि ये सब सूत्र घटनाक्रम के रूप में आपस में कैसे जुड़े थे।"  "पहले आपातकाल की बात। आपातकाल भले ही 25 जून, 1975 को लगाया गया था, लेकिन इसकी तैयारी पहले से थी। इसके पीछे कारण था पारिवारिक राजनीति, जो दंभ पैदा करती है, क्योंकि इंदिरा गांधी ने अपने पिता जवाहर लाल नेहरू को शासन करते हुए देखा था और उन्हें लगता था कि शासन ऐसे ही किया जाता है। वह दंभ, प्रतिबद्ध तंत्र और तानाशाही की प्रवृत्ति, इन तीनों ने आपातकाल की नींव रखी थी।" "11 जनवरी, 1966 को लालबहादुर शास्त्री के निधन के एक सप्ताह बाद वे प्रधानमंत्री बनीं। 1967 में गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आया, जिसमें कहा गया कि संसद कोई भी मौलिक अधिकार छीन या उसमें कटौती नहीं कर सकती। नीति निर्देशक सिद्धांतों के कार्यान्वयन के लिए मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं किया जा सकता। दरअसल, पंजाब के जालंधर में हेनरी और विलियम गोलकनाथ परिवार के पास 500 एकड़ से अधिक कृषि भूमि थी, जिसे ‘अतिरिक्त’ बताते हुए पंजाब सुरक्षा और भूमि काश्तकारी अधिनियम-1953 के तहत सरकार ने छीन लिया था।" "इंदिरा गांधी को सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय खटक रहा था। इसलिए जब दूसरी बार वे सत्ता में आईं, तो उन्होंने 24वां और 25वां संविधान संशोधन कर उस पर प्रतिक्रिया दी। 24वें संविधान संशोधन में उन्होंंने यह व्यवस्था की कि संसद के पास संविधान संशोधन अधिनियमों को लागू कर किसी भी मौलिक अधिकार को कम करने या छीनने की शक्ति है। इसी तरह, 25वें संशोधन में उन्होंने संविधान में एक नया अनुच्छेद 31सी जोड़ा, जिससे लोगों के लिए संपत्ति की खरीद को नियंत्रित करने वाले कानूनों को चुनौती देना असंभव हो गया। साथ ही, ‘मुआवजा’ शब्द की ‘पर्याप्त मुआवजा’ के रूप में न्यायिक व्याख्या को देखते हुए उसे ‘रकम’ कर दिया।"

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