आषाढ़ मास की अमावस्या का महत्व धार्मिक रूप से बहुत खास माना गया है. आषाढ़ अमावस्या इस बार 5 जुलाई शुक्रवार को सुबह 4 बजकर 57 मिनट से लेकर अगले दिन 6 जुलाई को सुबह 4 बजकर 26 मिनट तक रहेगी. इसलिए उदया तिथि के आधार पर आषाढ़ अमावस्या का व्रत 5 जुलाई शुक्रवार को रखा जाएगा.
मान्यताओं के अनुसार इस दिन स्नान दान और पूजापाठ करने का खास महत्व होता है. कहते हैं कि हर महीने की अमावस्या को पितर धरती पर अपने परिजनों को देखने आते हैं. यदि इस दिन उनके नाम से दान पुण्य के कार्य किए जाएं तो आपको बहुत ही शुभ फल की प्राप्ति होती है. पितर अमावस्या की तरह ही आषाढ़ अमावस्या का महत्व शास्त्रों में बहुत खास माना गया है.
आषाढ़ अमावस्या पर करे ये उपाय
इस अमावस्या पर पितरों के निमित्त भगवान शिव और शनि देव का विशेष पूजन करके उन्हें प्रसन्न करें और अपनी समस्याओं के निवारण के लिए प्रार्थना करें.
इस दिन पितृगणों की शांति के लिए उपवास रखें और असहाय या गरीबों भोजन, दान-दक्षिणा दें. इस दिन सायंकाल के समय पीपल वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीया जलाएं और अपने पितरों का स्मरण करके 7 परिक्रमा करके उनसे क्षमा मांगें और अपनी मनोकामना कहें.
आषाढ़ी अमावस्या के दिन घर पर खीर-पूरी, भजिए, गुलगुले आदि बनाकर उसका पितरों के निमित्त भोग लगाएं. और कंडे/ उपले जलाकर गुड़-घी की धूप दें और उनकी आत्मा की मुक्ति के लिए प्रार्थना करें.
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