प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है। प्रत्येक महीने में दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है। पहलाकृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। बता दें कि प्रदोष व्रत सप्ताह के जिस दिन पड़ता उसका नाम उसी दिन के हिसाब से रखा जाता है। जैसे सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष के नाम से जाना जाता है। इस बार आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत बुधवार को रखा जाएगा इसलिए इसे बुध प्रदोष के नाम से जाना जाएगा। अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत का महत्व भी अलग-अलग होता है।
प्रदोष व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 3 जुलाई को सुबह 5 बजकर 2 मिनट से होगा और इसका समापन 4 जुलाई को सुबह 4 बजकर 45 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, प्रदोष व्रत 3 जुलाई को रखा जाएगा।
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत करने से देवों के देव महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही इस व्रत को करने से सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है। पुराणों में बताया गया है कि त्रयोदशी की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है उसके समस्त समस्याओं का हल निकलता है।
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