रायपुर : देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में जरूरी बदलाव के मद्देनजर एक जुलाई से तीन नए कानून लागू हो गए हैं. तीन कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) हैं. इसे कानून ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (IPC), इंडियन एविडेंस एक्ट और दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की जगह लागू किया गया है. बता दें कि तीनों नए कानूनों को पिछले साल मानसून सत्र में लाया गया था और 21 सितंबर को संसद से इसे मंजूरी मिली. इसके बाद 25 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस पर मुहर लगा दिया था. नए और पुराने कानून को लेकर छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड आईपीएस अफसरों का कहना है कि अब पुलिस इंवेस्टिगेशन में तेजी आएगी. पीड़ितों को जल्द न्याय मिलेगा. अब घर बैठे भी लोग ई-एफआईआर दर्ज करा सकेंगे.
क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को मिलेगा फायदा : रिटायर्ड IPS गिरधारी नायक
नए कानून को लेकर रिटायर्ड आईपीएस गिरधारी नायक ने कहा, समय के हिसाब से कानून का परिवर्तन होना चाहिए. परिवर्तनशील समाज के हिसाब से कानून में बदलाव होना चाहिए. सारे क्राइम के प्रावधान हैं. क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को बेनिफिट होगा, वो है इंवेस्टिगेशन की प्रक्रिया. कुछ दंड में बढ़ाना-घटाना हुआ है. इंवेस्टिगेशन में देरी को खत्म करने का प्रावधान है. अब किसी भी मामले में इंवेस्टिगेशन तेजी से होगा. साक्षी और फरियादी का बयान रिकॉर्डिंग होगा, अब कोई अपने बयान से अब नहीं मुकर पाएंगे.
पुलिस इंवेस्टिगेशन में आएगी तेजी : एसपी अभिषेक पल्लव
कबीरधाम एसपी आईपीएस अभिषेक पल्लव ने कहा, पुलिस की ताकतों में वृद्धि हुई है. पारदर्शिता भी बढ़ेगी. अब साक्षी और फरियादियों के बयान का रिकॉर्डिंग होगा, जिससे पुलिस इंवेस्टिगेशन में तेजी आएगी. केस का डिशिजन भी अब फास्ट होगा. जीरो एफआईआर की संख्या बढ़ेगी और एक सिस्टम भी बनेगा. राज्य के अंदर आसानी से जीरो एफआईआर हो जाएगा, दूसरे राज्यों के लिए थोड़ी दिक्कत आएगी.
पीड़ितों के पक्ष में है नया कानून : रिटायर्ड आईपीएस राजीव माथुर
सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी हैदराबाद के पूर्व डायरेक्टर रिटायर्ड आईपीएस राजीव माथुर ने कहा, आम नागरिक के हिसाब से देखे तो नए कानून बहुत ही खुशी का पैगाम लेकर आया है. पहले वाला कानून क्रिमिनल के हक में था अब नए वाला कानून पीड़ित यानि आम नागरिक के पक्ष में है. नए कानून में आम नागरिकों को फायदा मिलेगा. अब तारीख पे तारीख का मुहावरा खत्म हो जाएगा. अब घर बैठे एफआईआर भी दर्ज करा सकते हैं. किसी भी मामले की कार्रवाई में अब तेजी आएगी. अब किसी भी केस में मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों में डॉक्टरों को देना होगा.
अब घर बैठे करा सकेंगे ई-एफआईआर : रिटायर्ड आईपीएस आरके विज
रिटायर्ड आईपीएस आरके विज ने बताया, आईपीसी में कुछ नए अपराध शामिल किए गए हैं, जो पहले कहीं न कहीं कुछ रूप में थे. आर्गेनाइज क्राइम पहले लागू नहीं था, कुछ राज्यों में था. ये नया अपराध है पुलिस के लिए. अपराध की परिभाषाओं और पुलिस की कार्रवाई में अंतर है. जीरो एफआईआर पर अब कोई मना नहीं कर सकता. घर बैठे अब ई-एफआईआर करा सकेंगे. रिमांड में कुछ अवधि बढ़ाई गई है. ऑडियो-वीडियो में साक्षी और फरियादियों के बयान रिकॉर्ड होने पर पुलिस की विवेचना में तेजी आएगी.
जानिए क्या-क्या हुआ बदलाव
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