राजनांदगांव : 21वीं सदी की सर्वाधिक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 देश-प्रदेश में लागू होने के महत्तम परिप्रेक्ष्य में नगर के शिक्षा, विचार प्रज्ञ व्यक्तित्व डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने समसामयिक विचार-विमर्श चिंतन टीप में बताया कि प्रमुख रूप से विद्यार्थी केन्द्रित, व्यवहारिक, विशुद्ध रचनात्मक क्षमता विकसित करने वाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 समग्र रूप में छात्र हितकारी-सर्वकल्याणकारी नीति है। छात्रों, प्राध्यापकों एवं शिक्षा संस्थानों की क्षमता में समृद्धि एवं बुनियादी सुधार-बदलाव के साथ सभी के लिए समता आधारित और समावेशी उत्कृष्ट शिक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करने वाली यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति संपूर्ण देश-धरती में संवहनीय विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ छात्रों को प्राचीन, अतीव गौरवशाली भारतीय ज्ञान, कला-कौशल, संस्कृति एवं जीवन मूल्यों से जोडऩे वाली है। उल्लेखनीय रूप से इस नीति की दृष्टि अत्यधिक व्यापक और दीर्घकालीक है तथा इस शिक्षा नीति का मूल दृष्टिकोण वैश्विक है तथा स्थानीय भी है। जिसका लक्ष्य शिक्षा-ज्ञान-संस्कृति को सुदृढ़ करना है। इसमें एक साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था है तो दूसरी तरफ पर्र्याप्त शैक्षिक सुधारों को प्रमुखता से लागू करने का प्रक्रम भी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से देश की सभी भाषाओं को संरक्षण-संवर्धन के लिए भी अनिवार्य व्यवस्था की गई है।
आगे डॉ. द्विवेदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 की विशिष्टताओं पर सार संक्षिप्त विमर्श में बताया कि उसके द्वारा प्रत्येक छात्र की विशेष क्षमताओं को पहचानकर उन्हें मान्यता देते हुए सतत रूप से प्रोत्साहित करना है। कला, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, मानविकी तथा खेलों के साथ बहुविषयक शिक्षा देकर मुख्य विषय में पूर्ण समझ विकसित करना है। ताकि प्रत्येक विद्यार्थी तार्किक निर्णय लेने की क्षमता विकसित कर नवोन्वेश को बढ़ावा दे सके और जीवनचर्या में नैतिकता, मानवीय और संवैधानिक मूल्यों को भी सहजता से अपना सके।
मुख्य रूप से इस राष्ट्रीय नीति में शिक्षा और ज्ञानार्जन में प्रोद्योगिकी के विस्तृत उपयोग के साथ क्षेत्रीय विविधता और स्थानीय संदर्भो का सम्मान करते हुए शिक्षा को एक लोक सेवा का प्रादर्श रूप दिया गया है। जो समसामयिक परिस्थितियों में युवाओ ंके लिए लाभकारी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति अंतर्गत प्रवेशित प्रत्येक छात्र निर्धारित अवधि में एवं मानक न्यूनतम अंक अर्जित करने पर उसे सर्वमान्य-प्रमाण पत्र, डिप्लोमा और उपाधि एवं सम्मान उपाधि प्राप्त होंगी तथा आत्म कला कौशल को भी विकसित कर व्यवहारित रूप से आत्म निर्भर होकर व्यक्तित्व का पूर्ण विकास कर सकेगा। अत: सर्वहितकारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को युवा-किशोर वर्ग सहजता-सरलता से आत्मसात कर श्रेष्ठ, सार्थक अर्थो में अपने व्यक्तित्व - कृतित्व को समृद्ध करें।
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