छुरिया/राजनांदगांव:- सोचने समझने चिंतन करने सहानुभूति प्रेम स्नेह दया करुणा अपनेपन के भाव सिर्फ इंसान के पास ही होता है। लेकिन नम्रता ने होकर कठोर बन जाते हैं। हृदय को पत्थर कर लेते हैं ,नफरत में रहते हैं , साजिशें करते हैं, क्रोध करते हैं, धिक्कार है ऐसी जिंदगी। एक दुसरे के लिए जीना और काम आना जीवन का सार है। राजनीति जन सेवा और जन उपकार है। इसे गलत कार्य व्यवहार से बर्बाद न करें जो अवसर मिला है जितने दिन के लिए सांसें उधार है हर पल में उम्मीद , उमंग भरकर जिएं इसी में सबकी भलाई है। षड़यंत्र जो करते हैं वे एक दिन उसमें उलझकर नष्ट हो जाते हैं।
किसी के लिए भी भूलकर गलत न सोचें मन में हमेशा मंगल कामना रखें शुद्ध मन में सकारात्मक विचार आते हैं जो नई दिशा देते हैं। कर्म की गति भी तेज होती है। अच्छे कर्म से दिलों में जगह बनाने में सफल होते हैं एक आत्म संतुष्टि होती है। भले ही कम मिले पर अपने व्यवहार से किसी के जीवन में कड़वाहट मत घोलिए। अच्छे कर्म करने के लिए आए लेकिन कमज़ोर व्यक्तियों को दबाने और बुराई में लिप्त हो जाएं तो जीवन व्यर्थ हो जाता है। जिंदगी में चालाकियां कितनी भी कर लो लेकिन तुम्हें मिलेगा तो तुम्हारी नियत के हिसाब से ही। सबकी अपनी-अपनी जिंदगी और अपनी-अपनी कहानी है , किसी के होंठों पर मुस्कान है तो किसी की आंखों में पानी है। कोई अजर अमर होकर नहीं आए एक दिन काया कढेशजोर होती ही है। चाहे कितनी ही दौलत हो, संपर्क हो, रिश्ते नाते हो छोड़ना ही पड़ता है। कर्मों का ही लेखा जोखा होता है जैसा करेंगे वैसा ही फल मिलता है।
Comments