नित नए आंकड़े से सिनियर दैनिक वेतन भोगी नियमितीकरण के लाभ से होंगे वंचित :हारुन मानिकपुरी          

नित नए आंकड़े से सिनियर दैनिक वेतन भोगी नियमितीकरण के लाभ से होंगे वंचित :हारुन मानिकपुरी          

     राजनांदगांव:  छत्तीसगढ़ में अनियमित कर्मचारियों एवं दैनिक वेतन भोगियों के प्रदेशभर में लगभग 80 संगठन है और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों के मुताबिक इनकी संख्या 726847 बताए जाते हैं। वहीं सरकार के आंकड़े इसके भारी उलट है। सरकार दैनिक वेतन भोगियों एवं अनियमित कर्मचारियों की संख्या अधिकतम पचास हजार के आसपास मानती है। अब सवाल यह उठता है कि जब प्रदेश भर के 80 संगठन के 726847 दैनिक वेतन भोगी धरना प्रदर्शन या रैली करते हैं तो इनकी संख्या नहीं के बराबर होता है। एक दिवसीय रैली हुए तो अधिक से अधिक तीन हजार दैनिक वेतन भोगी शामिल होते हैं और अनिश्चितकालीन हड़ताल हुए तो हजार पंद्रह सौ अब सरकार दैनिक वेतन भोगियों को नियमितीकरण करें तो कैसे करें। अगर दैनिक वेतन भोगी एवं अनियमित कर्मचारी संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम अनिश्चितकालीन हड़ताल और रैली आखिर क्यों पूरा भीड़ नहीं रहती इससे से साफ है कि बताए जा रहे आंकड़े सही नहीं है।

इसलिए सरकार सरकारी आंकड़े अनुसार नियमितीकरण करें तो लगभग पचास हजार दैनिक वेतन भोगियों को लाभ मिलेगा किन्तु अनियमित कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी विरोध करेंगे कि हमारी संख्या 726847 है उनमें से मात्र पचास हजार दैनिक वेतन भोगियों को नियमितीकरण किया जा रहा है जो संगठन को स्वीकार नहीं करके बखेड़ा खड़ा करेंगे। कुल मिलाकर संगठन और सरकार बीच खिंचा तानी बढ़ेगी और सिनियर दैनिक वेतन भोगियों को नियमितीकरण के लाभ से वंचित होना पड़ सकता है। ऐसे में कई के पदाधिकारी सरकार को कोसती रहेगी और संगठन के भरोसे रोटी सेंकते रहेंगे। वरिष्ठ दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हारुन मानिकपुरी ने सरकार को आगाह करते हुए कहा है कि प्रदेशभर के लगभग 80 संगठन के पदाधिकारियों द्वारा बताए जा रहे गलत आंकड़े के चक्कर में वर्षों से विभिन्न विभागों में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारीयों को वरियता सूची एवं सरकारी आंकड़े के अनुसार नियमितीकरण का लाभ दिलाएं और फर्जी आंकड़े से सरकार को गुमराह कर सिनियर दैनिक वेतन भोगी जो उम्र दराज के कगार पर है उनके भविष्य खराब होने को है उन्हें वाजिब हक दें नियमितीकरण करें। बहुत से संगठन चाहते हैं कि नियमितीकरण मत हो संगठन चलता रहे और सरकार को कोसते रहते हैं। और प्रदेश के भोले-भाले श्रमिक, मजदूर, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी, अनियमित कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों के लोकलुभावन झांसे में आकर अपना धन और समय गंवाते हैं।






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