डोंगरगढ़ : गुरू पूर्णिमा के साथ ही भगवान शिव को समर्पित सावन महीना 22 जुलाई से प्रारंभ हो गया है। जिसको लेकर महादेव के भक्तों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है। लगभग डेढ़ महीने चलने वाले इस पर्व के लिए भक्तों ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है और धर्मनगरी के शिव मंदिरों में हर-हर महादेव के साथ ही शिव की आराधना का सिलसिला शुरू हो गया है। सावन महीने के आज पहले सोमवार को भगवान शिव के भक्त अपनी मनोकामना लिए शिव मंदिर में हाजिरी लगाएंगे। मेल प्रांगण स्थित शिव मंदिर में मां बमलेश्वरी मंदिर समिति व राजकट्टा पहाड़ पर स्थित जटाशंकर महादेव मंदिर में समिति द्वारा में भक्तों की सुविधा को देखते हुए निःशुल्क बेलपत्र दूध व जल की सुविधा रखी गई है। मान्यता है कि भगवान शंकर की कृपा पाने के लिए यह महीना अति उत्तम होता है। सावन माह को श्रावण मास के नाम से भी जानते हैं, इस महीने भगवान शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन, महीने में देवों के देव महादेव की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों को दुखों से मुक्ति मिलती है और मनोकामना पूरी होती है। शास्त्रों के अनुसार, सावन महीने में व्यक्ति को सात्विक आहार लेना चाहिए। इस माह में प्याज, लहसुन भी नहीं खाना चाहिए। सावन मास में मांस, मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस महीने भगवान शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा के साथ ही इस माह में ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए। सावन के महीने में सोमवार के व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है, अगर संभव हो तो सावन माह में सोमवार का व्रत जरूर करें। सावन सोमवार व्रत के दौरान भगवान शिव जलाभिषेक करें। भगवान शिव की पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री-पुष्प, पंच फल, पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि से पूजा आराधना कर भगवान शिव से मनवांछित फल प्राप्त किया जा सकता है।
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