राजनांदगांव आश्रम में पादुका पूजन कर मनाया गुरुपूर्णिमा पर्व

राजनांदगांव आश्रम में पादुका पूजन कर मनाया गुरुपूर्णिमा पर्व

राजनांदगांव : गुरुपूर्णिमा अर्थात व्यास पूर्णिमा  शिष्यों के लिए अपने गुरु के प्रति आदर, पूजन व पावन स्मृति तथा कृतज्ञता प्रकट करने का दिन होता है । भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान से भी बड़ा माना गया है क्योंकि गुरु ही संसार के भवसागर से पार कराने वाले होते है । 

पूज्य संत श्री आशारामजी बापू के साधको ने इस दिन को खास बनाने के लिए भारी संख्या में मोहारा स्थित संत श्री आशारामजी आश्रम पहुंचे जहां गुरुपूर्णिमा के अवसर पर भव्य आयोजन किया गया । सुबह से आश्रम में भक्तो का तांता लगा रहा । सभी ने अपने गुरु का पूजन, पादुका पूजन व मानस पूजन के साथ गुरु का ध्यान किया । ध्यान कि गहराई में गोता लगाते साधक भाव विभोर हो गए तथा नयन से बहती अश्रुधारा से अपने गुरुदेव का पूजन किया । 

 गुरुवंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। दूर-दूर से आये भक्तों ने गुरु-पादुका पूजन, मानस गुरु-पूजन एवं प्रार्थना की और अपने गुरुदेव के शीघ्र दर्शनप्राप्ति हेतु जप-संकल्प किया तथा कार्यक्रम के अंत में भंडारे का आयोजन किया गया । सत्संग पंडाल सहित पूरा आश्रम भक्तों की भीड़ से भरा रहा । इतना कुप्रचार होने के बावजूद बापू के भक्तो में कोई कमी नहीं आई बल्कि उनको मानने वालो की संख्या में दिनों दिन वृद्धि हो रही है | कार्यक्रम में अपने गुरुदेव को मन-ही-मन याद करते हुए भक्त भाव-विभोर होते नजर आये । 

संयम, सहजता, शांति और माधुर्य देने वाली गुरुपूर्णिमा

संत श्री आशारामजी बापू प्रेरित श्री योग वेदांत सेवा समिति के अध्यक्ष रोहित चंद्राकर व कोषाध्यक्ष टी.के.चंद्राकर ने बताया की पूज्य बापूजी ने अपने भक्तो को गुरुपूर्णिमा पर यही सन्देश देते रहे है की ‘‘लघु जीवन से ऊपर उठो | खाना-पीना, सुखी-दुखी होना यह तो कुत्ता भी जानता है | दुःख आये तो दुःखहारी हरी की शरण जाओ दुखी व्यक्ति का दुःख तब तक ज़िंदा रहता है जब तक वह संसार के सुख से दुःख को दबाना चाहता है अथवा छल-कपट करके सुखी होना चाहता है | जब दुःखहारी भगवान की शरण जाए, ब्रम्ह्वेता संत की आज्ञा के अनुसार सत्संग सुने, सच्चाई से व्यव्हार करे तो उसका दुःख सदा के लिए मिट जाता है |’’ पूज्य बापूजी के इन्ही वचनों को शिरोधार्य करते हुए उनके भक्तजन मानव समाज के कल्याण हेतु अनेको सेवाकार्यो में लगे है ।

श्रद्धालुओं को प्रत्येक वर्ष गुरुपूर्णिमा के अवसर पर बापूजी द्वारा सेवा-साधना का नया पाठ मिलता है, लगातार 11 वर्षों से बापूजी के प्रत्यक्ष दर्शन व सत्संग का सान्निध्य नहीं मिलने से श्रद्धालु व्यथित थे । उन्होंने सरकार व न्यायपालिका से अपील की है कि निर्दोष बापूजी को जल्द-से-जल्द रिहा कर करोड़ों व्यथित हृदयों को सांत्वना प्रदान करें । श्रद्धालुओं ने बापू द्वारा चलाये सेवाकार्य जैसे बाल संस्कार, लोक कल्याण सेतु, तेजस्विनी अभियान, ऋषिप्रसाद, महिला मंडल तथा युवा सेवा संघ की सेवाकार्य में निरंतर लगने के साथ बापूजी द्वारा सिखाये गये परोपकार, संयम, सदाचार, कर्तव्यपालन, संस्कृतिरक्षा, गौ-सेवा, समाज-सेवा के आदर्शों पर और आगे बढ़ने का संकल्प लिया । 

देश-विदेश में फैले बापू के भक्तों ने गुरुपूर्णिमा के निमित्त सोशल मीडिया के माध्यम से भी अपने सदगुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की ।

गुरुपूर्णिमा महोत्सव में डोंगरगढ़, डोंगरगांव, छुरिया, चौकी, मोहला, खैरागढ़, गंडई के समिति के सेवाधारी भाई-बहन तथा जिलें के साधको ने भारी संख्या में उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाया ।









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