राजनंदगांव : नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष शिव वर्मा ने कहा कि त्रिशूल के नाम से कोई भी राजनीति न करें। महापौर की इच्छा शक्ति नहीं थी कि इसे सामान्य सभा में लाया जाए। महापौर स्वयं श्रेय लेने के चक्कर में महापौर परिषद तथा सामान्यसभा मे नहीं लाया गया। और वह स्वयं त्रिशूल कहा लगाना है स्थल का स्वयं कर लिया। जिसका परिणाम है कि त्रिशूल लगाने को लोग राजनीति करना चालू कर दिए। उन्होंने कहा कि अभी वर्तमान में त्रिशूल कहा लगाना है स्थल पूरी तरह चयन नहीं हुआ है। वर्मा ने कहा कि महापौर को निगम एक्ट का ध्यान रखते हुए शासन की गाइडलाइन के आधार पर अपनी निधि का उपयोग करना चाहिए। शासन के मापदंड में पार्षद निधि तथा महापौर निधि के अंतर्गत कौन-कौन से कार्य इस राशि का उपयोग कर सकते हैं शासन के गाइडलाइन में स्पष्ट है। निगम के अधिकारी भी इस बात को ध्यान रखें। त्रिशूल के नाम से भिन्न-भिन्न प्रकार का खर्चा बता रहे हैं उससे निगम के कार्य प्रणाली पर आरोप लगाते रहे हैं चाहे वह टरबाइन मोटर की बात हो जूनो लाइट की बात हो तिरंगा झंडा को लेकर या बूढ़ा सागर हो अब त्रिशूल को लेकर अपनी अपनी राजनीति कर रहे हैं।
श्री वर्मा ने आगे कहा कि राजनांदगांव शहर के नागरिकों से अगर पूछे जाए तो अधिकांश लोग मानव मंदिर चौक पर त्रिशूल लगाने का विरोध करेंगे। महापौर का प्रस्ताव महापौर परिषद से सामान्य सभा में ऐसे ज्वलंत विषय लाया जाता तो सभी जनप्रतिनिधियों से चर्चा उपरांत सर्वसम्मति से एक निश्चित जगह उस सदन में प्रस्ताव पास होता महापौर की जल्दी बाजी ने त्रिशूल लगने का स्थान तय नहीं कर पाया आखिरकार त्रिशूल मां शीतला मंदिर के दरबार में लगना तय हुआ।
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