महिला भूमि अधिकार एवं टिकाऊ आजीविका की तलाश में जुटी आदिवासी महिलाएं

महिला भूमि अधिकार एवं टिकाऊ आजीविका की तलाश में जुटी आदिवासी महिलाएं

परमेश्वर राजपूत,गरियाबंद  :  वर्तमान समाज में महिलाओं की स्थिति आज भी दोयम दर्ज में है, और अगर आज हम आदिवासी समाज की बात करें तो अन्य समाज के बजाय महिला और पुरुषों में समानता दिखाई देती है ।खेती-बाड़ी, (जंगल) बाजार से लेनदेन, समान रूप से करते हैं परंतु सामाजिक  न्याय प्रणाली तथा निर्णय प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी बिल्कुल कम भी दिखाई देती। पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत 50% महिला आरक्षण होने के बावजूद भी गांव में महिलाओं की भूमिका नगण्य दिखाई देती है। इस प्रकार महिलाओं की भूमि अधिकार पर नजर डालें तो हमारे देश की आधी आबादी महिलाओं के नाम पर 2 प्रतिशत जमीन है शेष भूमिहीन है ?जब तक महिलाओं के नाम पर भूमि आवास में संयुक्त नाम नहीं होगा तब तक महिला स्वावलंबी नहीं हो सकती है क्योंकि जीवन के लिए आत्मनिर्भर बहुत जरूरी है हमारे परिवार और समाज हमें अपने पैरों पर खड़े होने की सीख देते हैं आत्मनिर्भरता के लिए कार्य अकेले ही किया जा सकता है और सामूहिक रूप से भी वैसे भी जो कार्यक्रम अकेले नहीं कर पाए उसे मिलकर ही करते हैं। क्षेत्र भ्रमण के लिए आई एकता परिषद महिला मंच की राष्ट्रीय संयोजक एवं एकता परिषद जन संगठन की उपाध्यक्ष सुश्री श्रद्धा कश्यप ने यह कहा कि 22 से 24 जुलाई  2024 को गरियाबंद धमतरी जिला के कमार, भुजिया, गोड़ एवं विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय के महिलाओं को सशक्त एवं स्वालंबन हेतु टिकाऊ विकास की प्रक्रिया में कृषि एवं वानिकी के आधार पर उनके हुनर कला एवं दक्षता को ध्यान में रखते हुए उनके पास उपलब्ध कृषि उपज एवं वनों उपज का सही दाम नहीं मिलने के कारण अभी भी अस्थिरता बनी हुई है।

इन तमाम समस्याओं के निराकरण करने के उद्देश्य महिलाओं को आत्म सम्मान से जीवन जीने के लिए आत्मनिर्भर होना आवश्यक है। आने वाले दिनों में प्रयोग समाज सेवी संस्था के सहयोग से भूमिहीन, विधवा ,पतित्यागता, एकल महिला एवं सीमांत महिला किसानों /मजदूरों को चिन्हित कर आत्म स्वावलंबी योजना के क्रियान्वयन करने हेतु प्रशिक्षण दिया जाएगा ।  जिसमें अलग-अलग योजनाओं के अंतर्गत जोड़ने हेतु गरियाबंद जिले के ग्राम हरदी, दांतबाय, बोईरगांव तथा धमतरी जिला की खड़मा,बूटीगढ़,सोनझरी और गट्टासिल्ली में सघन बैठक कर विस्तृत योजनाओं का निर्धारण किया गया।  इसी क्रम में गरियाबंद जिले के डोंगर पानी में स्थित कमार जनजाति बांस हस्तशील शिल्प कला प्रशिक्षण केंद्र का भ्रमण कर जिम्मेदार अधिकारियों से चर्चा किया तथा प्रशिक्षण की रूपरेखा से अवगत हुए साथ ही वन उपज का सही दाम दिलाने तथा बिचोलियों से बचने हेतु गरियाबंद वन मंडल अधिकारी  लक्ष्मण सिंह  से भी विस्तृत चर्चा की गई। ताकि आदिवासी महिलाओं को उनके मेहनत का सही दाम मिल सके और आत्म स्वावलंबी बन सके।  इस भ्रमण का नेतृत्व एकता परिषद छत्तीसगढ़ की राज्य समन्वय सुश्री नूरानी जैन,जिला समन्वय पूजा जगत, त्रिवेणी ध्रुव तथा श्रीमती लक्ष्मी  नेताम द्वारा किया गया।

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