कन्यादान से बड़ा कोई दान नहीं होता  : कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा

कन्यादान से बड़ा कोई दान नहीं होता : कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा

राजनांदगांव :  अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने आज यहां कहा कि आपको और हमकों मनुष्य जीवन मिला है तो परमार्थ का कार्य करें और मरने से पहले प्रकृति का कर्ज अवश्य चुकायें। इसके साथ ही कन्यादान करें और किसी देवालय या शिवालय में सेवा अवश्य करें। इन चार बातों को धारण करें तो शिव की भक्ति हम प्राप्त कर पायेंगे। राजनांदगांव के गौरवपथ स्थित पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर ऑडिटोयिम में आज श्रावण मास की शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि मानव शरीर हमको मिला है और हमें भगवान शिव की अविराल भक्ति को पाना है तो हमें चार बातों का ध्यान रखना ही होगा। पहला यह कि हम जितने परमार्थ के कार्य कर सकें-करें। किसी की शिक्षा ग्रहण करने में मदद करो, किसी के शादी ब्याह में मदद करो, भूखे को भोजन दो और जितना परमार्थ के कार्य कर सकते हों अवश्य करें। पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि दूसरी बात यह कि आप पृथ्वी पर आये हैं तो अपना कर्ज पूरा चुका कर जाओ। उन्होंने कहा कि भले ही हम सब कर्ज चुका लें किंतु मरने के बाद जो लकड़ी हमारे शरीर को जलाने के लिए लगती हैं न, वो हमारे घर की नहीं होती, हम पर पर्यावरण का कर्ज चढ़ जाता है इस कर्ज को उतारने के लिए हमें कम से कम एक पेड़ तो अवश्य लगाना चाहिए तभी हम प्रकृति का कर्ज उतार पायेंगे। उन्होंने आगे कहा कि तीसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि हम इस पृथ्वी पर आये हैं तो हमें कन्यादान अवश्य करना चाहिए।

कन्यादान से बड़ा कोई दान नहीं होता। पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि चौंथी और महत्वपूर्ण बात यह है कि हम पृथ्वी पर आये हैं तो मरने से पहले हमें किसी शिवालय या देवालय में पहुंचकर थोड़ी देर ही सही, सेवा अवश्य करें। सेवा करेंगे तो उसका फल हमें अवश्य मिलेगा। उन्होंने कहा कि सेवा के धर्म को जितना बढ़ाओगे, उतने ही सुख का अनुभव आपको होगा। आप यदि कहीं कोई सेवा करते हैं तो सेवा के बाद उसे भूल जायें। बार-बार उसे न जतायें। उन्होंने कहा कि सेवा की बात बताकर हम अपनी श्रेष्ठता साबित करना चाहते परंतु यह कोई श्रेष्ठता नहीं है श्रेष्ठता तो तब होती है जब हम किसी को कष्ट न दें। अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पं. मिश्रा ने कहा कि बिना सोचे-विचारे कोई कार्य न करें। आप अच्छा या बुरा कोई भी कार्य कर रहे हैं तो उसके बारे में पहले सोचें फिर दस लोगों से पूछो और तब कहीं जाकर कोई निर्णय लो। सोच विचारकर किया गया कार्य सफलता की ओर ले जाता है।

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