शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ते ही जेल से बाहर आईं चीन समर्थक खालिदा जिया

शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ते ही जेल से बाहर आईं चीन समर्थक खालिदा जिया

बांग्लादेश की गद्दी पर 15 साल से बैठीं शेख हसीना के देश छोड़ते ही उनकी सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी खालिदा जिया को जेल से रिहाई मिल गई है. शेख हसीना के भारत के लिए उडान भरते साथ ही राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने आदेश दिया की जेल में बंद पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को जेल से रिहा कर दिया जाए.  

खालिदा जिया को रिहा करने का फैसला राष्ट्रपति ने विपक्षी पार्टियों के साथ हुई मीटिंग के बाद लिया गया. सूत्रों के मुताबिक इस मीटिंग में 3 सेनाओं के प्रमुखों ने भी हिस्सा लिया था. इस मीटिंग में खालिदा जिया की रिहाई के साथ – साथ उन सभी लोगों की रिहाई को भी मंजूरी दे दी गई जो कि इस आंदोलन के दौरान गिरफ्तार हुए हैं.

78 साल की खालिदा जिया बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी अध्यक्ष हैं उन्हें 2018 में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते 17 साल की सजा सुनाई गई थी. वह फिलहाल हॉस्पिटल में भर्ती हैं.

जिया और हसीना दो “राइवल बेगमें”

खालिदा जिया बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी BNP की अध्यक्ष हैं वह आवामी लीग की शेख हसीना की सबसे कट्टर विरोधी मानी जाती हैं. उन दोनों की राजनैतिक लड़ाई को बांग्लादेश में “बेगमों की लड़ाई” कहा जाता है. शेख हसीना 1996 में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनी थी उसके बाद शेख हसीना और खालिदा जिया एक के बाद एक प्रधानमंत्री बनती रहीं, जिससे इन दोनों की पार्टियों के बीच की कडवाहट ने बांग्लादेश की जनता को भी दो भागों में बांट दिया. आवामी लीग ने खुद को एक लोकतांत्रिक और मॉर्डन पार्टी के रूप आगे बढ़ाया तो वहीं खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी एक कट्टर इस्लामिक विचार धारा वाली पार्टी बनी.

खालिदा जिया और शेख हसीना को राजनैतिक दुश्मनी विरासत में मिली थी. 1975 में शेख मुजीब की हत्या के बाद खालिदा के पति जहूर रहमान ने बांग्लादेश की सत्ता संभाली थी. बाद में जहूर रहमान की भी 1981 में हत्या कर दी गई थी. इसके बाद इन दोनों परिवारों के बीच में एक तरह की दुश्मनी पैदा हो गई, जो समय के साथ राजनैतिक दुश्मनी में बदल गई. अपने भारत में बिताए समय, पिता के रिश्तों और मॉर्डन ख्यालातों के कारण शेख हसीना का रुख भारत को लेकर नर्म रहा तो वहीं उनकी विरोधी खालिदा जिया को चीन समर्थक माना जाता है. वह पाकिस्तान की नीतियों का समर्थन करती रहीं हैं. उनके प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए भारत और बांग्लादेश के संबंध लगातार खराब ही होते रहे हैं.

बांग्लादेश में जारी हिंसा का दौर

पिछले कुछ हफ्तों से बांग्लादेश लगातार हिंसा का दौर देख रहा है. सोमवार को यह इतना भयानक हो गया कि प्रधानमंत्री आवास में लोगों ने घुस कर उत्पात मचाना शुरू कर दिया. इस आंदोलन में आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्र बाद में पीएम हसीना के इस्तीफे के लिए प्रदर्शन करने लगे. हजारों लोगों ने हसीना के घरों पर पथराव किया और साथ में बांग्लादेशी संसद को भी निशाना बनाया.

आवामी लीग के नेता के होटल में लगाई आग, जलकर मर गए 8 लोग

यह प्रदर्शन पूरे बांग्लादेश में हिंसक रूप से फैल गए. लोगों से सरकारी संपत्ति और आवामी लीग से जुड़े नेताओं पर हमलें करना शुरू कर दिया. जैसोर में आवामी लीग के एक नेता के होटल में आग लगा दी गई, जिसमें करीब 8 लोग जिंदा जलकर मर गए. बांग्लादेश में इस तरह की कई घटनाएं देखने को मिली हैं, जिनमें अभी तक कई सौ लोगों के मारे जाने की खबर हैं. फिलहाल सेना ने कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया है और अंतरिम सरकार गठन करने की घोषणा की है.

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