नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले पर लगातार 11वीं बार तिरंगा झंडा फहराया। इस पर मौके पर पीएम मोदी ने राष्ट्र को करीब एक घंटे 41 मिनट संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध, भ्रष्ट्राचार, न्यायिक प्रणाली में सुधार, बांग्लादेश के हालात समेत कई मुद्दों पर बात की। आइए जानते हैं पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें।
पीएम मोदी ने कहा कि मैंने सपना देखा है कि 2047 विकसित भारत के सपने में सामान्य मानवीय की जिंदगी में सरकार की दखल कम हो। जहां सरकार की जरूरत हो वहां अभाव न हो और सरकार का बिना कारण प्रभाव भी न हो। मोदी ने कहा कि विश्व में सबसे तेज़ गति से करोड़ों लोगों को कोविड वैक्सीनेशन का काम हमारे देश में हुआ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को उम्मीद जताई कि बांग्लादेश में हालात जल्द सामान्य होंगे और वहां हिंदू तथा दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में यह भी कहा कि बांग्लादेश की विकास यात्रा को लेकर शुभेच्छा रहेगी। मोदी ने कहा, ‘‘बांग्लादेश में जो कुछ हुआ है उसको लेकर पड़ोसी देश के नाते हमें चिंता होना स्वाभाविक है। मैं आशा करता हूं कि वहां हालात जल्द सामान्य होंगे। 140 करोड़ देशवासियों की चिंता यह है कि वहां हिंदू, अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा, ‘‘भारत हमेशा चाहता है कि हमारे पड़ोसी देश सुख और शांति के मार्ग पर चलें।
पीएम मोदी ने कहा कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न करते हैं । पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि समान नागरिक संहिता को लेकर बार-बार चर्चा की है। मैं कहूंगा कि यह समय की मांग है कि देश में एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता हो...तभी हम धर्म के आधार पर भेदभाव से मुक्त हो पाएंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि करीब 10 करोड़ नई महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं और परिवार के फैसले लेने की प्रक्रिया का अभिन्न अंग बन गई हैं तथा व्यापक सामाजिक बदलाव लाने में योगदान दे रही हैं। मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित किया और महिला सशक्तीकरण की सराहना की। मोदी ने कहा कि हमें यह देखकर गर्व हो रहा है कि महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं। उन्होंने कहा कि जब महिलाएं आत्मनिर्भर हो जाती हैं तो वे परिवार के निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेती हैं और यह महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन सुनिश्चित करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि क्षेत्र में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि सरकार किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास कर रही है। उन्होंने 78वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से मिट्टी की सेहत में आ रही गिरावट पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम शुरू किए हैं और ऐसी कृषि पद्धतियों के लिए बजट आवंटन भी बढ़ाया गया है। मोदी ने भरोसा जताया कि भारत दुनिया का जैविक खाद्यान्न उत्पादक बन सकता है। उन्होंने कहा, ''हमारी कृषि प्रणाली में बदलाव लाना बहुत जरूरी है। यह समय की मांग है।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार UCC को लेकर चर्चा की है, अनेक बार आदेश दिए हैं। अब देश की मांग है कि देश में secular civil code हो। दुर्भाग्य से हमारे देश में आजादी के बाद लोगों को एक प्रकार के माई-बाप कल्चर से गुजरना पड़ा- सरकार से मांगते रहो, सरकार के सामने हाथ फैलाते रहो। हमने governance के इस मॉडल को बदला है। आज सरकार खुद लाभार्थियों के पास जाती है।
लोगों के जीवन में सरकार का दखल कम हो, इस दिशा में भी हमने काम किया है। हमने देशवासियों के लिए 1,500 से ज्यादा कानूनों को खत्म कर दिया, ताकि कानूनों के जंजाल में देशवासियों को फंसना न पड़े। सदियों से हमारे पास जो criminal law थे, उन्हें हम न्याय संहिता के रूप में लाए हैं। इसके मूल में 'दंड नहीं, नागरिक को न्याय' के भाव को हमने प्रबल बनाया है। मैं हर स्तर पर सरकार के प्रतिनिधियों और जन-प्रतिनिधियों से आग्रह करता हूं कि हमें मिशन मोड में ease of living के लिए कदम उठाने चाहिए।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार के बड़े सुधारों की वजह से भारतीय बैंक वैश्विक स्तर पर मजबूत बैंकों में शामिल हैं। ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मजबूत बैंकिंग प्रणाली औपचारिक अर्थव्यवस्था को मजबूती देती है। उन्होंने कहा कि पहले बैंकिंग क्षेत्र कठिन दौर से गुजर रहा था, लेकिन अब इस क्षेत्र में वृद्धि हो रही है। मोदी ने कहा, ''जरा सोचिए हमारे बैंकिंग क्षेत्र की क्या हालत थी। कोई वृद्धि नहीं थी, कोई विस्तार नहीं था और (बैंकिंग प्रणाली में) कोई विश्वास नहीं था। हमारे बैंक कठिन दौर से गुजर रहे थे।
आज जो महानुभाव राष्ट्र रक्षा के लिए पूरी लगन से, पूरी प्रतिबद्धता के साथ देश की रक्षा भी कर रहे हैं और देश को नई ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास भी कर रहे हैं। वो हमारे किसान हैं, हमारे जवान हैं, हमारे नौजवानों के हौसले हैं, हमारी माताओं-बहनों का योगदान है, दलित-शोषित-वंचित-पीड़ित हैं।
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