राजनांदगांव : अखिल विश्व की अद्वितीय सनातन संस्कृति परंपरा में परमपूर्ण अवतारी कर्मयोगी श्रीकृष्ण के शुभ मंगल जन्माष्टमी पर्व के अतीव महत्वा परिप्रेक्ष्य में नगर के संस्कृति विज्ञ, विचारचिंतक डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने बताया कि समग्र रूप में श्रीकृष्ण ही परम ईश्वर है। जगत में जो कुछ आज विद्यमान है उस सबके अनंत श्रोत है। वर्तमान में जो कुछ है, अतीत में जो कुछ था और भविष्य में जो कुछ होगा उस सबके मूल में श्रीकृष्ण है एवं होंगे। वस्तुत: परमेश्वर श्रीकृष्ण विराट है, असीम है और अनंत है। अनेक नामों से संबोधित होने वाले श्रीकृष्ण एकेश्वर हैं। परमपूर्ण पुरूष श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व-कृतित्व अतिशय विशाल और व्यापक है। वे एक साथ नीति मर्मज्ञ, कर्मयोग के महाप्रवर्तक, धर्म प्रतिपादक, सबरसों की खान भक्ति के सूर्य है तथा प्रकृति-धरनी व नारी के संरक्षक भी है। अनीति-अधर्म के विध्वंसक श्रीकृष्ण राष्ट्रनीति के श्रेष्ठ प्रवर्तक और विश्व कल्याणी सनातन संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ उन्नायक तथा पुण्यात्म वैदिक तत्व दर्शन के अजस्श्र प्रवाह श्रोत और मानव सभ्यता के सर्वश्रेष्ठ संवर्धक है।
डॉ. द्विवेदी ने आगे विशेष रूप से बताया कि देश-धरती में लोक चेतना के सहज-सरस मधुरम स्वर श्रीकृष्ण ज्ञानयोग, कर्मयोग एवं भक्ति योग के महासमन्वयक तथा राजयोग के अधिष्ठाता है। प्रेम के परमादर्श, मित्रता के प्रतिमान गौपालक बंशी - बजैया, योगेश्वर श्रीकृष्ण गुरूओं के गुरू, जगत गुरू है। आइये जन्माष्ठमी के पुण्यात्म पावन पर्व पर मनषा-वाचा-कर्मणा से श्रीकृष्ण का नमन करें तथा उनकी परमवाणी भगवतगीता के संदेश के धारण करें। यही जन्माष्टमी पर्व का श्रेष्ठ, सार्थक जन-जन को संदेश है।
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