बदल गए हैं इन रेलवे स्टेशनों के नाम

बदल गए हैं इन रेलवे स्टेशनों के नाम

नॉर्दर्न रेलवे ने लखनऊ डिवीजन के आठ रेलवे स्टेशनों के नाम बदल दिए हैं। इनमें जायस स्टेशन, अकबरगंज स्टेशन, फुरसतगंज रेलवे स्टेशन, वारिसगंज हाल्ट स्टेशन, निहालगढ़ स्टेशन, बनी रेलवे स्टेशन, मिसरौली स्टेशन और कासिमपुर हॉल्ट स्टेशन के नाम शामिल हैं। नॉर्दर्न रेलवे के डिप्टी कमर्शियल मैनेजर हरी ओम ने बताया, कासिमपुर हाल्ट स्टेशन का नाम जायस सिटी, जायस रेलवे स्टेशन का नाम गुरु गोरखनाथ धाम, मिश्रौली स्टेशन का नाम मां कालिकन धाम, बनी रेलवे स्टेशन का नाम स्वामी परमहंस स्टेशन, निहालगढ़ स्टेशन का नाम अब महाराजा बिजली पासी, अकबरगंज स्टेशन अब से मां अहोरवा भवानी धाम के नाम से जाना जाएगा, वारिसगंज हाल्ट स्टेशन का नाम अमर शहीद भाले सुल्तान होगा तो वहीं फुरसतगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर तपेश्वर धाम किया गया है।

जायस रेलवे स्टेशन अब गुरु गोरखनाथ के नाम से जाना जाएगा। गुरु गोरखनाथ नाथ संप्रदाय के पहले योगी थे। इसी संप्रदाय के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं।

मिश्रौली स्टेशन का नाम अमेठी के संग्रामपुर ब्लॉक में स्थित मां कालिकन धाम शक्तिपीठ के नाम पर रखा गया है। ये च्यवन मुनि की तपोस्थली है।

बनी रेलवे स्टेशन का नाम स्वामी परमहंस के नाम पर रखा गया है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस एक महान संत, आध्यात्मिक गुरु और विचार थे।

अमेठी के निहालगढ़ स्टेशन का नाम महाराजा बिजली पासी के नाम पर कर दिया गया है। महाराजा बिजली पासी, पासी समुदाय के राजा थे जो पृथ्वीराज चौहान और जयचंद के समकालीन थे।

अमेठी स्थिति फुरसतगंज रेलवे स्टेशन तपेश्वर धाम के नाम से जाने जाएगा। तपेश्वर धाम अमेठी के बहादुरपुर में है। ये मंदिर जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर है।

कासिमपुर हॉल्ट स्टेशन का नाम जायस सिटी होगा। बता दें कि मलिक मोहम्मद जायसी जायस के ही रहने वाले थे, जिन्होंने पद्मावत की रचना की थी।

रायबरेली स्थित अकबरगंज स्टेशन का नाम मां अहोरवा भवानी धाम कर दिया गया है। मां अहोरवा भवानी धाम मंदिर के बारे में मान्यता है कि  इस मंदिर में स्थापित देवी की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है।

वारिसगंज हाल्ट स्टेशन का नाम शहीद भाले सुल्तान के नाम पर रख दिया गया है, जिन्होंने देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई थी। इतिहासकारों की मानें तो साल 1857-58 में हुए युद्ध में भाले सुल्तानों ने देश को आजाद कराने के लिए अपनी जान का बलिदान दिया था।

 

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