जिला ग्रन्थालय में छत्तीसगढ़ी साहित्य की‌ पुस्तकें पठन-पाठन के लिए उपलब्ध ग्रन्थालय में कवि /‌साहित्यकारों ने मनाया तुलसी जन्मोत्सव

जिला ग्रन्थालय में छत्तीसगढ़ी साहित्य की‌ पुस्तकें पठन-पाठन के लिए उपलब्ध ग्रन्थालय में कवि /‌साहित्यकारों ने मनाया तुलसी जन्मोत्सव

 

 राजनांदगांव :   छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति द्वारा ‌श्री रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास के जन्मोत्सव अवसर पर जिला ग्रन्थालय में  साहित्यिक आयोजन कर उन्हें कृतज्ञता पूर्वक याद किया गया। इस दौरान‌ साहित्य समिति द्वारा जिला ग्रन्थालय को ‌छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग (‌छ०ग०- शासन) द्वारा प्रदत्त छत्तीसगढ़ी साहित्य से संबंधित पुस्तकें वहां पठन-पाठन के लिए उपलब्ध का फ्लैक्स भेंट किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ महाकवि तुलसीदास के तैल चित्र पर समाज सेवी श्रीमती शारदा तिवारी, राकेश इंदूभूषण ठाकुर, आत्माराम कोशा‌ "अमात्य", प्यारेलाल देशमुख मानसिंह "मौलिक" आदि सहित उपस्थित कवि/‌साहित्यकारों ने माल्यार्पण  व ज्योति प्रज्ज्वलन कर किया गया। इस दौरान कवि प्यारे लाल देशमुख "निकुम" ने छत्तीसगढ़ी में काव्यपाठ कर ज्ञान की देवी मां सरस्वती सुमधुर स्वरो में अभ्यर्थना की। मुख्य अतिथि श्रीमती शारदा तिवारी ने कहा कि मूल नक्षत्र में जन्मे तुलसी दास जी को जीवन भर कष्ट भोगनी पड़ी। उनके द्वारा रचित श्री राम चरित मानस महाकाव्य का पूरी दुनिया लोहा मानती है। उन्होंने तुलसी की आवत‌‌ ही हरसे नहीं,,,, दोहा उद्धृत करते हुए कहा कि लोगों को ऐसे ‌स्थान पर जाना चाहिए मान-‌सम्मान मिले।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राकेश इंदूभूषण ठाकुर ने तुलसी दास जी को पहले भक्त और‌ पीछे कवि होने की‌ बात‌‌ कही और साथ‌ ही कहा कि उनकी अंतरात्मा भक्ति- भावना के लिए छटपटाने लगी तो गोस्वामी जी ने विनय- पत्रिका का सृजन किया। श्री ठाकुर ने प्रसंग वश राष्ट्र कवि रामाधारी सिंह दिनकर की रश्मि रथी काव्य का सरस वाचन किया।

तुलसी दास जी की काव्य- कला

साहित्य समिति के अध्यक्ष व छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के जिला समन्वयक आत्माराम कोशा "अमात्य" ने तुलसी जी के काव्य कला पर अपनी बात रखते हुए कहा कि गोस्वामी जी अपनी गहन भावानुभूति को कलात्मकता का सुंदर कलेवर कर के जन-मानस को विमोहित करते हैं। उनका श्रृंगार वर्णन भी मर्यादा की सीमा-रेखा का उल्लंघन नहीं करता। उन्होंने तुलसीदास जी को लोक के कवि बताते हुए उनके श्री राम चरित मानस में छत्तीसगढ़ी के मुंदरी, चिन्हा ,चिन्हारी आदि अनेक शब्दों का उल्लेख किया व सूरदास व तुलसी दास जी के भक्ति काल से लेकर रीतिकाल के कवि केशवदास के दोहे की साप्रासंंगिक उद्धरण देकर कवियों के बीच की आत्मीयता का वर्णन किया। इस दौरान समिति के सचिव मानसिंह "मौलिक" ने श्री राम चरित मानस को अवधि भाषा में लिखने वाले कवि तुलसी जी को समन्वय वाले अवधि भाषा का कवि बताते हुए कहा कि गोस्वामी जी लोक और शास्त्र ,भाषा और संस्कृति , निर्गुण और सगुण का तथा पांडित्य और अपांडित्य का समन्वय किया है।

लोक गायक मनहरण साहू "मनु" ने जहां तुलसी के दोहे पढ़ें वहीं कवि आंनद राम सार्वा ने श्री राम चरित मानस को अनेकता में एकता का सुंदर आदर्श प्रस्तुत करने वाले ग्रंथ बताते हुए छत्तीसगढ़ी सुमधुर रचना का पाठ किया। कार्यक्रम का विद्वत संचालन‌ करते हुए कवि  रोशन साहू  मोखला ने अपने राम भक्ति  से संबंधित रचनाएं पढ़ी और कहा कि तुलसी के श्री राम चरित मानस के आधार पर ही भारतीय समाज जीवन जी रहा है। इस दौरान साहित्य समिति द्वारा मुख्य अतिथि श्रीमती शारदा तिवारी के हाथों जिला ग्रंथालय को डॉ , मन्नूलाल यदु रचित श्री राम व राम काज ग्रंथ भेट किया गया व कवि एवं गीतकार प्यारे लाल देशमुख "निकुम" द्वारा रचित गुरतुर गीत, पीरा के खरही, पुरखा के चिन्हारी, चेत करो तन के,आदि छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह भेंट की गई। इस अवसर पर जिला ग्रंथालय के ग्रंथपाल क्रांति कुमार साहू ,रोहित व स्टाफ के लोगों सहित साहित्य अभिरुचि के बड़ी संख्या में पाठकों की उपस्थिति रही।उपस्थित जनों का आभार प्रदर्शन साहित्य समिति के सचिव मानसिंह "मौलिक" द्वारा किया गया।






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