राजनांदगांव: कांग्रेस शासनकाल में ग्रामीण आजीविका का महत्वपूर्ण साधन रहे गोठानों में शीघ्र ही रौनक लौटने लगेगी। वहां पहले की तरह गाेवंश और गोबर से जुड़ी गतिविधियां भले नहीं रहेंगी, लेकिन रोजगार से जुड़ी गतिविधियां दूसरे तरीके से शुरू कराए जाने की तैयारी की जा रही है। शुरुआत औषधि और फलों खेती से की जाएंगी। लगभग नौ माह से वीरान पड़े प्रमुख गोठानों में तरह-तरह के गुणकारी औषधि पौधे लगाकर उसे स्व-सहायता समूह की महिलाओं के माध्यम से महकाने की तैयारी है। उसका संचालन कर समूह की महिलाओं अपनी आर्थिक गतिविधियां नए सिरे से शुरू कर सकेंगी। विधानसभा अध्यक्ष डा. रमन सिंह की पहल पर जिला प्रशासन कार्ययोजना बना रहा है।
जिले में 412 गोठान हैं। इनमें से आठ को ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) के रूप में विकसित किया गया था। इन गोठानों में 421 स्व-सहायता समूह की लगभग 4200 महिलाएं वहां नौ माह पहले तक कई तरह की आर्थिक गतिविधियाें में लगी हुईं थी। पूर्ववर्ती सरकार ने वहां करोड़ों रुपये लगा रखा है, लेकिन इन दिनों किसी भी तरह की गतिविधियां नहीं होने से गोठान उजड़ चुके हैं। सामानों की चोरी हो रही है। अब उन्हें फिर से संवारने की तैयारी की जा रही है। ताकि सरकार द्वारा निवेश की गई राशि बेकार न जाए। साथ ही ग्रामीण महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके।
विधानसभा अध्यक्ष डा. रमन सिंह ने की पहल
एक सितंबर को कलेक्टोरेट सभाकक्ष में विभागीय योजनाओं की समीक्षा बैठक में विधानसभा अध्यक्ष डा. रमन सिंह ने कहा था कि गोठानों में चल रहे रीपा और चरागाह का बेहतर उपयोग करते हुए यह तय करें कि गोठानों का और बेहतर उपयोग कैसे किया जा सकता है। उन्होंने ग्राम सभा में गोठान के संबंध में निर्णय लेते हुए कार्य करने की आवश्यकता बताई थी। उसके बाद से प्रशासन कार्ययोजना बनाने में जुटा है। जिला पंचायत सीईओ सुरूचि सिंह ने बताया कि स्थानीय स्तर पर विभिन्न तरह के पौधे रोपने की तैयारी की जा रही है। शासन से दिशा-निर्देश मिलने के बाद उस तरह की कार्ययोजना पर काम किया जाएगा।
बयान-
कार्ययोजना बनाई जा रही
गोठानों को पुनर्जीवित करना है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर हम कार्ययोजना बना रहे हैं। इसके तहत औषधि व फलदार पौधे रोपे जाएंगे। गतिविधियां संचालित करने को लेकर राज्य शासन से जैसा दिशा-निर्देश मिलेगा, आगे उस पर काम किया जाएगा।
संजय अग्रवाल, कलेक्टर
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आंकड़ों में गोठान
-412 कुल गोठान बनाए गए हैं जिले में
-8 में रीपा के तहत आर्थिक गतिविधियां
-421 स्व-सहायता समूह काम कर रहे थे
-4200 महिलाएं रोजगाररत थीं गोठानों मेंं
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