छत्तीसगढ प्रदेश महिला कांग्रेस कमेटी की सचिव अधिवक्ता कुसुम रूपेश दुबे ने 14 सितंबर हिंदी दिवस के अवसर पर छ ग के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करने की घोषणा को दिन के स्वप्न कल्पना निरूपित करते हुए कहीं की साय सरकार पहले बंद हुए लिपिको के हिंदी प्रशासनिक परीक्षा को आयोजित करने का आदेश जो सरकार के हाथ में है उसे जारी करें। प्रदेश सचिव श्रीमती कुसुम दुबे ने बताई कि हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार कर राजभाषा अधिनियम 1957 लागू करते हुए 7 फरवरी 1958 को तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार ने सरकारी कामकाज हिंदी में करना अनिवार्य किया व वर्ष 1962 में हिंदी राजभाषा विभाग की स्थापना की गई 1980 में राजभाषा के स्थान पर संस्कृति विभाग की स्थापना हुई।
राज काज में हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए 14 सितंबर 1983 को तीन दिवसीय व्यापक कार्यक्रम आयोजित किया गया था तब से 14 सितंबर को हिंदी दिवस की रूप मनाया जाता है। और विभागीय परीक्षा आयोजित करना प्रारंभ किया था किंतु छ ग में 15 वर्षीय भाजपा सरकार ने इस परीक्षा को बंद कर राज्य के कर्मचारियों व हिंदी भाषा पर भी चोट पहुंचाई है । परीक्षा में पत्र लेखन, नोटशीट, कार्यालयीन आदेश, निविदा, अर्ध शासकीय पत्र से संबंधित प्रश्न पूछकर 40 से 49% अंक पाने वाले को पास एवं 50 से 59% अंक वाले को एक इंक्रीमेंट व 60 से 74% अंक पाने वालों को दो इंक्रीमेंट के साथ साथ 300 रु नगद पुरस्कार दिया जाता था जिससे लिपिकीय कर्मचारीयों में उत्साह के साथ उन्हे आर्थिक लाभ भी मिलता था लेकिन भाजपा सरकार ने अपने 15 वर्षीय कार्यकाल में इस परीक्षा को बंद कर दिया है अब साय सरकार मेडिकल पढ़ाई को भी हिंदी में कराने की थोथी कल्पना घोषणा की है जबकि मेडिकल की शिक्षा लगभग अंग्रेजी में ही होती है उनकी पुस्तकें अंग्रेजी में होते हैं उनका हिंदी अनुवाद कर पढ़ाया जाना जल्द संभव ही नहीं है ।अतः सर्वप्रथम साय जी को चाहिए कि वह राज्य के कर्मचारियों के हितों पर कारक हिंदी प्रशासनिक प्रणाली परीक्षा आयोजित कराने की घोषणा करें। ताकि राज्य के लिपीकीय कर्मचारियों को आर्थिक लाभ मिल सके और जनता भी सरकारी कामकाज को समझ कर सुगमता से कार्य करा सके।
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