वैसे गुलाब दिवस का नाता कपल्स के बीच मनाए जाने वाले वैलेंटाइन वीक से ही जुड़ा हर कोई जानते है लेकिन दुनियाभर में भी आज यानि 22 सितंबर को विश्व गुलाब दिवस मनाया जाता है। यह फरवरी वाले रोज दिवस से बिल्कुल अलग होता है जो दुनियाभर में फैली गंभीर बीमारी कैंसर के प्रति जागरुकता व्यक्त करता है।
हर साल कैंसर मरीजों को समर्पित इस दिन पर उन्हें गुलाब देकर खुश रहने के लिए प्रेरित करने का जरिया विश्व रोज दिवस कहलाता है। इस दिवस को कब से मनाया गया था और इसके पीछे किस शख्सियत का हाथ चलिए जानते हैं इस पूरी खबर में।
कब से हुई दिवस मनाने की शुरुआत
विश्व गुलाब दिवस की बात की जाए तो इसे मनाने की शुरुआत दरअसल कनाडा की रहने वाली एक बच्ची मेलिंडा की याद में की गई थी। जिसे लेकर बताया जाता है कि, वे सिर्फ 12 साल की उम्र में ही ब्लड कैंसर से पीड़ित हो गई थी इस स्थिति को देखकर डॉक्टर भी किसी प्रकार की मदद नहीं कर पाए इलाज खोजने में उन्होंने हाथ खड़े कर दिए थे। मेलिंडा को लेकर डॉक्टर ने उसके बचने की उम्र मात्र 2 हफ्ते बताई थी लेकिन मेलिंडा इस बात पर हार नहीं मानी और अपनी बीमारी से 6 महीने तक लड़ी। इन 6 महीनों के दौरान मेलिंडा ने कैंसर से जूझ रहे मरीजों के साथ ही बिताया, कविताओं, नोट्स और तमाम तरीकों से लोगों को खुश करने का प्रयास किया। जहां पर 6 महीनों तक हिम्मत से लड़ने के बाद ही मेलिंडा का सितंबर माह में निधन हो गया। इसके बाद ही इस विश्व गुलाब दिवस को मनाने की परंपरा शुरु हुई।
कैसे मनाते है विश्व गुलाब दिवस
हर साल इस विश्व गुलाब दिवस को सितंबर माह के चौथे रविवार को मनाया जाता है। इस दिन कैंसर पीड़ितों को गुलाब का फूल देकर उन्हें हिम्मत दी जाती है, संदेश दिया जाता है कि, भलें ही कैंसर की लड़ाई वो अकेले लड़ रहे हैं, लेकिन मानसिक रूप से हम सब उनके साथ खड़े हैं। इस दिवस पर गुलाब का फूल प्यार और खुशी का प्रतीक माना जाता है। गुलाब का फूल देकर उन्हें नई शुरुआत के लिए प्रेरित किया जाता है। अगर आप भी अपने आसपास किसी कैंसर मरीज को जानते हैं, जिन्हें कैंसर के खिलाफ जंग जीती है, तो उन्हें आज के दिन गुलाब का फूल जरूर दें।
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