राजनांदगांव : अखिल विश्व की अद्वितीय सनातन संस्कृति की पुण्यभूमि भारत में अतीव गौरवशीला नारियों ने जन्म लिया और हमारे देश-धरती के गौरवशाली इतिहास में अपना अद्वितीय स्थान बनाया है। इसी उज्जवल क्रम में मराठा साम्राज्य की प्रसिद्ध राजमाता अहिल्या बाई होल्कर का नाम प्रमुखता से आता है। महारानी अहिल्या बाई होल्कर की 300वीं जयंती के परम पुण्य स्मृति परिप्रेक्ष्य में नगर के संस्कृति प्रज्ञ डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने बताया कि संपूर्ण देश में महारानी से देवी और फिर लोकमाता के रूप में प्रसिद्ध हुई। अहिल्या बाई होल्कर अपने श्रेष्ठ, कुशल और अति न्यायप्रिय राज्य शासन के साथ-साथ सीमाओं की सुरक्षा जन-जन के लिए उत्कृष्टम खान-पान, व्यवसाय, समरसता, पूर्ण सेवा व्यवस्था के लिए भी सिद्ध प्रसिद्ध रहीं। महाराष्ट्र के अहमद नगर के जामखेत के छोटे से ग्राम भौड़ी में जन्मी अहिल्या बाई का समग्र जीवनक्रम अत्यंत दुखों से भरा तथा अल्पायु में विवाह और फिर मात्र 29 वर्ष की आयु में वैध्वव्य को प्राप्त होना। 43 वर्ष में पुत्र शोक, 62 वर्ष की आयु में दोहित्र की मृत्यु और आगे दामाद के भी निधन जैसे अपार दुखों के बीच एक राजमाता के रूप में अत्यंत संयत रहकर तत्समय में सर्वश्रेष्ठ राज्य शासन व्यवस्था जो उन्हें इतिहास में महान नारी शासक के रूप में अमर करती है। उनकी इसी गौरवगाथा के कारण ही आज भी इंदौर में प्रतिवर्ष भाद्रप्रद कृष्ण चतुदर्शी को अहिल्या उत्सव आयोजित होता है। आगे डॉ. द्विवेदी ने विशेष रूप से बताया कि आत्म प्रतिष्ठा और आत्म मुग्धता के मोह से सर्वदा परे रहने वाली अहिल्या बाई ने कम समय में ही पूरे भारतवर्ष का भ्रमण किया और यहाँ अत्यंत प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में शिव मंदिर बनवायें। घाटों का निर्माण कराया। कुआँ, बावलियां बनवाई।
अच्छे और सहज पक्के मार्ग निर्मित किए और सबसे अधिक प्रशंसनीय रूप से अन्न-सन्न भोजन केन्द्र जगह-जगह आम जन के लिए स्थापित की। शुद्ध पेयजल के लिए प्याऊ घरों की स्थापना करवाई। महेश्वर जो उनके राज्य का राजधानी नगर था वहाँ विशाल महल बनाया और बनारस में काशी विश्वनाथ प्रसिद्ध शिवलिंग की स्थापना का यशोगान तो आज तक होता है। यह कहना अतिश्योक्ति पूर्ण नहीं होगा कि अहिल्या बाई होल्कर जी का महान व्यक्तित्व-कृतित्व लोकसेवा और लोककल्याणकारी निर्माण का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है जो हमारी नेतृत्वकर्ता पीढ़ी के लिए श्रेष्ठ, सार्थक अत्यंत प्रेरणास्पद उदाहरण है। आइये हम सभी मन्शा-वाचा-कर्मणा से इस महान नारी शक्ति लोकमाता अहिल्या बाई के परमपावन पुण्यात्म कार्यो को लोकमंगला संकल्प के रूप में नित्यजीवन क्रम में धारण करें। यही लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर जी की 300वीं जयंती का श्रेष्ठ-सार्थक वर्तमान पीढ़ी के लिए संदेश होगा।
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