भू-जल संरक्षण के कार्यो से हो रही पानी बचाने की अभिनव पहल

भू-जल संरक्षण के कार्यो से हो रही पानी बचाने की अभिनव पहल

 

खैरागढ़-छुईखदान-गंडई  : जल संरक्षण को लेकर वर्तमान में सभी जगह अनेको प्रयास और कार्यक्रम सहित कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं ।  जिसके लिए खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के विकासखंड छुईखदान मे भी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत वृहद् तौर पर जल संवर्धन एवं प्राकृतिक संसाधन संवर्धन के कार्य किये जा रहे है । जल संरक्षण के महत्व को समझते हुए खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिला प्रशासन के मार्गदर्शन मे मानसून के आने के पहले ही जल संरक्षण के कार्यो के क्रियान्वयन पर जोर देना शुरू कर दिया था ।  बारिश के पानी को जो बहकर नालियों के माध्यम से व्यर्थ चला जाता है, उसे संरक्षित करने के लिए पहाड़ों एवं ढलान वाली जगहो पर कंटूर/स्टैगर्ड ट्रेंच, 30:40 संरचना एवं मिनी परकोलेशन टैंक के अधिक से अधिक निर्माण करने का तरीका अपनाया है, जिसके तहत विकासखंड छुईखदान के कई पहाड़ी एवं ढलान वाली क्षेत्रों को चयनित किया गया है। 

परिकल्पना - गांव मे निवास करने वाले लोग अपने गांव के भौगोलिक स्थिति से भली-भांति परिचित होते हैं । वे अपने अनुभव के आधार पर गांव के ऊंचाई एवं ढलान की स्थिति से अवगत होते है । वे गांव की समस्या को पहचानकर उनके समाधान के उपाय भी जानते हैं । ग्राम विकास की कार्ययोजना ग्रामीणों द्वारा बनाये जाने से बड़ी से बड़ी समस्या को भी हल किया जा सकता है । इसका जीता-जागता उदाहरण खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के विकासखण्ड- छुईखदान की ग्राम पंचायत - नादिया के ग्रामीणो ने प्रस्तुत किया है । ग्राम पंचायत नादिया के आश्रित ग्राम बसावर से लगी पठारी ढाल में स्टैगर्ड ट्रेंच, समतल जगह में 30:40 संरचना एवं ढलान के निचले भाग में मिनी अंतः स्त्रवण (परकोलेशन) टैंक का निर्माण कर अनुपयोगी समझी जाने वाली भूमि को उपयोगी बनाकर क्षेत्र में गिरते भू-जल स्तर को नियंत्रित करने का माध्यम बना लिया गया है। स्टैगर्ड ट्रेंच बनाकर और वृक्षारोपण कर वातावरण को संतुलित एवं भूमि के कटाव को रोकने का यह एक सकारात्मक प्रयास है । ऊपरी हिस्से में ट्रेंचिंग निचले हिस्से में मिनी अंतः स्त्रवण (परकोलेशन) टैंक के द्वारा वर्षा जल को संग्रहित कर, गांव की जमीन को सिंचित करने की इस योजना ने महात्मा गांधी नरेगा योजना से मूर्त रूप लिया है। पहले बारिश के दिनो मे बारिश का पानी ढलान के कारण सीधे नाले मे चला जाता था, लेकिन अब ट्रेंच निर्माण, कच्ची नाली एवं अंतः स्त्रवण टैंक के बनने से जमीन पर पानी रूकने से भू जल स्तर मे वृद्धि मे कारगर होगा।


विकासखण्ड- छुईखदान में वित्तीय वर्ष 2023-24 में 04 ग्राम पंचायतों में स्टैगर्ड ट्रेंच निर्माण कार्य किया गया है, जहां ग्राम पंचायत नादिया में उल्लेखनीय कार्य किया गया है । 1.5 एकड़ मे 30:40 संरचना का निर्माण एवं लगभग 10 एकड़ मे स्टैगर्ड ट्रेंच निर्माण में गढ्ढे खोदे गए हैं, जिनमें बारिश का पानी बहने के बजाए सीधे इन तमाम गढ्ढो में भरता जाता है और इसके बाद ओवरफ्लो होने पर वह बगल के दूसरे गढ्ढो में भर जाता है । इन गढ्ढो के बाद सतत कंटूर ट्रेंच भी बनाये गए है एवं 0.25 एकड़ में एक मिनी अंतः स्त्रवण (परकोलेशन) टैंक भी बनाया गया हैं । जिससे पानी जरा भी व्यर्थ ना होते हुए गढ्ढो और मिनी परकोलेशन टैंक के माध्यम से पूरी तरह जमीन में सोख लेता है। 

ग्राम पंचायत नादिया के सरपंच का कहना है कि उनके ग्राम पंचायत मे भूजल स्तर मे काफी कमी आ गयी है । जिससे उनके ग्राम पंचायत मे भविष्य मे जल संकट की स्थिति भी बन सकती है । जनपद पंचायत छुईखदान के अधिकारियो के माध्यम से महात्मा गांधी नरेगा योजना से जल संरक्षण एवं प्राकृतिक संसाधन संवर्धन के कार्यो के सम्बंध मे जानकारी मिली । जिसके बाद उन्होंने ग्राम सभा की बैठक मे इस बारे में चर्चा किया एवं सभी ग्राम वासियों द्वारा जल संरक्षण एवं प्राकृतिक संसाधन संवर्धन के कार्यो को अधिक से अधिक कराये जाने हेतु मनरेगा अनुमेय कार्यो को ग्राम सभा मे प्रस्तावित किया । उनका कहना है कि इस प्रकार वर्षा जल के संरक्षण से भूजल स्तर बढ़ेगा और विकराल होती जल संकट की स्थिति कम होगी । ग्राम पंचायत द्वारा बंजर जमीनों को इन गढ्ढो के लिए चुना गया है, अगर इन गढ्ढो में जल संरक्षण के साथ ही किए गए पौधारोपण सफल हुए तो कुछ वक्त बाद ही यह सारे क्षेत्र हरे-भरे और उपजाऊ हो जाएंगे।

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