डौण्डी लोहारा : नगर सहित समूचे अंचल में शुक्रवार को गौरा गौरी जगाने तथा पूजा अर्चना करने में लोग लगे रहे। रात्रि 10 बजे ग्राम कामता के बैगा दिनेश तारम ने गौरा गौरी निर्माण के लिए गाँव के शरहद में पूजा अर्चना कर पवित्र मिट्टी को बाजे गाजे के साथ नये कपड़े में लेकर आये। परम्परानुसार उसी मिट्टी से गौरा गौरी का निर्माण किया गया। ततपश्चात रात्रि 10 बजे ग्राम कामता की महिलाओं ने दल बनाकर गौरा गौरी गीत गाते हुये प्रत्येक घरों से नये धान की बाली से सुसज्जित कलशा ससम्मान निमंत्रण दिया तथा अपने साथ शामिल करते गये। रात्रि 12 बजे तक सभी घरों से कलश यात्रा निकाल कर ग्राम प्रमुख के घर पहुँच कर गौरा गौरी देव को अविवाहित लडकों को सिर में धारण कराया गया। पारम्परिक बाजे गाजे के साथ कलश यात्रा गौरा चौरा पहुंचा जहाँ मूर्ति को स्थापित किया गया। महिलाओं ने बैगा के साथ पूजा अर्चना कर गौरा गौरी गीत गाते रहे।
इस गीत से सिरहा लोग देवता चढ़ते रहे और लोगोँ को आशीर्वाद देते रहे। वर्षों पूर्व मान्यतानुसार गोवर्धन पूजा के दिन सुबह सभी महिलाओं ने अपने अपने कलश में पवित्र जल भरकर घर ले जाते हैं उसी जल से गौमाता के पैर धोकर खिचड़ी खिलाते हैं। सुबह गौरा गौरी का विसर्जन तालाब में किया गया। ग्रामीणों ने ग्राम वासियों की सुख समृद्धि के लिए गौरा गौरी का पूजा अर्चना किया। शनिवार को सुबह जब गौरा गौरी की शोभा यात्रा निकली तो हर घर के आंगन में महिलाओं ने परिवार सहित पूजा की थाली सजाकर गौरा गौरी का इंतजार करते नजर आयी। मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति गौरा गौरी की पूजा अर्चना करते हैं। उनका जीवन सुखमय हो जाता है।



Comments