केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (ICAR), शिमला द्वारा विकसित आलू की कुफरी जमुनिया किस्म छत्तीसगढ़ के किसानों को समृद्धि प्रदान करने जा रही है. सीपीआरआई ने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, और बिहार सहित अन्य राज्यों के लिए इस किस्म को अनुशंसित किया था. इसलिए अब प्रदेश के किसानों को आसानी से इसके बीच भी उपलब्ध होंगे, जिससे वे तगड़ी कमाई कर सकते हैं.
बता दें, छत्तीसगढ़ के रायपुर, दुर्ग, सरगुजा, जशपुर, मेनपाट क्षेत्र आलू की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं. रवि फसल के समय में हमेशा किसानों के खेतों में आलू लगा हुआ नजर आता है. आमतौर पर इसकी तैयारी नवंबर से शुरू हो जाती है.
कुफरी जमुनिया आलू का रंग गहरा बैंगनी होता है और यह आयताकार आकार का होता है. इसे 90 से 100 दिनों में तैयार किया जा सकता है, और इसकी पैदावार भी अच्छी होती है. 1 हेक्टेयर में 32-35 टन आलू प्राप्त किया जा सकता है. इसे स्वादिष्ट माना जाता है और इसका भंडारण भी सरल है. बाजार में इसकी अच्छी कीमत भी मिलती है, और इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा होती है. इसके औषधीय गुणों के कारण बाजार में अच्छे दाम के साथ काफी मांग भी रहने वाली है.
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