कायस्थ समाज ने धूमधाम से मनाया भाईदूज पर्व,छ्ग ओलंपिक एसोसिएशन उपाध्यक्ष रमेश श्रीवास्तव का हुआ सामाजिक सम्मान

कायस्थ समाज ने धूमधाम से मनाया भाईदूज पर्व,छ्ग ओलंपिक एसोसिएशन उपाध्यक्ष रमेश श्रीवास्तव का हुआ सामाजिक सम्मान

 

 

राजनांदगांव :कायस्थ सभा, राजनांदगांव के तत्वावधान एवं श्री ओमप्रकाश श्रीवास्तव के प्रथम अध्यक्षीय कार्यकाल में भगवान श्री चित्रगुप्त जी का हवन - पूजन एवं महाआरती के साथ सैकड़ों चित्रांशजनों की उपस्थिति में भाईदूज महापर्व को धूमधाम से मनाया गया l

कायस्थ सभा के सचिव राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी भाईदूज पर्व के अवसर पर यानि रविवार को बड़ी संख्या में कायस्थजनों ने जमातपारा स्थित भगवान श्री चित्रगुप्त मंदिर पहुंचकर अपराह्न 04 बजे आस्था और विश्वास के साथ विद्वान पंडित के मार्गदर्शन में अपने ईष्टदेव भगवान श्री चित्रगुप्त जी का पूर्ण विधि-विधान से हवन - पूजन किए l*

श्री रमेश श्रीवास्तव का किया गया सामाजिक सम्मान

   भाईदूज के पावन अवसर पर छत्तीसगढ़ ओलंपिक एसोसिएशन के उपाध्यक्ष श्री रमेश श्रीवास्तव का कायस्थ समाज राजनांदगांव द्वारा शॉल एवं श्रीफल देकर सामाजिक सम्मान किया गया, मुख्य अतिथि के रूप में श्री रमेश श्रीवास्तव ने अपने उदबोधन में कहा कि भाईदूज के पावन अवसर पर अपने आपको समाज के बीच सम्माननीत होकर अत्यंत गौरव का अनुभव हो रहा हैं, कायस्थ समाज बुद्धिजीवियों का वो समाज हैं जिन्होंने कई ऊंचे मुकाम तय किए हैं, प्राचीन काल से लेकर आज पर्यन्त तक हर एक क्षेत्र में कायस्थजनों ने अपना लोहा मनवाया हैं, उन्होंने आगे कहा कि राजनांदगांव कायस्थ समाज आज प्रगति के नये - नये सोपान तय कर रहा हैं, नये मंदिर निर्माण से लेकर नये रिद्धि - सिद्धि कॉलोनी स्थित कायस्थ भवन का निर्माण इस बात का प्रत्यक्ष मिसाल हैं, श्री श्रीवास्तव ने सामाजिक एकता पर बल देते हुए कहा कि आगामी भविष्य में ऐसे वृहद सामाजिक कार्यक्रम का और आयोजन होने चाहिए जिसमें शहर एवं जिले के हर एक सदस्य शामिल होकर सामाजिक एकता का परिचय दें, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कायस्थ समाज के लिए शासन, प्रशासन एवं निजी स्तर पर जों भी जरूरत होगी वे यथासम्भव मदद करने का प्रयास करेंगे, इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में समाजसेवी श्री राजकुमार श्रीवास्तव का भी सम्म्मान किया गया l

 सैकड़ों चित्रांशजनों ने किया महाआरती

  भाईदूज के इस विशेष अवसर पर संध्या 08 बजे श्री चित्रगुप्त मंदिर में महाआरती का आयोजन किया गया था इस दौरान वरिष्ठ संरक्षक श्री नंदकुमार श्रीवास्तव, वरिष्ठ संरक्षक श्री कृष्णा गुरूजी, वरिष्ठ संरक्षक श्रीमती इंदु देवी श्रीवास्तव, वरिष्ठ संरक्षक श्री सुरेंद्र श्रीवास्तव, वरिष्ठ संरक्षक श्री प्रभात बक्शी, वरिष्ठ संरक्षक श्री रोहणीकांत श्रीवास्तव, वरिष्ठ संरक्षक श्री सतीश चंद्र श्रीवास्तव, अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश श्रीवास्तव, कायस्थ महिला अध्यक्ष श्रीमती सावित्री श्रीवास्तव, कायस्थ महिला सचिव श्रीमती सीमा श्रीवास्तव के अलावा सैकड़ों की संख्या में कायस्थजन उपस्थित थे l

भगवान श्री चित्रगुप्त जी को चढ़ाया 56 भोग का प्रसाद

इस भाईदूज महापर्व के अवसर पर महाआरती के पश्चात् अपने ईष्टदेव भगवान श्री चित्रगुप्त जी को 56 भोग वाली महाप्रसादी का भोग चढ़ाया गया। फिर भोग - प्रसादी का वितरण किया गया, उपस्थित चित्रांशजनों ने एक दूसरे को दीवाली एवं भाई दूज पर्व की शुभकामनाएं प्रेषित किए ।

  भाई दूज महापर्व के संबंध में कायस्थ सभा के अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि कलम के देवता तथा समस्त सृष्टि के सभी प्राणियों के पाप - पुण्य का लेखाजोखा रखने वाले भगवान श्री चित्रगुप्त देव जी की उत्पत्ति कथा का विस्तार से वर्णन पद्म पुराण के सृष्टि खण्ड में मिलता है। जिसके अनुसार भगवान ब्रह्मा जी ने जगत के कल्याण के लिए विष्णु जी, शिव जी और अपनी स्वयं की शक्तियों को संचित किया और इन्हीं त्रिदेवों के तेज से हाथों में कलम-दवात, पत्रिका और पट्टी लिए हुए भगवान श्री चित्रगुप्त जी प्रगट हुए। युगपिता ब्रह्मा जी की काया से उत्पन्न होने के कारण इनके कुल को कायस्थ कहा गया और हर किसी के चित्त और हृदय में विराजमान होने के कारण इन्हें चित्रगुप्त की संज्ञा मिली। त्रिदेवों के तेज से उत्पन्न होने के कारण भगवान श्री चित्रगुप्त देव में सत, रज् और तम् ये तीनों गुण विद्यमान हैं। अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने भाई दूज महापर्व के कार्यक्रम में उपस्थित होने वाले सभी कायस्थजनों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया हैं l






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