दिवाली के 15 दिनों बाद देव दीपावली मनाई जाती है। इस दिन दिवाली की तरह ही घरों में दीये जलाए जाते हैं। खासतौर से काशी या बनारस में देव दीपावली की खास धूम रहती है। बनारस की देव दीपावली देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। इस दिन काशी के सभी घाटों को दीयों से सजाया जाता है। देव दीपावली के दिन पूरा बनारस दीयों की रौशनी से जगमगाता रहता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि के दिन देव दीपावली मनाई जाती है। तो आइए जानते हैं कि इस साल देव दीपावली कब मनाई जाएगी और इसे मनाने के पीछे की धार्मिक मान्यता क्या है।
देव दीपावली क्यों मनाई जाती है?
पौराणिक कथा के अनुसार, त्रिपुरासुर नामक एक राक्षस था जिसने अपने शक्ति के बल पर स्वर्ग सहित तीनों लोक पर अपना अधिकार जमा लिया था। उसके आतंक से देवगतागण भी परेशान हो गए थे। तब सभी देवतागण भगवान शिव के शरण में पहुंचे और उनसे मदद की प्रार्थना की। इसके बाद भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का संहार किया। त्रिपुरासुर के अंत होने की खुशी में सभी देवताओं ने भगवान शिव के धाम काशी पहुंच कर उनको धन्यवाद दिया और गंगा किनारे दीप प्रज्जवलित किए। कहते हैं कि तब से ही इस दिन को देव दीपावली के नाम से जाना जाने लगा। बता दें कि जिस दिन त्रिपुरासुर का वध हुआ था वह दिन कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि थी।
देव दीपावली 2024 तिथि और मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 15 नवंबर 2024 को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर होगा। पूर्णिमा तिथि का समापन 16 नवंबर को तड़के 2 बजकर 58 मिनट पर होगा। देव दीपावली 15 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी।
देव दीपावली महत्व
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, देव दीपावली के दिन देवतागण धरती पर दिवाली मनाने आते हैं। इसलिए इसे देवताओं की दिवाली कहा जाता है। कहते हैं कि हर साल देव दीपावली के दिन भगवान शिव की नगरी काशी में देवतागण गंगा किनारे दीये जलाने आते हैं। देवताओं के स्वागत में ही इस दिन गंगा घाट से लेकर मंदिर और घरों में दीया जलाया जाता है। देव दीपावली के दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। देव दीपावली के दिन दीप दान भी किया जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
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