कब है देवउठनी एकादशी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत कथा

कब है देवउठनी एकादशी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत कथा

 देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 माह की निंद्रा के बाद जागते हैं. इसके बाद हर तरह का मांगलिक कार्य शुरू हो जाता है. आइए आपको बताते हैं कि देवउठनी एकादशी का व्रत क्यों रखा जाता है? और क्यों ये दिन महत्वपूर्ण है? इस दिन किस विधि से विष्णु भगवान की पूजा करने से खास फल मिलता है. साथ ही इस दिन तुलसी विवाह का क्या महत्व है.

ये है पौराणिक कथा:कार्तिक महीने की देवउठनी एकादशी सबसे उत्तम एकादशी मानी जाती है. माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपने चार महीने की निंद्रा काल से जागृत होते हैं. इस एकादशी से चार दिन पहले वह निंद्रा योग में चले जाते हैं, जिसके चलते सनातन धर्म में सभी मांगलिक कार्य 4 महीने के लिए बंद हो जाते हैं, लेकिन देवउठनी एकादशी के दिन जैसे ही भगवान विष्णु अपनी निद्रा अवस्था से जागते हैं तो सभी प्रकार के मांगलिक कार्य एक बार फिर से शुरू हो जाते हैं. कई लोग देवउठनी एकादशी के दिन व्रत रखते हैं.

कब है देवउठनी एकादशी:  हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार देवउठनी एकादशी का आरंभ 11 नवंबर को शाम के 6: 46 से होगा, जबकि इसका समापन 12 नवंबर को शाम के 04:04 पर होगा. सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत-त्योहार उदया तिथि के साथ मनाए जाते हैं, इसलिए देव उठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर को रखा जाएगा. एकादशी व्रत का पारण 13 नवंबर को सुबह 6:42 से 8:51 के बीच किया जाएगा.

देवउठनी एकादशी की पूजा का विधि:

  • देवउठनी एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करें.
  • अपने घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें.
  • उनके आगे देसी घी का दीपक जलाकर व्रत रखने का प्रण लें.
  • उनको पीला रंग के फल, फूल, वस्त्र और मिठाई अर्पित करें.
  • दिन में भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विष्णु पुराण पढ़ें.
  • ध्यान रखें कि एकादशी का व्रत निर्जला रखा जाता है.
  • शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें.
  • इसके बाद प्रसाद का भोग लगाए.
  • गरीब जरूरतमंद और ब्राह्मणों को भोजन कराए.
  • व्रत के पारण के समय अपने व्रत का पारण करें.

देवउठनी एकादशी के व्रत का महत्व:  देवउठनी एकादशी का सभी एकादशियों में से ज्यादा महत्व होता है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु अपने 4 महीने की निद्रा योग अवस्था से उठते हैं. इसके बाद से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. देवउठनी एकादशी के दिन व्रत करने से कई प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. घर में आर्थिक तौर पर मजबूती मिलती है. इस एकादशी के दिन कई प्रकार के उपाय करने से कारोबार में वृद्धि होती है.

तुलसी विवाह कराने से बनते हैं विवाह के योग: इस दिन तुलसी विवाह करने का भी विशेष महत्व होता है. ऐसा माना जाता है कि अगर किसी जातक के विवाह के योग नहीं बन रहे हैं, तो वह देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह विधिवत तरीके से करवाए. इस उनके विवाह के योग बनेंगे.

देवउठनी एकादशी पर जरूर करें ये काम:  देवउठनी एकादशी के दिन से मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. ऐसे में अगर जातक कुछ विशेष उपाय करें, तो उनके ऊपर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहेगी और उनके विवाह के योग सहित जीवन में तरक्की के बनेंगे.

  • अगर किसी भी जातक के कारोबार में कोई बाधा हो रही हो तो वह दूध में केसर डालकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें. माना जाता है कि ऐसा करने से उसकी परेशानियां दूर होगी और उसके करियर और कारोबार में वृद्धि होगी.
  • अगर किसी जातक के कुंडली में विवाह संबंधित परेशानी हो रही है तो वह इस एकादशी के दिन हल्दी पीला चंदन और केसर को मिलाकर भगवान विष्णु को तिलक करें. उनको पीले रंग के फल, फूल, मिठाई अर्पित करे. माना जाता है कि ऐसा करने से जातक के विवाह के योग बनेंगे और सभी बाधा दूर होगी. इस दिन तुलसी का विवाह करवाना भी शुभ होता है, जिससे विवाह के योग बनते हैं.
  • देवउठनी एकादशी के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने से और पेड़ के नीचे दीपक जलाने से कर्ज से मुक्ति मिलती है.
  • एकादशी के दिन तुलसी माता की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. अगर किसी को धन की कमी आ रही है या आर्थिक तौर पर कमजोर है तो वह तुलसी माता के आगे देसी घी का दीपक जलाकर माता की आरती करें. कच्चे दूध में गन्ने का रस मिला कर तुलसी माता को अर्पित करें. ऐसा करने से उस व्यक्ति के घर में धन की कमी नहीं होगी. उसके सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे.

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