देव दिवाली कब है? जानें क्यों मनाई जाती ...

देव दिवाली कब है? जानें क्यों मनाई जाती ...

हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाई जाती है। इस दिन दीवाली की तरह ही चारों तरफ दीये जलाएं जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देव दीपावली के दिन सभी देवी-देवता धरती पर उतरते हैं। ऐसे में देवी-देवताओं के स्वागत की खुशी में लोग दीये जलाते हैं। देव दीपावली की असली धूम और रौनक काशी यानी बनारस में देखने को मिलती है। काशी की देव दीपावली देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इस साल देव दीपावली 15 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। तो आइए जानते हैं कि देव दीपावली के दिन कितने दीये जलाना चाहिए।

देव दीपावली पर कितने दीये जलाना चाहिए?

देव दीपावली के दिन मंदिर, घर के मुख्य द्वार और आंगन में दीया जरूर जलाना चाहिए। इस दिन देवी-देवताओं और इष्ट देव के नाम का भी दीया जलाएं। देव दीपावली के दिन 11, 21, 51 या 108 दीया जलाएं। आप चाहे तो इससे ज्यादा दीया भी जला सकते हैं। बता दें कि देव दीपावली के दिन भगवान शिव, विष्णु जी और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। ऐस में मंदिर या जहां लक्ष्मी माता का पूजन कर रहे हैं वहां अखंड दीया जरूर जलाएं और कोशिश करें की रातभर बुझना नहीं चाहिए। देव दीपावली के दिन तुलसी पौधा के पास दीया जरूर जलाएं।

देव दीपावली क्यों मनाई जाती है?

पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव में त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के आंतक से मुक्ति की खुशी में देवताओं ने स्वर्ग में दीप जलाकर दीवाली मनाई थी। ये भी कहा जाता है कित्रिपुरासुर के अंत होने की खुशी में सभी देवताओं ने भगवान शिव के धाम काशी पहुंच कर उनको धन्यवाद दिया और गंगा किनारे दीप प्रज्जवलित किए। कहते हैं कि तब से ही इस दिन को देव दीपावली के नाम से जाना जाने लगा।

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