राजनांदगांव : चतुर्थ राज्य स्तरीय बौद्ध सम्मेलन, दिनांक 7 नवम्बर 2024 को तपोभूमि, शिवनाथ नदी तट (ऑक्सीजोन मोहारा) भंवरमरा राजनांदगांव (छ.ग.) स्थित नैसर्गिंक वातावरण के बीच पुज्य भदन्त धम्मतप अध्यक्ष मेत्ता संघ व आयोजक राज्य स्तरीय बौद्ध सम्मेलन तपोभूमि राजनांदगांव के मार्गदर्शन में म्यांमार, वियतनाम, मलेशिया, अमरिका व भारत से सैकड़ों की संख्या में बौद्ध भिक्खु संघ पहुंचा। मुख्य अतिथि पूज्य भदन्त डाँ. अशिन ओत्तमाथारा महाथेरो अध्यक्ष थाब्रावा नेचुरल सेन्टर म्यांमार, आशीर्वादक पुज्य भदन्त आनंद महास्थविर अध्यक्ष अखिल भारतीय भिक्खु महासंघ भारत एवं भिक्खु धम्मतप आयोजक राज्य स्तरीय बौद्ध सम्मेलन, तपोभूमि राजनांदगांव (छ.ग.) के अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भिक्खु धम्मतप जी अध्यक्ष मेत्ता संघ व आयोजक राज्य स्तरीय बौद्ध सम्मेलन तपोभूमि राजनांदगांव (छ.ग.) ने अपने उपदेश में कहा प्रतिवर्ष शिवनाथ नदी तट स्थित तपोभूमि में राज्य स्तरीय बौद्ध सम्मेलन का आयोजन भारतीय संविधान निर्माता, बोधिसत्व डाँ. भीमराव आम्बेडकर जी के प्रथम शाला प्रवेश दिन को आधार मानकर तपोभूमि का निर्माण किया गया है ताकि यहा से ज्ञान, ध्यान का संचार निरन्तर होता रहे। बोधिसत्व डाँ. भीमराव आम्बेडकर ने लाखों लोगों को बौद्ध धम्म देकर विश्व मैत्री एवं बंधुत्व से जोड़ा है। इस वर्ष डाँ. आम्बेडकर जी के गुरूभूमि म्यांमार से हमारे बिच पुज्य भदन्त डाँ. अशिन ओतमाथारा महाथेरो म्यांमार से पहुंचे है। तपोभूमि की निर्मिति के संबंध में भदन्त जी कहते है अनाथपींडक ने भगवान गौतम बुद्ध के उपदेश को सुनकर भगवान को धम्मदेशना के लिये श्रावस्ती में आमंत्रित किया बुद्ध ने अनाथपींडक को कहे थे धम्मसभा स्थल ना ही गांव के करिब हो, ना ही गांव के दूर हो इसी बात को जानकर अनाथपींडक ने राजकुमार जेत के उद्यान को चयन किये। मैने भी धम्म सुनने समझने की दृष्टि को देखते हुए आध्यात्मिक सुख एवं ध्यान साधना के लिए अनुकुलित जगह जानकर इस आँक्सीजोन परिसर का चयन किया हूँ, जो आज तपोभूमि के नाम से जाना जाता है। तपोभूमि भी ना ही गावं के करिब है ना ही दूर है। इस भूमि में मन की एकाग्रता के लिए ध्यान केन्द्र का निर्माण करना चाहते है ताकि सभी जाति धर्म के लोग यहा आकर आध्यात्मिक सुख पा सके एवं अपने मन को एकाग्र कर सके। बौद्ध धम्म के वजह से विश्व शांति, करूणा व मैत्री का पैगाम दुनिया में गया है उसी पैगाम को आपस में बांटने के लिए तपोभूमि में म्यांमार, वियतनाम, मलेशिया, अमरिका एवं भारत से बौद्ध भिक्खु संघ सैकड़ों की संख्या में पहुंचकर विश्व शांति बंधुत्व व मैत्री का संदेश दिये। विश्व में शांति एवं मानवता का पैगाम देने के उद्देश्य से यह राज्य स्तरीय बौद्ध सम्मेलन किया गया है यह बौद्ध सम्मेलन राज्य स्तरीय ना होकर अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन हो गया है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पुज्य भदन्त डाँ. अशिन ओत्तमाथारा महाथेरो म्यांमार ने अपने उपदेश में कहा मै सोच रहा था खुली जगह होगी ऊपर एवं चारो तरफ से पंड़ाल से घीरा होगा गरम का वातावरण को सहन करना होगा जब मै यहा पहुंचा तो मुझे बहुत सुकुन महसूस हुआ बुद्ध ऐसी ही जगह पर अपने उपदेश किया करते थे ऐसा मै इस तपोभूमि को देखकर महसूस कर रहा हूँ, मै एक ध्यानी बौद्ध भिक्खु होने के नाते इस नैसर्गिक वातावरण में ध्यान के लिए कितना अच्छा तपोभूमि का परिसर है उसको महसूस कर पा रहा हूँ, मै भिक्खु धम्मतप के निमंत्रण को स्वीकार यहा आया हूँ मै उनके प्रति आशीर्वाद प्रदान करता हूँ। मन की एकाग्रता से अनित्य, अनात्म का बोध होता है। इसलिए सभी ध्यान की स्थिति में बैठ जाये और अपने नासिका के पास श्वास के आने - जाने के प्रक्रिया को महसूस करें ऐसे करने से मन से विकार नष्ट होते है एवं मन में एकाग्रता का भाव उत्पन्न होने से आप अपने आप को हलका महसूस करोंगे एवं अनित्य, अनात्म के बोध से स्वयं के जीवन को जान सकोंगे।
आशीर्वादक पूज्य भदन्त आनंद महास्थविर जी नई दिल्ली ने अपने उपदेश में कहा भारत में बुद्ध का जन्म हुआ, विश्व में भारत की पहचान है, जब भी भारत का प्रधानमंत्री हो या कोई भी मंत्री व उद्योगपति विदेश जाता है तो कहता है मै बुद्ध के धरती से आया हूँ क्योंकि भारत का नाम विश्व पटल में बुद्ध की वजह से शांति, करूणा व मैत्री के रूप में दर्ज है। मै अंत में एक बात अवश्य कहना चाहुंगा अपने भीतर के लोभ को खत्म करना होगा तो दान किया करों दान से ही आपके भीतर का लोभ कम होगा ओर आप सुख से जीवन जी सकोंगे। मै भिक्खु धम्मतप को सफल आयोजन के लिए मंगलकामना प्रेषित करता हूँ।
मधुसुदन यादव भुतपूर्व सांसद राजनांदगांव ने अपने उद्बोधन में कहा भदन्त धम्मतप जी के माध्यम से देश - विदेश से इस तपोभूमि में बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्खुओं एवं हजारों की संख्या में लोगों का आगमन हुआ है, मै भन्ते जी को आश्वत करता हूँ हमारी सरकार आपके बताये हुए कार्य को बहुत जल्द अवश्य पुरा करेगी।
धम्मदेशना के तारत्म्य में पूज्य भदन्त डॉ. जीवक भिलाई, भदन्त बोधियाणा म्यांमार, भदन्त देवानंद नागपुर, भदन्त सुगत शान्तेय बोधगया, भदन्त महेन्द्र राजनांदगांव, भदन्त बुद्धघोष कोसीर, भदन्त धम्मदीप महानंद नैनपुर, भदन्त बुद्धपाल जिला सिवनी, भदन्त नाथापुरणो नागपुर, भन्ते ब्रम्हदत्त मुम्बई, भिक्खुणी तेजी नानी मलेशिया, भिक्खुणी विरमा मलेशिया, धम्मा याणी वियतनाम, भिक्खुणी सुन्येरा म्यांमार, भिक्खुणी श्याली त्रिसेन्या म्यांमार, भिक्खुणी संडामाता वियतनाम, भिक्खुणी श्याली अलोका नानी अमरिका, भिक्खुणी बोधीयाणी वियतनाम, भिक्खुणी करूणा म्यांमार, भिक्खुणी कवियाणी म्यांमार, भिक्खुणी धम्मा सी म्यांमार, भिक्खुणी अमरा नंयी, मुम्बई ने उपदेश देकर उपासक एवं उपासिकाओं के मन को शांति का मार्ग दिखाया। सैकड़ों बौद्ध भिक्खु एवं भिक्खुणियों की उपस्थिति में हुआ तपोभूमि में राज्य स्तरीय बौद्ध सम्मेलन एवं हजारों की संख्या में पहुंचे बौद्ध उपासक - उपासिकाएँ।
आयोजन को सफल बनाने के लिए भिक्खु धम्मतप जी के मार्गदर्शन में विशेषतः कन्हैयालाल खोब्रागड़े, सुबोध कुमार बोधगया, कुणाल बोरकर, शुभम रावत, संतोष बौद्ध, सागर रामटेके, संदीप कोल्हाटकर, राजू बारमाटे, संजय हुमने, वासुदेव मेश्राम एवं आयु. अर्चना डाँ. दिवाकर रंगारी, आयु. बुद्धिमित्रा वासनिक, आयु. अनुपमा श्रीवास, आयु. पुष्पा गायकवाड़ ने अथक परिश्राम किया।
कार्यक्रम में डॉ. विजय उके, यू. के. रामटेके, दिलीप वासनिकर, डॉ. पन्नालाल वासनिक, डी. पी. नोन्हारे, कांति कुमार फुले, डॉ. के, एल, टांडेकर, सेवकराम मेश्राम, डॉ. दीवाकर रंगारी, डॉ. उदय धाबर्डे, डाँ. भूषण भोईर, सत्यपाल खोब्रागडे, देवपाल रामटेके, दयानंद रामटेके, मोहन पाटिल, यशवंत रावत, संतोष बोरकर, मुन्ना मेश्राम, देवा रंगारी, विनोद सावरकर, नील चंद्रिकापुरे, उत्तम बागड़े खैरागढ़, रवि बंसोड़ छुईखदान, जयंत मेश्राम मोहला, बबलु खोब्रागड़े, रजत गजभिये, राजा खोब्रागड़े, डाँ. मनोज गजभिये, शिशुपाल मेश्राम कोरचाटोल, नरेन्द्र शेन्डे भिलाई, सुरज बंजारे कुमर्दा, यथार्थ सम्राट भारतीय, आयु. नंदा मेश्राम, आयु. माया वासनिक, आयु. वंदना मेश्राम, सुनीता इलमकर, बिमला रामटेके, शिल्पा कोल्हाटकर, हर्षिता गजभिये, पुनम कोल्हाटकर, पायल बारमाटे, संविता मेश्राम, प्रीति मेश्राम, प्रगति ऊके आदि ने कार्य किया।
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