महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की मां और उनके अन्य परिजनों के साथ हुई बर्बरता का मुद्दा तूल पकड़ चुका है। यह मुद्दा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने उठाया है और कांग्रेस पार्टी और उसके नेता पर अपने परिवार के साथ भी हुई इतनी बड़ी घटना पर सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति के लिए चुप्पी साधे रहने का आरोप लगा दिया है।
दरअसल, यूपी के सीएम अन्य राज्यों की तरह ही महाराष्ट्र में भी बीजेपी की ओर से यह नारा लगा रहे हैं, 'बटेंगे तो कटेंगे।' इसपर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उनपर निशाना साधा था कि वह 'योगी' होकर राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह की बातें करते हैं। इसपर योगी आदित्यनाथ ने उन्हें जवाब में कहा कि उनके लिए तो देश पहले है। लेकिन, खड़गे के लिए उनकी मां और परिवार से भी पहले 'तुष्टिकरण की राजनीति' आती है।
योगी ने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए खड़गे पर बोला है बड़ा हमला अपने दावे की पुष्टि के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खड़गे की बचपन की दुखद त्रासदी की कहानी याद दिला दी। उन्होंने आरोप लगाया कि खड़गे मुस्लिम वोट के लिए रजाकारों के उस हमले पर भी चुप्पी साधे रहते हैं, जिन्होंने उनके बचपन में ही उनसे उनकी मां और बहन और अन्य परिजनों को छीन लिया था। उन्होंने कांग्रेसी दिग्गज पर राजनीतक फायदे के लिए अपने खुद के दुखद निजी यादों को भी कुचल देने का आरोप लगाया है।
1948 का हैदराबाद नरसंहार क्या था?
1948 का हैदराबाद नरसंहार क्या था? 1947 में देश के विभाजन के करीब एक साल बाद सितंबर-अक्टूबर 1948 में हैदराबाद में एक बड़े नरसंहार को अंजाम दिया गया था। इस नरसंहार में हजारों बेगुनाह लोगों को मौत की नींद सुला दिया गया। तब हैदराबाद में निजाम की हुकूमत थी, जिसे अंग्रेजों ने भारत की अन्य देशी रियासतों की तरह स्वायत्तता दे रखी थी।
तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल की कोशिशों से करीब 550 देशी रियासतों ने तो भारत की संप्रभुता स्वीकार करके खुद को इस लोकतांत्रिक देश का हिस्सा मान लिया, लेकिन हैदराबाद का निजाम इसके लिए तैयार नहीं हो रहा था। निजाम के रजाकारों ने शुरू किया था बहुसंख्यक हिंदुओं का कत्लेआम उस दौरान जब हैदराबाद की नई दिल्ली से तल्खी बढ़ रही थी तो तब मजलिस-ए-इतिहादुल मुस्लिमीन (मौजूदा AIMIM का शुरुआती संगठन) की हथियारबंद यूनिट जो कि रजाकार मिलिशिया के नाम से कुख्यात हैं, उन्होंने बहुसंख्यक हिंदुओं पर हमला शुरू कर दिया। इस स्थिति में भारतीय सेना को हैदराबाद में दखल देना पड़ा।
निजाम की आधिकारिक सेना ने तो कुछ ही समय में हथियार डाल दिए और इस घटनाक्रम में आम नागरिकों को खास नुकसान भी नहीं हुआ। लेकिन, रजाकार मिलिशिया लूट, नरसंहार और बलात्कार जैसी घटनाओं को अंजाम देने में जुटा रहा। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस मामले की जांच के लिए एक कांग्रेसी पंडित सुंदरलाल को हैदराबाद भेजा भी, लेकिन उनकी तैयार की गई रिपोर्ट कभी जारी नहीं की गई।
कैसे रजाकारों की हिंसा में खड़गे के परिवार का हुआ कत्लेआम
खड़गे का जन्म 21 जुलाई,1942 को कर्नाटक के बीदर जिले के भाल्की तालुका के वारावट्टी गांव (हैदराबाद कर्नाटक) में एक गरीब दलित परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मापनन्ना खड़गे और साईबाव्वा खड़गे था। खड़गे मात्र 6 साल के ही थे कि उनकी मां और बहन को रजाकारों के दंगाइयों ने उनके घर में ही जला दिया था। तब वारावट्टी की तरह महाराष्ट्र तक के कई गांवों पर रजाकारों ने कब्जा कर रखा था। दरअसल, रजाकारों के आका कासिम रज्वी को हैदराबाद के निजाम ने भारत संघ में शामिल होने के लिए उठने वाली हर आवाज को कुचलने का हुक्म दे रखा था। तब निजाम के हुक्म से ही रजाकारों ने आज के ग्रामीण तेलंगाना में हिंदुओं का नरसंहार करना शुरू कर दिया था।
रजाकारों ने खड़गे की मां और परिजनों को जिंदा जला दिया
एक इंटरव्यू में खड़गे ने नम आंखों से अपने परिवार के साथ हुई रोंगटे खड़ी करने वाली उस घटना का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि जब वह अपने घर के पास खेल रहे थे और उनके पिता खेत में काम करने गए थे, तब रजाकारों ने उनके टिन शेड वाले घर को आग के हवाले कर दिया। खड़गे तो बाल-बाल बच गए, लेकिन उनकी मां और बहन जिंदा जल गईं।
कैसे बची थी खड़गे की जान?
एक और इंटरव्यू में खड़गे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने बताया, 'जो भी गांव दिख रहा था, रजाकार उसे निशाना बना रहे थे। वह चार लाख जवानों वाली मिलिशिया थी और वह बिना नेता के खुद ही हमले कर रहे थे। मेरे दादा घर पहुंचे और सिर्फ मेरे पिता को बचा पाए, क्योंकि वही उनकी पहुंच में आ सके। मेरी दादी और मेरी बुआ को बचाने में बहुत देर हो गई और वो दोनों इसमें मारी गईं।
प्रियांक ने यह भी बताया कि उसके बाद किस तरह से उनके दादा उनके पिता की जान बचाने के लिए घनी झाड़ियों में छिपे रहे। इस घटना के बाद खड़गे के परिवार को मजबूरन गुलबर्गा (कलबुर्गी) शिफ्ट करना। योगी ने मुस्लिम लीग के बहाने कांग्रेस को बनाया निशाना अपने साथ हुई इतनी बड़ी घटना पर खड़गे की चुप्पी को लेकर अमरावती की एक चुनावी रैली में सीएम योगी ने कहा, 'वे (अंग्रेज) देश में मुस्लिम लीग को बढ़ावा देने का काम पहले से ही कर रहे थे। उस समय का कांग्रेस नेतृत्व भी मुस्लिम लीग के सामने सरेंडर कर चुका था। यही वजह थी कि मुस्लिम लीग निर्दयता से हिंदुओं की हत्या कर रही थी, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व सत्ता की लालच में चुप रहा।'
खड़गे के लिए योगी आदित्यनाथ ने कहा क्या है? उन्होंने आगे कहा, 'उस समय हैदराबाद स्टेट का वारावट्टी गांव भी जलाया गया। यह खड़गे का गांव था। खड़गे की मां, चाची और बहन को भी निजाम के रजाकारों ने जला दिया था, लेकिन खड़गे सच नहीं बताना चाहते। उन्हें लगता है कि अगर वह निजाम को दोष देंगे तो उनका मुस्लिम वोट चला जाएगा। कांग्रेस इतिहास खत्म कर रही है। हैदराबाद स्टेट में निजाम के रजाकारों ने बरबर्ता से हिंदुओं का कत्लेआम किया। खड़के सच को नहीं स्वीकार करना चाहते। उन्होंने वोट बैंक के लिए अपने परिवार के त्याग को भुला दिया है।'
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