जब सुप्रीम कोर्ट में हुई व्हाट्सऐप  पर बैन की मांग ,जानिए जज साहब ने क्या किया?

जब सुप्रीम कोर्ट में हुई व्हाट्सऐप पर बैन की मांग ,जानिए जज साहब ने क्या किया?

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट से व्हाट्सऐप को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसी याचिका आई, जिसमें व्हाट्सऐप पर बैन लगाने की मांग हुई. इस मामले की सुनवाई के लिए दो जजों की बेंच बैठी.दलील सुनते ही सुप्रीम कोर्ट ने व्हाट्सएप के खिलाफ याचिका खारिज कर दी. दरअसल, नये आईटी नियमों का पालन न करने पर व्हाट्सएप पर बैन लगाने की मांग वाली जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी.

जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने आज यानी गुरुवार को व्हाट्सऐप के संदर्भ में यह आदेश पारित किया. सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया नैतिक संहिता) नियम, 2021 के अनुरूप नहीं होने के आधार पर सोशल मीडिया मंच व्हाट्सऐप पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी.

याचिकाकर्ता ओमनकुट्टन केजी ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की थी. इससे पहले उन्होंने केरल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की थी कि अगर व्हाट्सऐप सरकारी अधिकारियों की ओर से जारी किए गए आदेशों का पालन नहीं करता है तो उस पर बैन यानी प्रतिबंध लगा दिया जाए.

व्हाट्सऐरप की ओर से सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (आईटी नियम) को चुनौती देने के लिए दिल्ली कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद ओमनकुट्टन ने याचिका दायर की थी. केरल हाईकोर्ट ने जून 2021 में उस जनहित याचिका को 'समय से पहले' होने के कारण खारिज कर दिया था.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका दायर की गई. हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता ने कहा था कि व्हाट्सऐप ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष दावा किया है कि यह आईटी नियम, 2021 के दायरे में नहीं आता है क्योंकि ऐप के एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के कारण यह संदेशों के मूल का पता लगाने से रोकता है.

हालांकि, व्हाट्सएप की गोपनीयता नीति खुद कहती है कि यह कुछ खास परिस्थितियों में यूजर्स कीओर से भेजे गए संदेशों को स्टोर करेगा. इसके अलावा, इसे उनके कॉन्टैक्ट्स और अन्य जानकारियों तक भी एक्सेस हासिल है. इसके अलावा ऐप में सिक्योरिटी की कमी है, यह देश विरोधी है और असामाजिक तत्वों से भरा हुआ है जो फर्जी खबरें और तस्वीरें फैलाते हैं.

यह भी कहा गया कि कोर्ट के समन और कानूनी नोटिस देने के लिए व्हाट्सऐप जैसी मैसेजिंग सेवाओं पर निर्भरता दांव पर है क्योंकि ऐसे संदेशों की प्रामाणिकता की गारंटी नहीं दी जा सकती है.

You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे

Comments

  • No Comments...

Leave Comments