आइये जानते हैं ट्रंप की नई टीम में शामिल तुलसी गबार्ड कौन हैं? तुलसी की कहानी क्या है?

आइये जानते हैं ट्रंप की नई टीम में शामिल तुलसी गबार्ड कौन हैं? तुलसी की कहानी क्या है?

अमेरिका में आम चुनाव के बाद नए प्रशासन की रूपरेखा तैयार की जा रही है। निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जनवरी में दूसरे कार्यकाल के लिए व्हाइट हाउस लौटने वाले हैं। इससे पहले वह अपने प्रशासन के लिए चेहरों का चयन कर रहे हैं और अपनी टीम में वफादारी दिखाने वालों को तरजीह दे रहे हैं। नई नियुक्तियों में हिन्दू नेता तुलसी गबार्ड को खुफिया एजेंसी का प्रमुख बनाया गया है। तुलसी गबार्ड पवित्र गीता लेकर सांसद की शपथ लेने वाली नेता के तौर पर सुर्खियों में रही हैं।

आइये जानते हैं कि ट्रंप की नई टीम में शामिल तुलसी गबार्ड कौन हैं? तुलसी की कहानी क्या है? उन्हें को क्या जिम्मेदारी सौंपी गई है?

तुलसी गबार्ड कौन हैं?
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया विभाग का निदेशक नियुक्त किया। डोनाल्ड ट्रंप ने तुलसी गबार्ड को गर्वित रिपब्लिकन बताया और कहा कि अपनी निडर स्वभाव को वे खुफिया विभाग में भी लेकर आएंगी। ट्रंप ने कहा कि एक डेमोक्रेट पार्टी से राष्ट्रपति पद की पूर्व दावेदार होने के चलते तुलसी गबार्ड को दोनों पार्टियों में समर्थन मिलता है। मुझे उम्मीद है कि वह हमें गौरवान्वित करेंगी। तुलसी गबार्ड पहले डेमोक्रेट पार्टी में थीं लेकिन बाद में वे रिपब्लिकन पार्टी की हिस्सा बन गईं।

तुलसी का परिवार भारत का नहीं पर हिंदू धर्म से गहराई से जुड़ा है
तुलसी गबार्ड का जन्म 12 अप्रैल 1981 को लेलोआलोआ, अमेरिकी समोआ (प्रशांत महासागर का द्वीप) में हुआ था। जब वह दो साल की थीं, तब उनका परिवार हवाई चला गया। फिलीपींस में दो साल को छोड़कर, उन्हें मुख्य रूप से उनके माता-पिता ने घर पर ही पढ़ाया। तुलसी के पिता माइक गबार्ड साल 2006 से अमेरिकी राज्य हवाई से सांसद हैं। माइक अमेरिकी संसद के उच्च सदन सीनेट के सदस्य हैं। तुलसी की मां का नाम कैरोल है जो एक लेक्चरर हैं। कैरोल का जन्म अमेरिकी राज्य इण्डियाना में हुआ था। तुलसी की मां हिंदू धर्म से जुड़ गईं और बाद में उनके पिता भी इसे अपनाया।

जगदगुरु सिद्धस्वरूपानंद परमहंस का भक्त बन गया गबार्ड परिवार
1970 के दशक में तुलसी के पिता माइक गबार्ड और मां कैरोल जगदगुरु सिद्धस्वरूपानंद परमहंस का भक्त बन गए। लोगों को योग का विज्ञान सिखाने वाले सिद्धस्वरूपानंद की कहानी भी बेहद ही दिलचस्प है। सिद्धस्वरूपानंद का जब 1948 में जन्म हुआ तब उनका नाम क्रिस बटलर था। उनकी आध्यात्मिक खोज किशोरावस्था में ही शुरू हो गई थी और वे मात्र 20 वर्ष की आयु में अष्टांग और कुंडलिनी योग के गुरु बन गए। बाद में जगदगुरु परम पूज्य भक्तिवेदांत स्वामी के संपर्क में आए। जगदगुरु साइंस ऑफ आइडेंटिटी फाउंडेशन के संस्थापक हैं जो हरे कृष्ण आंदोलन का एक सहायक संगठन है। वे 45 वर्षों से अधिक समय से दुनिया भर के लोगों को योग का विज्ञान सिखा रहे हैं।

मां-पिता शाकाहारी बने और बच्चों को हिंदू नाम दिए
परमहंस के भक्त बनने के पिता तुलसी की मां और पिता शाकाहारी बन गए और अपने बच्चों को हिंदू नाम दिए। तुलसी की मां कैरोल गबार्ड ने 2000 तक साइंस ऑफ आइडेंटिटी फाउंडेशन के कोषाध्यक्ष के रूप में काम किया और हिंदू को अपना धर्म मानती हैं।

तुलसी जब 12 साल की थीं तब उन्होंने हेल्दी हवाई गठबंधन (HHC) नाम के एक एनजीओ की सह-स्थापना की थी। इसका उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना और व्यक्तिगत और सामुदायिक स्वास्थ्य में सुधार करना है।

21 साल में राज्य संसद सदस्य, इराक-कुवैत के युद्ध क्षेत्र में भी रहीं
2002 में 21 साल की तुलसी गबार्ड हवाई राज्य की संसद के निचले सदन की सदस्य चुनी गईं और ऐसा करने वाली सबसे कम उम्र की व्यक्ति बनीं। 2003 में गबार्ड ने हवाई आर्मी नेशनल गार्ड में भर्ती हो गईं और विधायी सत्रों के बीच अपना बुनियादी प्रशिक्षण पूरा किया। सैन्य सेवा के दौरान उन्होंने इराक और कुवैत के युद्ध क्षेत्र में काम किया। जुलाई 2004 में उन्हें इराक में एक साल के दौरे के लिए तैनात किया गया था। उन्होंने आर्मी नेशनल गार्ड में मेजर के रूप में भी सेवा दी। 2007 में उन्होंने फोर्ट मैकलेलन, अलबामा में एक्सेलेरेटेड ऑफिसर कैंडिडेट स्कूल से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वहीं 2009 में तुलसी ने होनोलुलु, हवाई में हवाई पैसिफिक विश्वविद्यालय से बीएसबीए की पढ़ाई की।

अमेरिकी संसद के लिए निर्वाचित होने वाली पहली हिन्दू बनीं
2007 से 2009 तक तुलसी ने अमेरिकी सांसद डैनियल अकाका के विधायी सहायक के रूप में कार्य किया। उधर तुलसी का सियासी कद बढ़ता रहा। उन्होंने 2010-2012 में होनोलुलु नगर परिषद के सदस्य के तौर पर जिम्मेदारी निभाई। तुलसी ने 2013-2016 तक डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी की उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 2012 चुनावों में गबार्ड अमेरिकी संसद के लिए निर्वाचित होने वाली पहली और एकमात्र हिन्दू बनीं। तुलसी गबार्ड जनवरी 2013 से लेकर जनवरी 2021 तक चार बार डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से सांसद रहीं। साल 2020 में तुलसी ने डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए भी दावेदारी पेश की थी। हालांकि, पर्याप्त समर्थन न मिलने के बाद तुलसी ने अपनी दावेदारी वापस ले ली थी।

भग्वद्गीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी
तुलसी गबार्ड अपनी मां की तरह खुद का धर्म हिंदू मानती हैं। किशोरावस्था में ही उन्होंने हिंदू पहचान अपना ली और पवित्र भग्वद्गीता को अपना मार्गदर्शक बना लिया। जब उन्होंने जब अमेरिकी संसद में शपथ ली तो भग्वद्गीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी। इस शपथ की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं।

2013 में सांसद बनने के बाद तुलसी ने एक साक्षात्कार में भग्वद्गीता से सीखी गईं चीजों को बखान किया था। सवाल था कि भग्वद्गीता की शिक्षा राजनीति पर कैसे लागू हो सकती है। तुलसी ने जवाब में कहा कि गीता 'सफलता या असफलता में अपना संतुलन बनाए रखने की कोशिश करना सिखाती है।'

'युद्ध के मैदान में भग्वद्गीता के संदेश में आश्रय मिला'
जब तुलसी सैन्यकर्मी के रूप में पश्चिम एशिया में तैनात थीं तब भगवान कृष्ण की सीख को युद्ध के मैदान में बखूबी इस्तेमाल किया। तुलसी ने साक्षात्कार में बताया, 'गीता वास्तव में युद्ध के बारे में नहीं है। गीता के मुख्य विषय हैं- ज्ञान, ईश्वर के प्रति प्रेम, निस्वार्थ सेवा और हममें से प्रत्येक व्यक्ति जीवन के युद्ध के मैदानों पर अपने संघर्ष में कैसे सफल हो सकता है। युद्ध के दौरान मुझे आत्मा की शाश्वतता और ईश्वर के बिना शर्त प्रेम के भग्वद्गीता के संदेश में बहुत आराम और आश्रय मिला।'

योग को प्रतिदिन प्रेरणा का स्त्रोत मानती हैं तुलसी
अमेरिकी राजनीतिज्ञ तुलसी गबार्ड हर साल योग दिवस मनाती हैं। तुलसी कहती हैं, 'योग के अनेक लाभ हैं, जो केवल हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने से कहीं अधिक हैं। भग्वद्गीता के योग के माध्यम से हम अपने आध्यात्मिक प्रेम को उजागर कर सकते हैं और उसे विकसित कर सकते हैं तथा एक अधिक शांतिपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण समाज और विश्व का निर्माण कर सकते हैं। योग मुझे प्रतिदिन प्रेरित करता है।'

पारंपरिक वैदिक समारोह में शादी की
2002 में 21 साल की उम्र में तुलसी गबार्ड ने एडुआर्डो तामायो से शादी की। नेशनल गार्ड के साथ काम करते हुए 2006 में गबार्ड को एडुआर्डो ने तलाक दे दिया गया। एडुआर्डो ने तलाक का कारण 'युद्ध के कारण सैन्य जीवनसाथी और परिवारों पर पड़ने वाले तनाव' को बताया।

2015 में तुलसी गबार्ड ने पारंपरिक वैदिक विवाह समारोह में अपने होनोलुलु कार्यालय प्रबंधक के बेटे, फ्रीलांस सिनेमैटोग्राफर और संपादक अब्राहम विलियम्स से शादी कर ली। 2012 में विलियम्स प्रतिनिधि सभा में सीट के लिए तुलसी गबार्ड के अभियान में स्वयंसेवक थे। विलियम्स फोटोग्राफर थे और उसी दौरान तुलसी की कई प्रसिद्ध तस्वीरें लीं। तुलसी ने बताया कि डेढ़ साल बाद एक मित्र ने उनके लिए जन्मदिन की पार्टी रखी, जहां विलियम्स ने उनसे बाहर जाने के लिए कहा और फिर प्रपोज किया। इस जोड़े ने 2015 में हवाई के काहलु के पूर्वी तट पर पारंपरिक वैदिक समारोह में विवाह किया।
 

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