जनसुनवाई के दौरान हंसने पर अधिकारी की नौकरी खतरे में

जनसुनवाई के दौरान हंसने पर अधिकारी की नौकरी खतरे में

 मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक अधिकारी को हंसना महंगा पड़ गया है। अपर कलेक्टर ने अधिकारी को अनुशासनहीनता और कार्य के प्रति लापरवाही को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी कर दियाहै। नोटिस की प्रतिलिपि सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।

दरअसल, पूरा मामला 20 दिन पहले यानि 29 अक्टूबर का है। इस दिन छतरपुर के जिला पंचायत भवन के सभाकक्ष में जनसुनवाई चल रही थी।

जिसमें ई-गवर्नेंस के सहायक प्रबंधक केके तिवारी किसी बात पर हंस दिए। यह नोटिस कथित तौर पर अपर कलेक्टर मिलिंद नागदेव द्वारा जिला कलेक्टर कार्यालय में ई-शासन के सहायक प्रबंधक के के तिवारी को जारी किया गया था।

नोटिस में कहा गया है कि तिवारी को 29 अक्टूबर को जनसुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हंसते हुए देखा गया, जो अनुशासनहीनता और कर्तव्य के प्रति लापरवाही है। नोटिस में अपर कलेक्टर ने कहा कि यह मध्य प्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के तहत गंभीर कदाचार है। मध्य प्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के तहत दंडनीय है। गौरतलप है कि राज्य भर में मंगलवार को चुनिंदा सरकारी कार्यालयों में जन सुनवाई आयोजित की जाती है।

अपर कलेक्टर ने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए दावा किया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है। कारण बताओ नोटिस कैसे जारी किया गया और वह अपने कार्यालय में पूछताछ करेंगे। हालांकि, तिवारी ने कहा कि उन्होंने नोटिस का जवाब दे दिया है।
 






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