पूर्ववर्ती छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार आई तो थी सत्ता में जन आकांक्षाओं और छत्तीसगढ़ी अस्मिता के नाम पर धान का समर्थन मूल्य बढ़ा कर तीजा पोरा को महोत्सव बनाकर उसने शुरुआत भी अच्छी की थी,पर ये योजनाएं पुस्तक की जिल्द (कवर ) साबित हो गई । भ्रष्टाचार के पन्ने दर पन्ने उसमें समाहित होने लगे और सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरती गई ,इन आरोपों को धोने का कोई प्रयास हुआ, न हीं कोई ठोस फैसले लिए गए । सो छत्तीसगढ़ियों ने अपनी आस छोड़ दी । फैसला बदल दिया गलती की शुरुआत नरवा,गरवा, घुरवा अउ बारी जैसे महत्वाकांक्षी योजनाओं पर पलीता लगाकर किया गया ।ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आमूल -चूल परिवर्तित करने की क्षमता रखने वाली ये योजनाएं नेताओं और अफसर के घरों की अर्थव्यवस्था बदले के काम आने लगी ।रही सही कसर गोबर खरीदी ने पूरी कर दी नरवा, गरवा, घुरवा अउ बारी जो सरकार का सूत्र वाक्य था ,वही जब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया तो फिर बाकी योजनाओं का भी यही हश्र होना था और हुआ भी । सरकार बार-बार भ्रष्टाचार के आरोपों से लिपटती रही धीरे-धीरे धारणाओं में लुटती रही और विधानसभा चुनावों में पूरी तरह लूट और पराभावित होकर पराजित हो गई ।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों का पुत्र मोह कम या ज्यादा उनके पराभाव का कारण रहा है ,पर पुत्र मोह में आदमी धृतराष्ट्र हो जाता है सो उन्हें कुछ दिखाई देगा या दे रहा होगा ऐसा तो होने से रहा पर जो नेता पुत्र मोह में अंधे होकर अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक को भ्रष्टाचार की घुट्टी पिला लेते हैं ,वों चाहे तो ईमानदार और समदर्शी भी हो सकते हैं, पर जन सेवा की जगह स्वसेवा उन्हें ऐसा करने से रोकती है । पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में पीएससी अध्यक्ष रहे सोनवानी जी भर्ती घोटाले में गिरफ्तार कर लिए गए, एक और छत्तीसगढ़िया छत्तीसगढ़ का अधिकारी ,छत्तीसगढ़ के नौजवानों के भविष्य से खेलता पाया गया ।सारी मेंधा प्रदेश के अफसर और नेताओं के घर में ही पाई जाती है दो दर्जन से अधिक उम्मीदवार जो नेताओं के बेटा,बेटी,भांजे भांजी,भतीजा,भतीजी या बहू थे ।सबके सब उपजिलाधीश ,उप पुलिस अधीक्षक से लेकर तमाम राजपत्रित पदों पर चयनित हो गए ।एक ही परिवार के दो से अधिक उम्मीदवारों ने अपनी प्रवीणयता का परचम इन परीक्षाओं में दिखाया ।तत्कालीन पीएससी अध्यक्ष सचिव के रिश्तेदारों के साथ नेताओं के रिश्तेदारों को भी उपकृत किया गया।अब इससे चाहे कितने भी छत्तीसगढ़िया नौजवानों का भविष्य खराब हुआ हो उन्हें क्या लेना वों तो एक दूसरे की पीठ खुजा रहे ।भ्रष्टाचार के बोनसाई को बरगद बना रहे । कोयला,रेत,आबकारी जुआ सट्टा का महादेव एप्प घोटाले पे घोटाले, इन घोटालों में नप गए सारे दल्ले सत्ताधीशो को अब इन जांच की कितनी आंच पड़ी है ,सबको दिख रहा है सारे घोटालों में अधिकारी और कर्मचारी तो निपट गए पर राजनेता अपने घर में चैन की बंसी बजा रहे हैं।अभी तक तो घोटालों के आरोपों में अधिकारी,कर्मचारी और व्यापारी, राजनीतिज्ञ आरोपो के घेरे में थे अब एक कड़ी और जुड़ गई प्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज हो गई ।
मतलब विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सब भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हुए हैं, लोकतंत्र के चौथे हिस्से मीडिया के कई कर्णधारों ने महादेव ऐप से लेकर अन्य मामलों में अपनी हिस्सेदारी ली है। इन घोटालों में गिरफ्तार किये गए कई आरोपियों ने राजनेताओं, अफसरों और व्यापारियों एवं मीडिया कर्मियों के नाम अपने बयान में लिए हैं उनकी भूमिका बताई है, फिर भी वों बाहर घूम रहे ।छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में लोकतंत्र के चारों स्तंभों ने मिलकर भ्रष्टाचार को पोषित किया और पल्लवित किया । छत्तीसगढ़ की जनता ने उन्हें सत्ताच्युत करके अपना फैसला तो सुना दिया पर वर्तमान सरकार की जवाबदेही है कि इन भ्रष्टाचार के आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें । ध्यान रहे की पुलिस के कई बड़े अधिकारियों की संलिप्तता के आरोप हैं ऐसे में वों अपने आका और काका को बचाने की पुरजोर कोशिश करेंगे । इससे पार पाना सरकार को है, भ्रष्टाचारियों के भविष्य के साथ वर्तमान सरकार का भविष्य निर्धारित होगा । सरकार कोशिश तो कर रही है पर कोशिश कितनी कामयाब होगी ये सरकार की ईमानदारी पर है,सिर्फ गिरफ्तारी नहीं न्याय चाहिए। आसार अभी तो ठीक नहीं दिख रहे सारे आरोपी जेल में भी सरकारी दामाद बनें बैठे हैं । हर सुविधाए उन्हें वहां प्राप्त हो रही है ऐसे में न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है? जब जेल प्रशासन में उनका प्रबंधन कमाल चल रहा है तो जांच और न्याय में भी ये प्रबंधन कुशलता चल सकती है?
भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों से छत्तीसगढ़ का हित नहीं सधने वाला।
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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