पांडवों के साथ हमेशा साये की तरह रहने वाले और उनकी रक्षा करने वाले श्रीकृष्ण उस वक्त कहाँ थे जब युद्धिष्ठिर जुए में द्रौपदी को हार गए और उसके बाद दुःशासन ने द्रौपदी के चिर हरण करने की कोशिश की? दरअसल इस कहानी की पटकथा शिशुपाल के वध के समय हीं लिख दी गई थी।
जब द्रौपदी के चीरहरण के प्रसंग का पटाक्षेप हो गया और श्रीकृष्ण पांडवों से मिलने आये तब युद्धिष्ठिर ने उनपर आक्षेप लगाते हुए उनकी अनुपस्थिति का कारण पूछा। तब इस प्रश्न के उत्तर में श्रीकृष्ण ने स्वयं हीं द्रौपदी के चीरहरण के समय स्वयं के अनुपस्थित रहने का कारण बताया। इस घटना का सम्बन्ध भीष्म, अम्बा (जो बाद में शिखंडी के नाम से जाना गया ),, शिशुपाल और अम्बा के प्रेमी शाल्व से है।
शाल्व काशी नरेश की पुत्री अम्बा का प्रेमी था। लेकिन भीष्म पितामह ने अम्बा सहित काशी नरेश की दो अन्य पुत्रियों अम्बिका और अम्बालिका का अपहरण अपने अनुज के साथ शादी कराने के लिए कर लिया।
जब बाद में ये ज्ञात हुआ कि अम्बा शाल्व से प्रेम करती है, तो उसे शाल्व के पास भेज दिया।
जब अम्बा शाल्व के पास पहुँची तो शाल्व ने भी उसे स्वीकार नही किया। वह पुनः भीष्म के पास पहुँची तो भीष्म ने भी स्वीकार नही किया। भीष्म से प्रतिशोध लेने के लिए वो अनिगिनत राजाओं के पास सहायता माँगने के लिए गई परंतु भीष्म के भय से किसी ने भी अम्बा की सहायता नहीं की।
अंततोगत्वा वो भीष्म के गुरु परशुराम के पास सहायता माँगने पहुँची। इसकी परिणिति गुरु परशुराम और भीष्म के बीच भयंकर युद्ध में हुई परंतु हार या जीत का निर्णय नहीं हो सका। अंत में अम्बा ने ये वरदान प्राप्त किया कि वो अगले जन्म में भीष्म की मृत्यु का कारण बनेगी। अम्बा ने अग्नि समाधि ली और द्रुपद पुत्र शिखंडी के रूप में उसने अगला जन्म लिया।
ये द्रुपद पुत्र शिखंडी आगे चलकर कृष्ण और पांडवों की पक्ष से महाभारत का युद्ध करता है और भीष्म की मृत्यु का कारण बनता है। बाद में महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने शिखंडी का वध किया और श्रीकृष्ण द्वारा श्रापित होकर घाव से भरा हुआ शरीर लेकर सृष्टि के अंत तक जीवन जीने को बाध्य हो गया।
इस प्रकार इस प्रेमी युगल के एक किरदार अम्बा (जो कि बाद में शिखंडी के रूप में जाना जाता है) का अंत होता है, जो पांडवों कृष्ण की तरफ से कौरवों के विरुद्ध लड़ती है और उसकी जघन्य हत्या करने वाले अश्वत्थामा को श्रीकृष्ण के कोप का शिकार भी होना पड़ता है।
इस प्रेमी युगल का दूसरा किरदार शाल्व है। श्रीकृष्ण ने युद्धिष्ठिर द्वारा आयोजित राजसूय यज्ञ के अवसर पर शिशुपाल द्वारा भरी सभा में स्वयं के अपमानित होने पर , शिशुपाल का वध अपने सुदर्शन चक्र से कर दिया। शाल्व शिशुपाल को अपने छोटे भाई के समान मानता था। उसके पास शिव जी वरदान प्राप्त एक रथ भी था जिसे वो अपनी ईक्छानुसार कहीं भी ले जा सकता था।
जब शाल्व को श्रीकृष्ण द्वारा शिशुपाल के वध का समाचार मिला तब उसने बदला लेने के लिए श्रीकृष्ण के राज्य द्वारका पर आक्रमण कर दिया। श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न, शाम्ब और अन्य अन्य यदुवंशियों सात्यकि , कृत्वर्मा इत्यादि से उसका सामना हुआ। यदुवंशियों और शाल्व की सेना के बीच वो युद्ध बहुत भयंकर था ।
महाभारत का युद्ध तो मात्र 18 दिन चला था। लेकिन दुवंशियों और शाल्व की सेना के बीच का वो युद्ध 28 दिन चला। इस युद्ध की विभीषणता का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि युद्ध के दौरान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न एक बार तो बेहोश भी हो गए थे और सारथी द्वारा युद्ध के मैदान से बाहर भी निकाले भी गए थे ताकि उनके जान की रक्षा की जा सके ।
इधर जब युद्धिष्ठिर दुर्योधन द्वारा आमंत्रित किये जाने पर द्युत खेलने हस्तिनापुर आये तो उधर श्रीकृष्ण का मन हीं मन किसी अनहोनी घटना के होने से आशंकित होने लगा और वो द्वारका चले गए। जब श्रीकृष्ण द्वारका पहुँचे और वहाँ का नजारा देखा तो अपने बड़े भाई बलराम पर नगर की सुरक्षा का भार सौप कर शाल्व से युद्ध करने की अग्रसर हो चले।
दोनों के बीच भयंकर युद्ध होने लगा। जब युद्ध कौशल द्वारा शाल्व श्रीकृष्ण को जीत नहीं पा रहा था तो उसने माया का सहारा लिया। उसने माया द्वारा श्रीकृष्ण के पिता की रचना की और उनका वध कर दिया। यह देखकर श्रीकृष्ण थोड़ी देर के लिए घबड़ा गए परंतु थोड़ी हीं देर में उनको एहसास हो गया कि ये शाल्व की माया थी। इसके बाद उन्होंने सुदर्शन चक्र से शाल्व का वध कर दिया।
ये वही समय था जब युद्धिष्ठिर द्युत क्रीड़ा में द्रौपदी को दुर्योधन के हाथों हार गए थे और दुःशासन ने दुर्योधन के कहने पर द्रौपदी के चीरहरण करने का प्रयास किया। ये बात और है कि शाल्व के साथ युद्ध में शरीक होने के बावजूद श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की पुकार सुनी और द्रौपदी के सम्मान की रक्षा की।
इस प्रकार इस प्रेमी युगल अम्बा (जो बाद में शिखंडी बनी) और शाल्व की कहानी का अंत हुआ। इस प्रेमी युगल की कहानी में श्रीकृष्ण शामिल रहे। जहाँ अम्बा श्रीकृष्ण के पक्ष से शिखंडी के रूप में युद्ध करती है और उसका वध करने वाला अश्वत्थामा श्रीकृष्ण के क्रोध का शिकार बनता है, तो दूसरी तरफ अम्बा का प्रेमी शाल्व श्रीकृष्ण से युद्ध कर मृत्यु को प्राप्त होता है।
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