शराबबंदी की कसमे शराब के पैसे से लड़ा चुनाव

शराबबंदी की कसमे शराब के पैसे से लड़ा चुनाव

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के दौरान हुए बहुचर्चित शराब घोटाले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। राज्य के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने सेवानिवृत्त IAS अधिकारी अनिल टुटेजा को इस अवैध शराब सिंडिकेट का सरगना बताते हुए अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। EOW ने कोर्ट को बताया कि शराब घोटाले के पैसे से कांग्रेस ने 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ा।

EOW ने आरोप लगाया है कि टुटेजा ने संगठित तरीके से राज्य में अवैध शराब कारोबार को बढ़ावा दिया। आरोप पत्र में कहा गया है कि इस अवैध कारोबार में राजनीतिक हस्तियों और बड़े अधिकारियों की मिलीभगत थी। अनिल टुटेजा पर आरोप है कि उन्होंने अवैध शराब की बिक्री के लिए सिंडिकेट बनाया और इसमें विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू और अन्य लोगों को शामिल किया। सुब्बू पर आरोप है कि उसने अवैध धन को इकट्ठा कर इसे टुटेजा के करीबी अनवर ढेबर तक पहुंचाया।

अवैध होलोग्राम का उपयोग

शराब की बिक्री को वैध दिखाने के लिए नकली होलोग्राम का इस्तेमाल किया गया। इस मामले में सुनील दत्त, जो एक प्राइवेट कंपनी के अकाउंटेंट थे, को दोषी पाया गया है। इन नकली होलोग्राम के जरिए डिस्टलरियों से शराब बेची गई, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ। EOW और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में सामने आया है कि 2019 से 2022 के बीच राज्य में बेची गई कुल शराब का 30-40 प्रतिशत हिस्सा अवैध था। इस अवैध कारोबार से सरकार को तीन साल में करीब 2000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

जांच एजेंसियों के मुताबिक, अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर के बीच 14.41 करोड़ रुपये के वित्तीय लेनदेन के सबूत भी मिले हैं। सिंडिकेट के अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू के फरार होने पर कोर्ट में उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है। इस मामले के बाद कांग्रेस सरकार के ऊपर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्ष ने इस घोटाले को लेकर सरकार पर कड़ा हमला बोलते हुए न्यायिक जांच की मांग की है।

क्या है आगे का रास्ता?

EOW और ED की जांच जारी है। अब यह देखना होगा कि इस मामले में और किन-किन नामों का खुलासा होता है और राज्य सरकार इन आरोपों पर क्या सफाई देती है।

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला क्या है?

यह घोटाला राज्य में 2019 से 2022 के बीच हुआ, जहां अवैध रूप से शराब बेची गई। जांच में खुलासा हुआ कि कुल बेची गई शराब का 30-40 प्रतिशत हिस्सा अवैध था। इस अवैध कारोबार से सरकार को लगभग 2000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ। इसमें नकली होलोग्राम और अवैध धन का लेन-देन भी शामिल है।

इस घोटाले में कौन-कौन शामिल हैं?

आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) के अनुसार, सेवानिवृत्त IAS अधिकारी अनिल टुटेजा को इस सिंडिकेट का सरगना बताया गया है। उनके अलावा विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू, अनवर ढेबर, और सुनील दत्त जैसे नाम भी इस मामले में आए हैं। अनिल टुटेजाः अवैध शराब सिंडिकेट के मुख्य संचालक, विकास अग्रवाल: सिंडिकेट के अवैध धन का प्रबंधन, सुनील दत्तः नकली होलोग्राम सप्लाई कर घोटाले में भूमिका निभाई।









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