राजनीति के अपने पैर नहीं होते वों अवधारणाओं के पैरों पर चलती है, इसलिए राजनीति और मीडिया एक दूसरे के पूरक हैं। राजनीतिज्ञों को अवधारणाओं को जनधारणाएं बनाने के लिए उसे मीडिया के द्वारा संप्रेषित करना होता है और मीडिया अपनी इसी शक्ति का उपयोग और दुरुपयोग अपने बुद्धजीवी या परजीवी होने के आधार पर करती है ।आजादी के बाद दशकों तक एक ही पार्टी का शासन था तो मीडिया का बौद्धिक आंकलन नहीं हो पाया। जब से देश की राजनीति फिजा एकदलीय से बहुदलीय हुई ,बुद्धजीवियों की नैतिकता सामने आ गई ।सम्भल के सांसद बर्क का बयान अपने दादा पूर्व सांसद शफीकुर्रहमान बर्क से भी ज्यादा तेजाबी है। न्यायालय में मस्जिद का सर्वे आदेशित किया तो सम्भल में तनाव,उनका कहना है कि वों पुलिस से नहीं डरते पीढ़ी बदल गई कट्टरता बढ़ गई कुंदरकी (उ. प्र.) में दरोगा के हाथों में रिवाल्वर देखकर अखिलेश यादव ने इसे लोकतंत्र का कलंक बताया पर पुलिस पर पत्थर फेंकने वाले लोकतंत्र के माथे पर चंदन लगा रहे थे ।यूपी की हर उस विधानसभा सीट पर बवाल मचा जो मुस्लिम बाहुल्य है, उन मतदान केंद्रों पर विवाद खड़े किए गए जिन मतदान केंद्रों पर मुस्लिम मतदाता ज्यादा थे।
महाराष्ट्र में मुस्लिम मतों की आवश्यकता इतनी महसूस की गई कि मुस्लिम आरक्षण वक्फ बोर्ड,आरएसएस पर प्रतिबंध जैसे 17 सूत्रीय जमीयत ए उलेमा हिंद की मांगे इंडिया गठबंधन ने मौन स्वीकृति दे दी । विगत लोकसभा चुनाव में आरक्षण और संविधान बदलने की झूठी अवधारणाएं गढ़ी गई, परिणाम मोदी सरकार की जगह एनडीए की सरकार बन पाई ।इन सबके बाद भी इस देश में गोदी मीडिया की अवधारणा बनाई गई, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मीडिया उनके गुजरात के मुख्यमंत्री रहते कितना पसंद करती थी जों आज करेगी । मोदी नेगेटिव मार्केटिंग की उपज है जिन्हें अपने कर्मों ने यहां तक पहुंचाया ,मोदी देश के ऐसे नेता हैं जिन्हें विश्व के कई देशों ने अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया। देश प्रगति पथ पर निरंतर बढ़ते हुए अपनी वैश्विक पहचान और शक्ति बना रहा है। अब यदि इतनी विशेषताओं के बाद भी भाजपा बहुमत नहीं पा सकी तो इसमें दोष किसका है? इंडिया गठबंधन के प्रवक्ताओं के तथ्य से परे कथ्य थेथरई और अपशब्दों वाली शब्दशैली के बाद भी अपने पैतृक अमेठी की सीट से चुनाव हारने के बाद भी राहुल गांधी का राजनीतिक कद क्यों और कैसे बढ़ गया?
एक तरफ वों व्यक्तित्व है जिसके नेतृत्व में भाजपा कभी चुनाव नहीं हारी और एक तरफ वों व्यक्तित्व है जिसके नेतृत्व में कांग्रेस एक भी चुनाव नहीं जीती।
विधानसभा की इक्का -दुक्का जीत भी क्षेत्रीय छत्रपो के दम पर मिली । देश और प्रदेशों पर एक छत्र राज करने वाली कांग्रेस गठबंधन में कई प्रदेशों में पिछलग्गु और कहीं-कहीं शून्य ,कांग्रेस मुक्त भारत का सपना मोदी जी का इसलिए कमजोर पड़ गया क्योंकि भाजपा प्रवक्ताओं ने अवधारणाएं बनाने में सुस्ती दिखाई। सारी प्रतिभाओं के बाद भी ये समझने में नाकाम रहे की नाकाम व्यक्तित्व मोदी के व्यक्तित्व के सामने ठहर कैसे जा रहा हैं ?ये हुआ इसलिए क्योंकि वों कह रहे कि मुस्लिमों को यूपी में वोट नहीं देने दिया गया ,आप बूथ वॉइस मतदान का आंकड़ा जारी कर देते तो वों कहते हैं आप आरक्षण खत्म कर देंगे तों देश की जनता को बताते कि जम्मू कश्मीर, AMU, जामिया, मिलिया में ये आरक्षण देते ही नहीं । पिछड़ा वर्ग का आरक्षण काटकर कई राज्यों में उन्होंने मुस्लिमों को दे दिया है संविधान में कई संशोधन हुए नब्बे से ज्यादा निर्वाचित सरकारें बर्खास्त की गई ,देश में आपातकाल भी कांग्रेस ने लगाया वों संविधान की रक्षा करेगी? गोधरा कहने से सिर्फ दंगा ही सुनाया और दिखाया जाता है ,ये नहीं बताया जाता कि उसके पहले सत्तर कार सेवकों कों ट्रेन में जिंदा जला दिया गया था, निहत्थे कार सेवकों पर गोली चलाकर सरयू को लाल करना जायज था लेकिन पत्थर फेंकते लोगों पर दरोगा की कार्यवाही लोकतंत्र की हत्या? वोट जिहाद की उत्पत्ति मारिया आलम (पूर्व कांग्रेसी मंत्री सलमान खुर्शीद की भतीजी )के उदगार थे मुस्लिम बहुल कश्मीर से लेकर किसी भी मुस्लिम निर्वाचन क्षेत्र से कितने हिंदू चुनाव जीत जाते हैं या कौन सी राजनीतिक पार्टी हिंदुओं को टिकट देती है ,क्या यही प्रक्रिया हिंदू बहुल सीटों की है। 20% आबादी का वोट एक तरफा गिरे उसके सारे जतन मौलाना, मौलवी से लेकर मुस्लिम नेताओं के बयान पढ़ लीजिए उसमें कट्टरता ही दिखेगी । इतना होने पर भी ये कैसे स्थापित करने की कोशिश की जाती है हिंदू सांप्रदायिक है, देश सांप्रदायिक हो रहा है हिंदू भाजपा को मत दे तो वों सांप्रदायिक मत, मुस्लिम इंडिया गठबंधन (कांग्रेस) को दे तो धर्मनिरपेक्ष मत ,अब भाजपा के अवधारणा बनाने वालों को ये अवधारणा विकसित करनी होगी कि मत सिर्फ मत हैं---------------------------------------- सांप्रदायिक या धर्मनिरपेक्ष नहीं
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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