भोपाल :दशकों तक कांग्रेसी रामविलास रावत ने युवा कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरुआत की 1993 में पहली बार दिग्विजय सिंह के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बने । पिछला विधानसभा चुनाव कांग्रेस की टिकट पर जीते पर इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए थे ,जिसकी वजह से उन्हें विजयपुर से उपचुनाव लड़ना पड़ा। जहाँ वो मंत्री रहते हुए चुनाव हार गए और फिर मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा।
मध्य प्रदेश की दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम बराबरी वाले रहे। विजयपुर विधानसभा सीट पर राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री रामनिवास रावत को हार का मुंह देखना पड़ा। यहां कांग्रेस के मुकेश मल्होत्रा ने 7,364 वोटों से जीत हासिल की। रामनिवास रावत ने नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री मोहन यादव को इस्तीफा भेज दिया है। रामनिवास रावत मध्य प्रदेश सरकार में वन और पर्यावरण मंत्री थे। साढ़े चार माह पहले मंत्री रावत नियमानुसार अधिकतम डेढ़ माह तक ही मंत्री रह सकते थे।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की सीट रही बुधनी से भाजपा के रमाकांत भार्गव ने कांग्रेस के राजकुमार पटेल को 13,901 मतों से पराजित किया।भाजपा अपनी परंपरागत सीट बुधनी जीत तो गई, लेकिन पिछले चुनाव की तुलना में जीत का अंतर 87 प्रतिशत घट गया। श्योपुर जिले की विजयपुर सीट पहले भी कांग्रेस के पास ही थी, रामनिवास इस सीट पर छह बार कांग्रेस से ही जीत कर विधायक बने थे।
बुधनी सीट भाजपा के ही पास है
उन्होंने भाजपा में शामिल होकर विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दिया था, जिसके कारण उपचुनाव हुआ। भाजपा ने उन पर भरोसा जताते हुए दांव लगाया पर उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा है और यह सीट अभी भी कांग्रेस के पास है। वहीं, बुधनी सीट भाजपा के ही पास है।
हालांकि परिणाम को शिवराज सिंह और भाजपा के अनुकूल नहीं कहा जा सकता क्योंकि यहां पार्टी जीत के पिछले अंतर से काफी पिछड़ गई। बुधनी में भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव को 1,07,478 (50.32 प्रतिशत) मत मिले। कांग्रेस ने अपने अनुभवी नेता राजकुमार पटेल को टिकट दिया था। उन्हें 93,577 (43.82 प्रतिशत) मत मिले।
वन मंत्री रामनिवास रावत की हार में आदिवासी वर्ग की भूमिका
मध्य प्रदेश में दो सीटों पर उपचुनाव के परिणाम से भले ही दोनों पार्टियों की दलीय स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ, लेकिन विजयपुर सीट पर हार ने मंत्री रामनिवास रावत के राजनीतिक भविष्य पर फिलहाल विराम लगा दिया है। जातिगत समीकरणों में बंटे विजयपुर सीट के उपचुनाव में आदिवासी मतदाताओं ने कांग्रेस का साथ दिया।
भाजपा के कई दिग्गजों के जरिए खूब प्रचार किया
बीजेपी की ही रणनीति को अपनाते हुए कांग्रेस ने इस क्षेत्र के 60 आदिवासी मतदाताओं पर फोकस करते हुए सहरिया आदिवासी प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा को चुनाव में उतारा। जिससे यहां का चुनाव आदिवासी बनाम ओबीसी में बदल गया था और इसका फायदा कांग्रेस को जीत हासिल करने में मिला।
भाजपा ने इस सीट पर सीएम डॉ मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर सहित कई दिग्गजों के जरिए खूब प्रचार किया, लेकिन उपचुनाव से ज्योतिरादित्य सिंधिया की दूरी का भी नकारात्मक असर पड़ा। जबकि कांग्रेस से यहां मोर्चा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने संभाला तो पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही।
कांटे की टक्कर के बावजूद बुधनी में बची रही शिवराज की प्रतिष्ठा
पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के त्यागपत्र देने से रिक्त हुई सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा सीट पर उपचुनाव में कांटे की टक्कर रही। हालांकि इसमें शिवराज की प्रतिष्ठा कायम रही। भाजपा ने उनके विश्वासपात्र और विदिशा से पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव को प्रत्याशी बनाया था।
मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ ही केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह और उनके बेटे कार्तिकेय सिंह ने भी भार्गव के समर्थन में चुनाव प्रचार किया। यही कारण है कि भाजपा यहां चुनाव जीतने में सफल रही, लेकिन जीत का आंकड़ा जरूर कम हो गया। कांग्रेस ने अनुभवी नेता माने जाने वाले पूर्व विधायक राजकुमार पटेल पर दांव लगाया। राजकुमार पटेल किरार समाज से आते हैं, जिसका प्रतिनिधित्व शिवराज सिंह भी करते हैं और उन्हें एकतरफा समर्थन भी मिला है।
शिवराज सिंह चौहान बुधनी से छह बार चुनाव जीते
इस बार यह समाज बंट गया जिसका लाभ राजकु मार पटेल को मिला। राजकुमार पटेल के नाम पर पार्टी में कोई मतभेद भी नहीं था, यही कारण है कि कांटे के मुकाबले में रमाकांत भार्गव को महज 13,901 मतों के अंतर से जीत मिली। शिवराज सिंह चौहान बुधनी से छह बार चुनाव जीते हैं। 2023 के चुनाव में उन्हें 1,04,974 वोटों के अंतर से जीत मिली थी।
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