सामने आया संभल हिंसा का खतरनाक ऑडियो क्लिप : भीड़ जुटाने और हथियार लाने की साजिश का हुआ पर्दाफाश......

सामने आया संभल हिंसा का खतरनाक ऑडियो क्लिप : भीड़ जुटाने और हथियार लाने की साजिश का हुआ पर्दाफाश......

उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा के दौरान अधिक लोगों को हथियारों के साथ जुटाने के संबंध में एक ऑडियो क्लिप सामने आई है. एक्सक्लूसिव रूप से इंडिया टुडे के पास वो ऑडियो क्लिप है. यह हिंसा तब भड़की थी, जब कोर्ट के आदेश पर आर्कियोलॉजिकल सर्वे की टीम मस्जिद में सर्वे के लिए पहुंची. इस दौरान भीड़ और पुलिस के बीच झड़पें हुईं, जिसमें पांच लोग मारे गए.

जांच टीम ने ये ऑडियो क्लिप उनके फोन से बरामद की है, जिन्हें इस हिंसा में संदेह के आधार पर हिरासत में लिया गया है. इस क्लिप में, एक अज्ञात व्यक्ति को मुगल-युग की शाही जामा मस्जिद के पास अधिक लोगों को जुटाने की अपील करते सुना जा सकता है. शख्स को कहते सुना जा सकता है, "सामान लेकर आ मस्जिद के पास, मेरे भाई का घर है."

ऑडियो क्लिप के बाद तीन हिरासत में

दंगाइयों के ऑडियो क्लिप पर संभल पुलिस बड़ी कार्रवाई कर रही है. ऑडियो में पुलिस का कहना है कि तमंचा लाने की बात चल रही है. ऑडियो में सामने आए नामों को पुलिस ने पकड़ा है. तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनकी पहचान आमिर पठान, मोहम्मद अली और फैजान अब्बासी के रूप में हुई है. बताया जा रहा है कि इन तीनों ने 49 दंगाइयों के नाम भी बताए हैं, जिनकी पहचान पुलिस कर रही है. इन सभी आपस मे बात करके भीड़ को मस्जिद के पास आने को कहा था.

25 लोग पहले से हिरासत में

पुलिस ने पहले 25 लोगों को गिरफ्तार किया है और सात एफआईआर दर्ज की हैं. समाजवादी पार्टी के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क और स्थानीय विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल के नाम भी एफआईआर में शामिल हैं. पुलिस ने अपनी एफआईआर में आरोप लगाया है कि बर्क ने हिंसा से पहले शाही जामा मस्जिद का दौरा किया और उकसाने वाले बयान दिए, जिससे घटना घटी हिंसा उस समय शुरू हुई जब शहर की एक स्थानीय अदालत ने शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण का आदेश दिया. दावा किया गया कि यहां पहले एक मंदिर था. मसलन, रविवार को मस्जिद के पास पहुंची पुलिस और स्थानीय भीड़ में झड़पें हुई, जो कि सर्वेक्षण टीम के साथ थी.कहा जा रहा है कि हिंसा के दौरान पुलिस पर पत्थरबाजी की गई और आगजनी हुई. कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए. पुलिस ने मामले में संदिग्ध लोगों की तस्वीरें भी शेयर का थी, जिनकी तस्वीरें राज्य सरकार के मुताबिक, सार्वजनिक रूप से लगाई जाएगी, ताकि उनकी पहचान की जा सके.






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