छत्तीसगढ़ के उदय के साथ सरकारों का अवसान भ्रष्टाचार, पुत्रमोंह,बेलगाम,अफसरशाही और जड़ों से कटने के कारण हुआ । जब सत्ता परिवर्तित नहीं हुई तो उसके कारण बेदाग छवि और प्रभावी कार्यशैली थी। इसी कारण भाजपा की दो सरकारों ने निष्कंटक राज किया, तीसरी बार सरकार की छवि उपरोक्त कारणों से ही धूमिल हुई, सत्ता से बाहर हुई। कांग्रेस की दोनों सरकारों ने अपनी पहली समयावधि में ही ,उपरोक्त करणों को अंगीकार कर अपना अंग -भंग करा लिया दुबारा सत्ता में वापस नहीं लौट पाए । सुशासन और बदनाम शासन की पीड़ा दोनों के दावे और पीड़ा को दोनों दलों की सरकारों ने भोगा है।भोग विलास की लालसा में जनसेवा की जगह स्वसेवा की सुगबुगाहट फिर दिख रही है ,छत्तीसगढ़ की पहली सरकार इस विश्वास के साथ चुनाव में उतरी थी कि सत्ता वापसी सुनिश्चित है ,चुनाव महज औपचारिकता है। विश्वास सत्यता की कसौटी पर खरा नहीं उतरा,अति आत्मविश्वास ले डूबा ,अति प्रतिभाशाली व्यक्तित्व मुखिया बनकर भी दोबारा मुखिया नहीं बन पाया,हालात तानाशाही,भाई भतीजावाद, हत्या,षड्यंत्र जैसे आरोपों के थे। रही सही कसर विद्या भैया के बगावत ने पूरी कर दी पैसा खुदा तो नहीं--------------- ------------वाला वीडियो भी कांग्रेस के पापों को धों नहीं पाया, आक्रामक नेताओं की भरमार के बीच सौम्य छवि वाले रमन सिंह के सर पर ताज सजा । ये ताज उपरोक्त आरोपों की पुष्टि करता था ,भले आरोप आरोप ही थे लेकिन छत्तीसगढ़ियों ने अपना मन और विश्वास बदल दिया।
रमन की सरकार में छत्तीसगढ़ ऐसे रमा की तीन विधानसभा चुनाव वों लगातार जीते,किसी सरकार की सत्ता वापसी उसके सुशासन की छवि का ही परिणाम होता है। मतदाता छोटी गलतियों को माफ कर देता है सरकार की छवि क्षरित होती है अनिर्णय, अदूरदर्शिता और बेलगाम अफसरशाही से। जनसेवा की जगह स्वसेवा ताबूत में आखिरी किल साबित होती है। तीसरी बार की भाजपा सरकार भी इन्हीं झंझावातों में घिरी और कमल की पंखुड़ियां झड़ गई । रमे छत्तीसगढ़ियों का मन रमन में नहीं लगा, राजनेता भूल जाते हैं कि उन्हें जननेता बनने के लिए 5 साल में परीक्षा देनी होती है। एक बार परीक्षा देकर 60 वर्षों तक नौकरी करने वाले अफसरों की निरंकुशता और संवेदनहीनता दोनों अंगीकार कर लेते हैं संगत का असर होता है। पहले दोनों मुखियाओं के छत्तीसगढ़ विकास में कितना दम था छत्तीसगढ़ियों का कितना विकास हुआ, इसका मूल्यांकन समय करता ही रहता है प्रभाव में घर में जनप्रतिनिधि भी बन गए थे, फिर से सत्ता लौटी कांग्रेस के पास शीर्षस्थ नेतृत्व को झीरम कांड में खो चुकी कांग्रेस की सत्ता वापसी 15 साल की भाजपा सरकार की आखरी 3 सालों के निर्णय, दृष्टिकोण से उपजी आलोकप्रियता और तत्कालीन कांग्रेस नेताओं की एकजुटता,धान का समर्थन मूल्य,शराबबंदी की गंगाजलीय प्रतिज्ञा, बिजली बिल हाफ का परिणाम थी ।अपार बहुमत की सरकार लोकप्रियता और छत्तीसगढ़ी अस्मिता का पर्याय थी कमजोर विपक्ष का ना ठौर था ना वापसी के कोई मुद्दे दिख रहे थे, पुरानी गलतियों से सीख नहीं ली सरकार ने खुद जाकर कुल्हाड़ी पर पैर मार दिया। दबंग नेतृत्व छत्तीसगढ़िया वाद का उफान और कार्य ने भी बेलगाम अफसरशाही के आगे दम तोड़ दिया।
घोटालों पर घोटाले अफसरों पर सरकार की हद से ज्यादा निर्भरता ने उसे लकवा ग्रस्त कर दिया । सरकार चल रही थी मुखिया सुखिया थे, छत्तीसगढ़िया सब दुखिया, दुखिया की हाय लगी सरकार चली गई । सरकार वापसी के दावे पर दावे हो रहे थे, पुराने बहुमत से ऊपर की संख्याबल बताई जा रही थी ,अतिविश्वास ले डूबा सरकार बनने लायक संख्या भी नहीं रही, छत्तीसगढ़ की राजनीति में फिर कमल का फूल खिला फिर भाजपा सत्ता में आई, विष्णु के सुशासन की बातें चली,सरकार कार्य करने लगी, अपनी छवि गढ़ने लगी है विकास के कार्य हों रहे है। छत्तीसगढ़ कि जिन सरकारों ने सत्ता में वापसी नहीं कि वों ऐसी नहीं थी कि उन्होंने काम नहीं किया पहला वर्ष उपलब्धियों भरा रहा तीसरे वर्षों के आते-आते सरकार की छवि धूमिल हो गई। सरकारे, सरकारी बाबुओं के कब्जे में चली गई जीत के जज्बे की जगह भ्रष्टाचार के जलजले ने ले ली। वर्तमान सरकार को भी 1 साल होने को है पर फिर वही गलतियां दोहराई जा रही है,मेहनत की जीत में से सिर्फ जीत याद है, मेहनत की कमी दिख रही है, आप घोटालों,भ्रष्टाचारों से ऊब चुकी छत्तीसगढ़ियों की आस है, पर हम निराश हैं । शुरुआत हो चुकी है स्वास्थ्य घोटाले के बाद राजधानी में जमीन की बंदरबांट, रामा बिल्डर्स को नियमों को ताक पर रखकर आपने जमीन दे दी क्यों? RAMA कों भी उल्टा सीधा करके छत्तीसगढ़ियों ने पढ़ लिया तो आपकी नीयत साफ हो जाएगी ।अफसरशाही बेलगाम हो रही है आप माने या ना माने,धीरे-धीरे ही सही छवि खराब हो रही है, पहला साल और ये हाल ,सांय -सांय कुछ करना होगा और सबसे पहले ------- बेलगाम होती अफसरशाही पर,कसना होगा लगाम ।
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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