जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के अध्यक्ष भागवत साहू धान उपार्जन केदो की अवस्था दुर्व्यवस्था से हुए रूबरू

जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के अध्यक्ष भागवत साहू धान उपार्जन केदो की अवस्था दुर्व्यवस्था से हुए रूबरू

राजनांदगांव : वैसे तो जिले के अधिकतर सेवा सहकारी समितियां एवं उनके उपार्जन केदो में अवस्था दुर्व्यवस्था का आलम है। जिससे किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन अंजोरा बघेरा और उपरवाह समिति के बारे में पता चला है। कि यहां इतनी ज्यादा अव्यवस्था दुर्व्यवस्था है कि यह तीनों समिति कभी भी बंद हो सकती है। जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के अध्यक्ष भागवत साहू ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि पिछले पंचवर्षीय में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नीत कांग्रेस की सरकार थी। तब जिले सहित पूरे प्रदेश में किसानों को सोसाइटी में समर्थन दर पर धान बेचते कोई तकलीफ नहीं होती थी। उस समय समय पर टोकन मिलता था। समय पर धान बिकता था। वरदानों की चुस्त दुरुस्त व्यवस्था थी। परिवहन भी बराबर हो रहा था। बफर लिमिट की समस्या परिवहन बढ़ाकर हल कर लिया जाता था। किसानों को घूम घूम कर पानी पिलाने वाले भी हुआ करते थे। अस्थाई प्रसाधनकक्षों की व्यवस्था सहकारी समितियां में हुआ करती थी लेकिन अब देखा जा रहा है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय नीत भाजपा सरकार में किसानों को सेवा सहकारी समितियां उनके उपार्जन केदो में धान बेचने के लिए काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है।

जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के अध्यक्ष भागवत साहू ने कहा कि विष्णुदेव साय सरकार किसान हितैषी नहीं है। यदि किसान हितैषी होती तो 1 नवंबर को धान खरीदी शुरू करती लेकिन दो हफ्ता लेट करके शुरू की गई। इससे किसानों को कोचिंयो के पास और मंडी तक में अवने पौने दाम में धाम बेचकर दिवाली माननी पड़ी है। मजदूरों की मजबूरी देने छोटे-मोटे दुकानों में भी उन्हे धान बेचने की मजबूरी हुई यही धान अगर सोसाइटी में बिका होता तो किसानों को बड़ा घाटा सहना नहीं पड़ता दूसरा यह है कि किसानों को टोकन लेने के लिए भटकाया जा रहा है। ऑनलाइन और ऑफलाइन का चक्कर चलाकर सर्वर डाउन की समस्या बताई जा रही है। कुल मिलाकर राज्य सरकार की मानसिकता किसानों से समर्थन दर पर धान लेने की नहीं है। बल्कि इसे वह वादा निभाने की मजबूरी समझ रही है।  श्री साहू ने कहा कि शासन के अधीन सहकारिता और विपणन संघ के माध्यम से यह व्यवस्था होती है। लेकिन देखा जाए तो दोनों में सामंजस्य का अभाव है। सोसाइटी में बारदाने की कमी है आध बारदाना किसानों से लेकर आने कहा जा रहा है। ऐसी जानकारी मिल रही है तीसरी बात यह है कि किसानों से खरीदे गए धान का जाम सोसाइटी के उपार्जन केदो में लग रहा है। जिला विपणन संघ द्वारा उचित परिवहन नहीं किए जाने से सोसाइटियों में और किसानों से धान लेने के बाद उन्हें जमा कर रखने के लिए जगह की कमी पड़ रही है। अगर परिवहन करके कस्टम मीनिंग के तहत राइस मिलर को तथा संग्रहण केदो में धान का परिवहन किया जाता तो सोसाइटी में जाम की स्थिति नहीं बनती कुल मिलाकर या सरकार किसान हितैषी कतई नहीं है। भाजपा के नेता बोलते कुछ हैं और करते कुछ हैं धान खरीदी केंद्रों में व्यवस्था सुधारने इस उद्देश्य से कांग्रेस ने बड़ी चिंता की है। निगरानी समिति का गठन किया जा रहा है। जो किसानों की समस्याओं को सुनेगी देखेगी और व्यवस्था सुधारने सरकार पर दबाव बनाएगी।






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