मजदूर का बेटा अग्निवीर बनकर लौटा घर,, ग्रामीणों ने बैंड-बाजे के साथ किया भव्य स्वागत

मजदूर का बेटा अग्निवीर बनकर लौटा घर,, ग्रामीणों ने बैंड-बाजे के साथ किया भव्य स्वागत

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिला स्थित मल्हार गांव का 21 वर्षीय देवचरण कैवर्त कभी परिवार की गरीबी के चलते पुणे में मजदूरी करता था, लेकिन मेहनत और लगन ने देवचरण की किस्मत बदल दी. भारतीय सेना में अग्निवीर के रूप में चयनित होने के बाद, छह महीने की कड़ी ट्रेनिंग पूरी कर जब वह अपने गांव लौटा, तो उसका स्वागत किसी हीरो की तरह किया गया.

बैंड-बाजे और फूल-मालाओं के साथ रैली निकाली गई. पूरा गांव खुशी में झूम उठा. देवचरण ना केवल अपने परिवार का बल्कि पूरे गांव का गौरव बन चुका है और अब वह युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है.

गरीबी में बीता बचपन, मेहनत ने बदली जिंदगी

देवचरण का बचपन गरीबी और संघर्षों में बीता है. उसके पिता रामनाथ कैवर्त और वह खुद मजदूरी करके परिवार का पेट पालते थे. परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उसे अपनी पढ़ाई छोड़कर मजदूरी के लिए पुणे जाना पड़ा. वहां मजदूरी करते हुए उसने सेना में भर्ती की जानकारी पाई. उसने ठान लिया कि अपने जीवन को बेहतर बनाएगा. बिना किसी विशेष साधन और सहारे के उसने अग्निवीर भर्ती के लिए तैयारी शुरू कर दी. उसकी मेहनत रंग लाई और वह चयनित हो गया. यह पल ना केवल उसके परिवार बल्कि पूरे गांव के लिए गर्व का क्षण रहा.

देवचरण का गांव में हुआ भव्य स्वागत

26 अप्रैल को लखनऊ में ट्रेनिंग के लिए रवाना हुए देवचरण ने छह महीने की कड़ी ट्रेनिंग पूरी की. जब वह अपने गांव लौटा, तो गांववालों ने उसका स्वागत दिल खोलकर किया. बैंड-बाजे के साथ भव्य रैली निकाली गई. हर कोई उसकी इस उपलब्धि पर खुशी से झूम रहा था. देवचरण ने अपने गांव के पातालेश्वर महादेव और मां डिडनेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद लिया और अपने परिवार से मिलकर उनका आभार व्यक्त किया.

परिवार और गांव का गौरव बना देवचरण

देवचरण के पिता राम नाथ कैवर्त ने कहा कि हम गरीब परिवार से हैं और हमारा बेटा मजदूरी करने पुणे गया था, लेकिन उसने अपनी मेहनत और आत्मविश्वास से यह मुकाम हासिल किया. आज वह सेना में है और इससे हमें बहुत गर्व है. गांव के बुजुर्ग और युवा उसकी इस सफलता से बेहद खुश हैं. गांव के ही अरविंद साहू ने कहा कि गरीब परिवार के बेटे का अग्निवीर में चयन होना पूरे गांव के लिए प्रेरणादायक है. इससे गांव के और बच्चे भी प्रेरित होंगे और अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत करेंगे.

युवाओं के लिए प्रेरणा बने देवचरण

देवचरण की यह सफलता केवल उसकी अपनी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह साबित करती है कि मेहनत और लगन से किसी भी परिस्थिति को बदला जा सकता है. उसकी कहानी अब गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है. उसकी तरह अब अन्य बच्चे भी बड़ी उम्मीदों और आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्य को पाने के लिए मेहनत कर रहे हैं. देवचरण की यह कामयाबी ना केवल उसके परिवार के लिए खुशी का पल है, बल्कि यह दिखाती है कि अगर हिम्मत और हौसला हो, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है.

 

 






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