UP से चौंका देने वाली खबर,जहां हिंदू धर्म अपना रहे मुस्लिम..

UP से चौंका देने वाली खबर,जहां हिंदू धर्म अपना रहे मुस्लिम..

उत्तर प्रदेश  : उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से एक गजब की खबर निकल कर सामने आ रही है। जौनपुर के एक गांव में कई मुस्लिमों ने न सिर्फ अपना धर्म बदला बल्कि नाम के पीछे का सरनेम भी बदल लिया है। अब इस गांव में नौशाद दुबे, अशरफ दुबे और शिराज शुक्ला देखने को मिलते हैं। इस गांव में रहने वाले सभी लोग गर्व से अपने आप को ‘मुस्लिम ब्राह्मण’ कहते हैं।

डेहरी गांव की कहानी

 एक रिपोर्ट के अनुसार यह गांव जौनपुर से 35 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसे डेहरी गांव के नाम से जाना जाता है। यूपी का यह छोटा सा गांव उस वक्त सुर्खियों में आ गया जब यहां की मुस्लिम आबादी ने हिंदू धर्म अपनाना शुरू कर दिया। कई लोगों ने गाय पालनी शुरू की। गाय की गौशाला, दूध, दही गांव के कई घरों में आम हो गई। यब सब जानने के बाद लोगों के मन में पहला सवाल यही आएगा कि डेहरी में आखिर इतने बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन क्यों हो रहा है।

क्यों बदला धर्म?

बता दें कि डेहरी के लोग इसे धर्म परिवर्तन नहीं मानते। उनका कहना है कि यह ‘घर वापसी’ है। यहां रहने वाले नौशाद अहमद दुबे ने बताया कि उनके पूर्वज ब्राह्मण थे। वो ब्राह्मण से मुसलमान बन गए थे। 7 पीढ़ी पहले उनके पूर्वज का नाम लाल बहादुर दुबे था, जिन्होंने इस्लाम धर्म अपनाया और लाल मोहम्मद शेख बन गए।

नाम बदलने की वजह

गांव वालों का कहना है कि शेख, पठान और सैय्यद जैसे सरनेम उधार के हैं। हम लोग अपने पुराने धर्म में वापस आ गए हैं। हमने अपने नाम के पीछे दुबे और शुक्ला लगाना शुरू कर दिया है। नौशाद अहमद नहीं बल्कि नौशाद दुबे सुनना ज्यादा पसंद है। नौशाद बताते हैं कि लोग अक्सर उनसे सवाल करते हैं कि आप नाम के साथ दुबे क्यों लगाते हैं। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि ‘शेख’ अरबी लोग लगाते हैं, ‘मिर्जा’ तुर्कियों का टाइटल है और मंगोल यानी मुगलों के वंशज ‘खान’ का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में हम उनका नाम क्यों अपनाएं? हम उधार की चीज नहीं लेंगे।

नाम बदलने पर जारी हुए फतवे

नौशाद का कहना है कि ईश्वर में उनकी गहरी आस्था है, फिर वो चाहे किसी भी रूप में पूजा जाए। हमारे यहां 7 गाय हैं। हम गौसेवा करते हैं। मांस की बजाए गाय का दूध पीते हैं। मांस खाना अपने आप में एक बीमारी है। हमारे खिलाफ कई फतवे भी जारी हो चुके हैं। मैं अपनी बेटियों को पढ़ने भेजता था तो मुझे इस्लाम का हवाला दिया जाता था कि इस्लाम लड़कियों को पढ़ाने की अनुमति नहीं देता। हमने धर्म बदलकर सभी को मुंहतोड़ जवाब दिया है।

 






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