समय राजा, रंक सबकी परीक्षा लेता है, समय ही निर्धारित करता है कौन सफल और कौन असफल ,समय की कसौटी पर कसा गया व्यक्ति ही व्यक्तित्व बनता है l राजनीति व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व का प्रगटीकरण है। भारतीय राजनीति में व्यक्तित्व और व्यक्तियों के बीच सत्ता की रस्साकस्सी चल रही है, व्यक्तित्व और व्यक्ति का अंतर है, पक्ष और विपक्ष। राजनीति गली मोहल्लों की क्रिकेट हो गई है, जहां साधन संपन्न अमीर व्यक्ति अपनी बैटिंग तो ले लेता है, पर दूसरे को बॉलिंग नहीं करना चाहता। कांग्रेस की नेताओं की और खास करके लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष की मनःस्थिति अमीर बच्चों वाली है, जो राजनीति भी मुखौटा लगाकर कर रहे, सेफ से अडानी निकाल रहे। सालों निरंतर बैटिंग( सत्ता )करने के बाद ,एक दशक की बॉलिंग से इतने थक गए हैं ,की तीसरी बार की एनडीए सरकार उन्हें रास नहीं आ रही है। ऐसी कोई संवैधानिक संस्था नहीं है, जिनके ऊपर उन्होंने उंगली नहीं उठाई, या आरोप नहीं लगाए, ईडी,सीबीआई से होते हुए चुनाव आयोग, ईवीएम, न्यायालय सब संदेह के दायरे में है, सबको उन्होंने आरोपित किया, ये बात अलग है कि उनके आरोप सबूतों से परे होते हैं l
अबकी बार संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति पर आरोप ही नहीं वो अविश्वास प्रस्ताव लेकर आ गए, बिना नियम कायदों के, राज्यसभा के सभापति (उपराष्ट्रपति) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 14 दिन पूर्व नोटिस देना होता है, ना उन्होंने इस नियम का पालन किया,और ना ही इस सत्र के 14 दिन बचे हैं,ऐसे में ये अविश्वास प्रस्ताव एक दिखावा है l इसकी नियति सबको पता है क्योंकि राज्यसभा में बहुमत एनडीए का है ।
ऐसे राजनीतिक अदूरदर्शिता आपको व्यक्ति तक ही सीमित कर देगी, आप लाख कोशिश कर ले आपका व्यक्तित्व के रूप में रूपांतरण असंभव है । आपके गठबंधन के सारे सहयोगी वो हैं जिनके बाप दादाओ को या उन्हें आपने प्रताड़ित किया, जो कांग्रेस विरोध से ही राजनीति में आए ,नेता बने या फिर कांग्रेस से टूटकर अपनी क्षेत्रीय पार्टियां बनाई, अपनी हस्ती बनाई। जिन्होंने अपनी राजनीतिक फसल कांग्रेस की जमीन काटकर पैदा की, वो कैसे अपनी जमीन पर आपको फसल पुनः उगाने देंगे l
उत्तर प्रदेश से आपके 6 सांसद जीत गए, इसका एनडीए (बीजेपी) से ज्यादा दुख सपा को है ,इसलिए 9 विधानसभा के उपचुनाव में आपको सपा ने एक भी सीट नहीं दी,हार से महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव)एनसीपी (शरद पवार )तिलमिलाए हुए हैं, कभी भी आपका हाथ झटक देंगे lलालू बिहार में हाथ धरने नहीं देंगे, ममता ना कभी साथ थी,ना साथ चलेंगी,द्रमुक कभी आपको अमुक से ऊपर की हैसियत देगा नहीं, झारखंड और जम्मू कश्मीर में आप पिछलग्गु की हैसियत में है, आप ने पंजाब छीना हुआ है, दिल्ली में एकला चलो की नीति पर चल रहा है, गठबंधन से साफ इंकार हो चुका हैl उत्तर पूर्व से कांग्रेस गायब ही हैं,बाकी देश में आपका अपना वजूद कितना मौजूद है पता ही होगा l
99 के फेर में अपने आप को जननायक समझ रहे, नेता प्रतिपक्ष से प्रधानमंत्री तक का सफर बहुत लंबा है, तीसरे प्रयास में आप नेता प्रतिपक्ष बन पाए, पीएम बनने के लिए पता नहीं कितने प्रयास करने होंगे l आपके सारे आस आपके गठबंधन के सहयोगी खत्म कर रहे, आपको इंडिया गठबंधन का नेता मानने से इनकार कर रहे, सत्ता की आस में बनी दोस्ती हार के 6 महीने में टूट गई, सारे दोस्त अपने-अपने रास्ते में चलने मजबूर हो गए l
अपनी ढ़फली अपना राग ,मुंडे मुंडे मतिर्भिन्ना से कैसे सत्ता मिलेगी? जब राजनीति स्वार्थ, बिना विचारधारा की हो, तो फिर सिर्फ सबको सत्ता में हिस्सेदारी चाहिए ,इस देश नें गठबंधन सरकारों का दौर भी देखा है,और उनका हश्र भीl विपक्ष में रहते आप ये जो मुर्गी लड़ाई कर रहे, उससे सत्ता सिंहासन तक पहुंच नहीं बनने वाली,ये आपको अडानी पें अड़ाएंगे, संभल पर सम्हलने नहीं देंगे,सोरस के शोर में आपको उलझाएंगे ,आप कोई निर्णय नहीं कर पाएंगे अनिर्णय आपकी शैली है, जिस पर भ्रम का तड़का है l इसकी वजह से ही आप में राजनीतिक अदूरदर्शिता है l भाजपा की योग्यता पर सवाल है ,जो कहते हैं आपकी काठ की हांडी 2024 में चढ़ गई, उनके रहते क्यों और कैसे चढ़ी? इतने अंतर्विरोधों के बाद भी गठबंधन इंडिया का बन गया,आप सांसद से नेता प्रतिपक्ष बन गए, अमेठी हार गए , रायबरेली से जीत गए, कितने मौके वक्त देगा ? यदि आप राजनीतिज्ञ समझ नहीं बना पाए ,तो फिर देश कैसे आपकी राजनीति को समझ पाएगाl पुत्र मोंह से पीड़ित सारे क्षेत्रीय छत्रप धृतराष्ट्र जैसे हैं ,राजमाता गांधारी वज्र का बनाना चाहती थी अपने पुत्र को ,उनमें सतीत्व का सामर्थ्य था ,गलती उस आत्म अभिमानी बलशाली कौरव पुत्र दुर्योधन का था ,क्योंकि उसमें समझ नहीं थी, वो नीतिहीन अदूरदर्शी था, जो कर्ण जैसे आत्मकेंद्रित ,बदले की भावना से पीड़ित व्यक्ति का मित्र था इतिहास की सीख ये है कि ----------------------------नीतिहीन अदूरदर्शी व्यक्ति को हार ही मिलती है....
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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