नई दिल्ली: राज्यसभा में नेता विपक्ष व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राज्यसभा में व्यवधान का सबसे बड़ा कारण खुद सभापति हैं, वह सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं। बुधवार खरगे ने विपक्षी दलों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अभी तक किसी राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया है क्योंकि वो राजनीति से परे रहे हैं। केवल सदन चलाना वो भी जो सदन के नियम और कानून होते हैं, उसी के तहत वो सदन चलाते रहते थे। लेकिन आज हमको ये कहना पड़ रहा है कि आज रूल्स को छोड़कर राजनीति ज्यादा हमारे सदन में हो रही है।
खरगे ने कहा कि डॉ आम्बेडकर ने ड्रॉफ्ट संविधान में ऑफिसर्स ऑफ पार्लियामेंट में पेज नंबर 31 पर साफ लिखा था, उपराष्ट्रपति काउंसिल ऑफ स्टेट के चेयरमैन होंगे। मजबूरी में अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा है। भारत के पहले उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 16 मई 1952 को सांसदों से कहा था मैं किसी भी पार्टी से नहीं और इसका मतलब है कि मैं इस सदन में हर पार्टी से जुड़ा हुआ हूं।
जगदीप घनखड़ पर निशाना साधते हुए खरगे ने कहा कि उनका आचरण उनके पद की गरिमा के विपरित रहा है, कभी वो सरकार के तारीफ में कसीदे पढ़ने लगते हैं कभी खुद को आरएसएस का एकलव्य बताने लगते हैं इस तरह की बयानबाजी उनके पद को शोभा नहीं देती है, सभापति जी सदन के अंदर प्रतिपक्ष के नेताओं को अपने विरोधियों की तरह देखते हैं, सीनियर, जूनियर कोई भी हो विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कर उन्हें अपमानित भी करते हैं।
कांग्रेस के साथ ही इंडिया गठबंधन के तमाम दलों ने अपनी बात रखी और धनखड़ पर जमकर ठीकरा फोड़ा। शिवसेना उद्धव गुट के सांसद संजय राउत ने कहा कि सभापति सदन शुरू होने के बाद 40 मिनट लेक्चर देते हैं और फिर सदन को हंगामे के लिए छोड़ देते हैं। सभापति संसद नहीं, सर्कस चला रहे हैं। आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि यह प्रस्ताव किसी व्यक्ति की गरिमा का सवाल नही है, यह लोकतंत्र व उसके मूल्यों की प्रतिस्थापना का सवाल है।
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