आज ही निपटा लें शुभ काम, कल से लग रहे हैं खरमास, जानें कब शुरू होंगे मांगलिक कार्य

आज ही निपटा लें शुभ काम, कल से लग रहे हैं खरमास, जानें कब शुरू होंगे मांगलिक कार्य

पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक खरमास के दौरान शुभ काम नहीं होते हैं. लेकिन पूजा-पाठ, दान और खरीदारी की जा सकती है. इनमें खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त भी होते हैं और हर दिन अपनी श्रद्धा के हिसाब से जरूरतमंद लोगों को दान दिया जा सकता है.

15 दिसंबर को रात 10:19 बजे सूर्य वृश्चिक से निकलकर गुरु की राशि धनु में प्रवेश करेगा. इसके बाद 14 जनवरी को मकर राशि में सूर्य के आते ही खरमास खत्म हो जाएगा. ऐसे में इस एक महीने के दौरान शुभ काम नहीं किए जा सकेंगे.

इन दिनों में मंत्र जप, दान, नदी स्नान और तीर्थ दर्शन करने की परंपरा है. इस परंपरा की वजह से खरमास के दिनों में सभी पवित्र नदियों में स्नान के लिए काफी अधिक लोग पहुंचते हैं. साथ ही पौराणिक महत्व वाले मंदिरों में भक्तों की संख्या बढ़ जाती है.

साल में दो बार आता है खरमास

एक साल में सूर्य एक-एक बार गुरु ग्रह की धनु और मीन राशि में जाता है. इस तरह साल में दो बार खरमास रहता है. सूर्य साल में दो बार बृहस्पति की राशियों में एक-एक महीने के लिए रहता है। इनमें 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक धनु और 15 मार्च से 15 अप्रैल तक मीन राशि में, इसलिए इन 2 महीनों में जब सूर्य और बृहस्पति का संयोग बनता है तो किसी भी तरह के मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं.

सूर्य से होते हैं मौसमी बदलाव

सूर्य के राशि परिवर्तन से ऋतुएं बदलती हैं. खरमास के दौरान हेमंत ऋतु रहती है. सूर्य के धनु राशि में आते ही दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगती हैं. साथ ही मौसम में भी बदलाव होने लगता है. गुरु की राशि में सूर्य के आने से मौसम में अचानक अनचाहे बदलाव भी होते हैं. इसलिए कई बार खरमास के दौरान बादल, धुंध, बारिश और बर्फबारी भी होती है.

ज्योतिष ग्रंथ में है खरमास

धनु और मीन राशि का स्वामी बृहस्पति होता है. इनमें राशियों में जब सूर्य आता है तो खरमास दोष लगता है. ज्योतिष तत्व विवेक नाम के ग्रंथ में कहा गया है कि सूर्य की राशि में गुरु हो और गुरु की राशि में सूर्य रहता हो तो उस काल को गुर्वादित्य कहा जाता है. जो कि सभी शुभ कामों के लिए वर्जित माना गया है.

खरमास में करें भागवत कथा का पाठ

  1. खरमास में श्रीराम कथा, भागवत कथा, शिव पुराण का पाठ करें.
  2. रोज अपने समय के हिसाब से ग्रंथ पाठ करें.
  3. कोशिश करें कि इस महीने में कम से कम एक ग्रंथ का पाठ पूरा हो जाए.
  4. ऐसे करने से धर्म लाभ के साथ ही सुखी जीवन जीने से सूत्र भी मिलते हैं.
  5. ग्रंथों में बताए गए सूत्रों को जीवन में उतारेंगे तो सभी दिक्कतें दूर हो सकती हैं.

खरमास में दान का महत्व

खरमास में दान करने से तीर्थ स्नान जितना पुण्य फल मिलता है. इस महीने में निष्काम भाव से ईश्वर के नजदीक आने के लिए जो व्रत किए जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है और व्रत करने वाले के सभी दोष खत्म हो जाते हैं. इस दौरान जरूरतमंद लोगों, साधुजनों और दुखियों की सेवा करने का महत्व है.

खरमास में दान के साथ ही श्राद्ध और मंत्र जाप का भी विधान है. घर के आसपास किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें. पूजन सामग्री जैसे कुमकुम, घी, तेल, अबीर, गुलाल, हार-फूल, दीपक, धूपबत्ती आदि.

खरमास में क्यों नहीं रहते हैं शुभ मुहूर्त

सूर्य एक मात्र प्रत्यक्ष देवता और पंचदेवों में से एक है। किसी भी शुभ काम की शुरुआत में गणेश जी, शिव जी, विष्णु जी, देवी दुर्गा और सूर्यदेव की पूजा की जाती है. जब सूर्य अपने गुरु की सेवा में रहते हैं तो इस ग्रह की शक्ति कम हो जाती है. साथ ही सूर्य की वजह से गुरु ग्रह का बल भी कम होता है. इन दोनों ग्रहों की कमजोर स्थिति की वजह से मांगलिक कर्म न करने की सलाह दी जाती है. विवाह के समय सूर्य और गुरु ग्रह अच्छी स्थिति में होते हैं तो विवाह सफल होने की संभावनाएं काफी अधिक रहती हैं.

करें सूर्य पूजा

खरमास में सूर्य ग्रह की पूजा रोज करनी चाहिए. सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं. जल में कुमकुम, फूल और चावल भी डाल लेना चाहिए. सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें.

मकर संक्रांति पर खत्म होगा खरमास

15 दिसंबर 2024 से शुरू हो रहा खर मास 2025 के पहले महीने में 14 जनवरी को होगा. पंचांग के मुताबिक जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में आ जाएगा तो मकर संक्रांति होगी. इसके शुरू होते ही खर मास खत्म हो जाता है. 14 जनवरी को सूर्य मकर में प्रवेश करेगा. इसके साथ ही खर मास खत्म हो जाएगा.

मान्यता : गधों ने रथ खींचा, इसलिए हुआ खरमास

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं. सूर्य देव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं है, लेकिन रथ में जुड़े घोड़े लगातार चलने से थक जाते हैं. घोड़ों की ये हालत देखकर सूर्यदेव का मन द्रवित हो गया और वे घोड़ों को तालाब के किनारे ले गए, लेकिन तभी उन्हें एहसास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा. तालाब के पास दो खर मौजूद थे.

मान्यता के मुताबिक सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने और आराम करने के लिए वहां छोड़ दिया और खर यानी गधों को रथ में जोत लिया. गधों को सूर्यदेव का रथ खींचने में जद्दोजहद करने से रथ की गति हल्की हो गई और जैसे-तैसे सूर्यदेव इस एक मास का चक्र पूरा किया.घोड़ों के विश्राम करने के बाद सूर्य का रथ फिर अपनी गति में लौट आया. इस तरह हर साल यह क्रम चलता रहता है. यही वजह है कि हर साल खरमास लगता है.






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