क्या है संगम के लेटे हनुमान की कहानी, जिसके दर्शन किए प्रधानमंत्री मोदी ने

क्या है संगम के लेटे हनुमान की कहानी, जिसके दर्शन किए प्रधानमंत्री मोदी ने

दुनिया में कुछ ही जगहें जहां हैं हनुमानजी की लेटी हुई मूर्तियां हैं, इसमें सबसे खास प्रतिमा प्रयागराज में है. प्रयागराज में संगम के किनारे हनुमानजी का लेटी हुई स्थिति में मंदिर है. ये प्रतिमा करीब 20 फीट लंबी है. जमीन से 6-7 फीट नीचे तक जाती है. अगर कोई संगम में स्ना करने आता है तो बगैर इसके दर्शन के स्नान अधूरा माना जाता है.

संगम किनारे हनुमान जी ये विशाल प्रतिमा लेटी हुई क्यों है, क्या है इसके पीछे की कहानी, इसको बताने से पहले ये भी बता देते हैं कि इटावा में कहां हनुमानजी लेटे हुए हैं. ये इटावा का पिलुआ महावीर मंदिर है. यमुना नदी का किनारा है. इस मंदिर में भी हनुमानजी की लेटी हुई प्रतिमा है. इस मूर्ति के मुखार बिंदु में कभी भी कोई वस्तु नहीं भरती. इसे चमत्कार माना जाता है.

इसी तरह मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में हनुमान जी विश्राम मुद्रा में विराजमान हैं, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है. बरेली में भी रामगंगा नदी के उद्गम स्थल पर हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा प्राचीन वट वृक्ष के नीचे स्थित है.

क्या है संगम के लेटे हनुमान की कहानी
अब आइए प्रयागराज के लेटे हुए हनुमानजी के बारे में जानते हैं. पौराणिक कथाओं के मुताबिक लंका पर जीत हासिल करने के बाद जब हनुमान जी थक गए थे तो सीताजी के कहने पर प्रयागराज में यहीं संगम किनारे आकर आराम किया. इसी वजह से वह यहां लेटे हुए हैं.

600-700 साल पुराना मंदिर
इस मंदिर को लेटे हुए हनुमान मंदिर या श्री बड़े हनुमान जी मंदिर के नाम से जाना जाता है. ये मंदिर कम से कम 600-700 साल पुराना माना जाता है. इस मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि उनके बाएं पैर के नीचे कामदा देवी और दाएं पैर के नीचे अहिरावण दबा है. हनुमान जी के दाएं हाथ में राम-लक्ष्मण और बाएं हाथ में गदा है.

कई नाम इन हनुमान जी के
यह कहा जाता है कि संत समर्थ गुरु रामदास जी ने यहां भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित की थी. कुछ कहते हैं कि ये काम एक व्यापारी ने किया. संगम नगरी में इन्‍हें बड़े हनुमानजी, किले वाले हनुमानजी, लेटे हनुमानजी और बांध वाले हनुमानजी के नाम से जाना जाता है.

एक कहानी इसकी ये भी
इस मूर्ति की एक कहानी और है. बताते है कि कन्‍नौज के राजा के कोई संतान नहीं थी. उनके गुरु ने उपाय के रूप में बताया, ‘हनुमानजी की ऐसी प्रतिका निर्माण करवाइए जो राम लक्ष्‍मण को नाग पाश से छुड़ाने के लिए पाताल में गए थे. हनुमानजी का यह विग्रह विंध्‍याचल पर्वत से बनवाकर लाया जाना चाहिए.’

कन्‍नौज के राजा ने ऐसा ही किया. वह विंध्‍याचल से हनुमानजी की प्रतिमा नाव से लेकर आए. तभी अचानक से नाव टूट गई . प्रतिमा जलमग्‍न हो गई. राजा को बहुत दुख हुआ. वह अपने राज्‍य वापस लौट गए. इस घटना के कई वर्षों बाद जब गंगा का जलस्‍तर घटा तो वहां धूनी जमाने का प्रयास कर रहे राम भक्‍त बाबा बालगिरी महाराज को यह प्रतिमा मिली. फिर उसके बाद वहां के राजा द्वारा मंदिर का निर्माण करवाया गया.

कम सोते थे 
हनुमान जी के बारे में यह कहा जाता है कि वे बहुत कम सोते थे. पौराणिक कथाएं कहती हैं कि हनुमान जी ने अपने जीवन का ज्यादातर समय भगवान राम की सेवा में बिताया. हनुमान जी की नींद को लेकर यह मान्यता है कि वे केवल तब सोते थे जब उनके पास सेवा का कोई काम नहीं होता था.

कब कब उन्हें हुई थकान
हनुमान जी के थकान महसूस करने के संदर्भ में पौराणिक कथाओं में कुछ घटनाएं बताई गईं. वैसे हनुमान जी की थकान महसूस करने की स्थितियों के बारे में बहुत कम बताया गया है. वह अद्वितीय शक्ति और ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं. फिर भी, कुछ समय ऐसे आए जब उन्होंने थकान का अनुभव किया.

सीता जी की खोज – जब हनुमान जी ने माता सीता की खोज के लिए लंका की यात्रा की, तो उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया. इस दौरान उन्हें लंबी उड़ान और लड़ाई के कारण थकान महसूस हुई.

लंका में युद्ध – लंका में रावण के साथ युद्ध के समय, हनुमान जी ने कई वानर योद्धाओं को प्रेरित किया और राक्षसों से लड़ाई की. इस संघर्ष में भी उन्हें थकान का अनुभव हुआ.

हनुमान जी की कुछ और खास मुद्राओं की मूर्तियां
उड़ते हुए हनुमान जी – ऐसी मूर्ति कई मंदिरों में है
पर्वत उठाए हुए हनुमान जी – ऐसी मूर्ति भी देश में कई जगहों पर है
पंचमुखी हनुमान जी – ये तमिलनाडु में कुम्बकोनम में है. पंचमुखी रूप में स्थापित हनुमान जी शत्रु बाधा, बीमारी और मन-मुटाव को दूर करने के लिए पूजे जाते हैं.
उलटे हनुमान जी – इंदौर में भगवान हनुमान की उल्टे मुख वाली मूर्ति स्थापित है, जो भक्तों को चिंताओं से मुक्त करती है.
सोए हुए हनुमान जी –महाराष्ट्र के खुल्दाबाद में स्थित भद्र मारुति मंदिर भारत के उन कुछ मंदिरों में से एक है जहां भगवान हनुमान की मूर्ति शयन मुद्रा में हैं. यह मंदिर औरंगाबाद शहर से लगभग 26 किलोमीटर दूर खुल्दाबाद में स्थित है. यह एलोरा गुफाओं से भी लगभग 4 किलोमीटर दूर है. किवदंती के अनुसार, राजा भद्रसेन द्वारा भगवान राम के लिए गाए गए भक्ति गी






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