संसद में असदुद्दीन ओवैसी ने मजहबी पाबंदियों पर उठाए सवाल?

संसद में असदुद्दीन ओवैसी ने मजहबी पाबंदियों पर उठाए सवाल?

असदुद्दीन ओवैसी ने मस्जिदों को लेकर चल रहे विवाद को लेकर संसद में आवाज उठाई है। ओवैसी ने देश में अल्पसंख्यकों को दबाने के आरोप लगाए। AIMIM के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में 'भारत के संविधान की 75 वर्षों' पर चर्चा के दौरान अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि संविधान में दिए गए हुकूक भारत के मुसलमानों के लिए अधूरे रह गए हैं।

असदुद्दीन ओवैसी ने मस्जिदों को लेकर चल रहे विवादों का भी जिक्र किया और कहा कि मुझसे आज ये पूछा जा रहा है कि 400 सालों पहले तुम्हारी मस्जिद थी कि नहीं। अपने बयान में ओवैसी ने कहा- 'अगर मैं इस संसद में खोद दूं, इसमें गाढ़कर दूं तो क्या सारे जहां का हिस्सा मिलेगा तो मेरा हो जाएगा।' उन्होंने कहा कि ख्वाजा अजमेर की दरगाह को लेकर कह रहे हैं वो तुम्हारी नहीं है। 500 साल पुरानी मस्जिद को लेकर कह रहे हैं कि वो तुम्हारी नहीं है।

ओवैसी ने वक्फ को लेकर भी उठाए सवाल

AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में कहा- 'अनुच्छेद 26 पढ़ें, ये धार्मिक संप्रदायों को धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संस्था स्थापित करने और बनाए रखने का अधिकार देता है। प्रधानमंत्री कहते हैं कि वक्फ का संविधान से कोई लेना-देना नहीं है। प्रधानमंत्री को कौन पढ़ा रहा है? उन्हें अनुच्छेद 26 पढ़वाएं। लक्ष्य वक्फ संपत्तियों को छीनना है। आप इसे अपनी ताकत के आधार पर छीनना चाहते हैं।'

ओवैसी ने कहा कि मैं इस बात पर प्रकाश डालना चाहूंगा कि अंबेडकर ने क्या कहा था। दुर्भाग्य से भारत में ऐसी प्रवृत्ति विकसित हो गई है कि अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यक दबा रहे हैं। 75 साल पहले अंबेडकर ने जो कहा था, वो आज भी सच है। कोई नहीं चाहता कि अल्पसंख्यक सत्ता में हिस्सेदारी करें। मौलाना आजाद ने कहा कि संविधान सभा में ये उनके लिए एक जेल की तरह था।  2007 में सच्चर समिति ने कहा था कि मुसलमानों को संसद में सीटें जीतने में सक्षम होना चाहिए।









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