संविधान के 75वीं वर्षगांठ पर लोकसभा में बहस पूरी हो गई, प्रधानमंत्री ने 11 संकल्पों के साथ हर सवाल का जवाब दिया । मनोनीत और निर्वाचित सरकारों के संविधान संरक्षण ,और गैर संवैधानिक कृत्यो का उल्लेख किया, पूरी बहस को सुन ,समझ कर ये लगा की विपक्ष (इंडिया गठबंधन) अपनी राजनीतिक अदूरदर्शित का शिकार है, कांग्रेस की संगत में उसने अपनी गत बना ली । संविधान पर बहस कर उसने अपने पुराने पापों को खोल दिया ,अपनी सारी असफलताओं का ढिंढोरा खुद पीट लिया , कमजोर तैयारी में अपने योगदान का उल्लेख करना भूल गए। संविधान छोड़ राजनीतिक मुद्दों पर बहस करने लगे , इन मुद्दों पर मुदगर चला दिया, सत्ता पक्ष के वक्ताओं के वक्तव्य विषय (संविधान) केंद्रित थे, विपक्ष ने विषय छोड़कर हर बात पर वक्तव्य दिया । संविधान के नाम पर बनी जनधारणा जिसका प्रभाव 2024 के आम चुनाव में दिखा, जिससे भाजपा सीमित हो गई, उसी संविधान मुद्दे पर विपक्ष संसद में चित्त हो गई, चित से प्रयास नहीं किया गया ,खुला मैदान छोड़ दिया, सत्ता पक्ष ने पूरे मैदान में दौड़ा दिया, इस बहस से ये बात तो साबित हो गई कि कांग्रेस के सलामी बल्लेबाज भाई और बहन ही रहेंगे, प्रतिभा कितनी हो मनीष तिवारी,शशि थरूर जैसे लोग पीछे रहेंगे। दलितों को हक दिलाने की बात करने वाली,कांग्रेस में दलित चेहरे कुमारी शैलजा, चरणजीत सिंह चन्नी को बोलने का मौका नहीं मिलेगा,यदि बात प्रतिभा की हो तो फिर शांभवी चौधरी कैसी कमतर हो गई प्रियंका से, क्यों बुद्धजीवियों (मीडिया) को उसके वक्तव्य में दम नहीं दिखा , बेदम हो गई कांग्रेस की वायनाड सांसद में भविष्य दिखा ।
नेता प्रतिपक्ष ने तपस्या की हास्यास्पद परिभाषा बताई, महाभारत काल में एकलव्य के साथ (तथाकथित) अन्याय की बात कही, पर मुस्लिम आक्रांताओं कासिम से लेकर मुगल और टीपु के दौर में मंदिर तोड़कर बनाए गए मस्जिदों के अन्याय पर कुछ नहीं बोला, कालखंड और अन्याय को लेकर, मापदंड दोहरा,ना राष्ट्रपति शासन, ना आपातकाल, ना न्यायाधीशों की नियुक्ति,ना अफसरों की दुरुउपयोगिता पर कोई बात की, नेता सदन ने तथ्यों के साथ बताया कि नेहरू, इंदिरा, राजीव सब आरक्षण विरोधी थे, देश में पिछड़ों को आरक्षण तब मिला जब कांग्रेस सत्ता से रुखसत हो गई । कांग्रेस ना संविधान रक्षक साबित हो पाई,ना आरक्षण समर्थक,इस बहस की सहमति ही थी निरर्थक। समाजवादी परिवारवादी तो है ही,बहस से नमाजवादी भी साबित हो गए,सपा की राजनीति धूरी मुस्लिम तुष्टिकरण ही है ,इसके प्रमाण कि अब कोई आवश्यकता नहीं रही, यही हाल तृणमूल का । इस देश में संविधान जलाया भी गया लोकतंत्र के नाम पर, भारत माता को डायन भी कहा गया, संविधान जलाने वाले पेरियार प्रणेता है द्रमुक के आजम खान नेता है सपा के दोनों साझीदार हैं, इंडिया गठबंधन के जिस पेरियार ने संविधान जलाया उसके आप यार हैं,कमाल है यार फिर भी आप कहते संविधान के आप यार हैं ।ओवैसी को चिंता मुसलमानों के चुनाव ना जीतने की, उन्हें भाजपा द्वारा उम्मीदवार ना बनाने की है,ओवैसी जी हैदराबाद से कोई हिंदू क्यों चुनाव नहीं जीतता,कश्मीर की सारी सीटों का समीकरण एक सा, मुस्लिम बाहुल हर संसदीय क्षेत्र का निर्वाचन एक जैसा क्यों? क्या मुस्लिम बहुल क्षेत्र में हिंदुओं की जीत असंभव है? हिंदू बहुल शहर का महापौर मुस्लिम हो सकता है, पर मुस्लिम बहुल वार्ड का पार्षद हिंदू नहीं हो सकता ऐसा क्यों? कहे तो डुमरी, मालदा, किशनगंज,बारामुला, श्रीनगर--------- -----का समीकरण आपको बता दे। मनु स्मृती की मीमांसा आपने की ,तों आपके धर्म ग्रंथो की भी समीक्षा हों जाए ,काफ़िर ,गाजी जैसे शब्दों का अर्थ सबको बताया जाय ।
शोभा यात्राओं पर चलने वाले पत्थर ,ताहिर हुसैन जैसे दंगाई को आपका टिकट देने का कारण बता दें, अंकित शर्मा गोदा जाए,पुलिस की खोपड़ी खोल दी जाए,तब भी आप मौन रहे, ऐसे सैकड़ो उदाहरण है,रजाकारों से मिली विरासत पर आप राजनीति कर रहे,15 मिनट वाले बयान पर कभी आप शर्मसार नहीं हुए, संविधान सबके लिए समान तो बताइए ,उपासना स्थल 1991 और वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 में इतना अंतर क्यों? अनुराग ने राग छेड़ी ऐसी की भाई बहन बेरागी हो गए, पूरा विपक्ष बेसुरा हो गया, रही सही कसर नेता सदन ने पूरा कर दिया, हिसाब पूरा बराबर कर दिया,धागे सारे खुल गए,किस्से जो है, हिस्से इतिहास के, वों आपके हास का कारण बन गए ,संविधान पर बहस अदूरदर्शिता थी आपकी, आप ये साबित कर गए,जोड़ी रिश्तेदारी की या सिर्फ सत्ता के चाहत की, आपके सपनों को आहत कर गए, नजारा पूरा बता रहा की, सविधान पर आपने बहस की ही नही .तपस्या बदन की गर्मी है यही बताना आपकी मंशा थी ,क्योकि आप 5-6 साल के युवा .......नही ...नही आप तो 56 साल के युवा है ।
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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