रंगे हुए सियार का रंग उतरता जरूर है,दोहरी जिंदगी में जब मार दोहरी पड़ती है ,तो देह उघड़ ही जाता है। आज बात सिर्फ सियारों की, रंग उतरने के बाद भी उनके बेरंग बेशर्मियों की ,दोहरेपन की ,आज 16 दिसंबर है, भारत अपनी सेना के शौर्य के लिए विजय दिवस मनाएगा क्योंकि आज के ही दिन 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी जनरल ए.ए.नियाज़ी ने तिरानवे हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था । विश्व के युद्ध इतिहास में इतनी बड़ी विजय और इतने सैनिकों का आत्मसमर्पण कभी नहीं हुआ ,ये विजय दिवस भारतीय सेना इसलिए मानती है क्योंकि 13 दिन के पाकिस्तान के साथ युद्ध के बाद भारतीय सेना को पाकिस्तानी सेना पर ऐतिहासिक विजय मिली ।बांग्लादेश आजाद हुआ, भारतीय सैनिकों ने मानवता के नाम पर अपने प्राण आहूत किए, हुतात्मा बने। यदि भारत ये युद्ध नहीं लड़ता तो भारत की सेहत पर कोई अंतर नहीं आता, हां धर्म के नाम पर अलग हुए पाकिस्तान के पूर्वी और पश्चिमी हिस्से एक दूसरे का सर तन से जुदा कर रहे होते, लड़ कट जाते हत्या, बलात्कार,जनमत के अपहरण के सारे कुकृत्यो को धर्म भी नहीं रोक पाता क्योंकि वों रोक भी नहीं पा रहा था ।
पाकिस्तान के दोनों हिस्से इस्लामिक राष्ट्र थे, धर्म एक ही था,मुजीबुर्रहमान और भुट्टो एक ही धर्म को मानने वाले थे, धर्म के नाम पर ही वों अलग हुए थे,फिर दोनों इतने अलग-अलग हो गए की, एक दूसरे के नागरिकों का सर अलग करने लगे ,अधिकारों का दमन ,अन्याय,धर्म एक होने के बाद भी । 16 दिसंबर को हम विजय दिवस मनाते हैं।इस विजय दिवस से भारत को क्या मिला? बांग्लादेश को आजादी मिली, हमारे सैनिक शहीद हुए, बांग्लादेश की ऐसी आजादी के लिए । कृतघ्न बांग्लादेश फिर हिंदुओं का नरसंहार कर रहा, सड़कों पर आंदोलन करने वाले छात्र मुस्लिम,शेख हसीना मोहम्मद यूनुस भी मुस्लिम, विरोध प्रदर्शन भी शेख हसीना के खिलाफ था, पढ़े-लिखे नोबेल पुरस्कार विजेता यूनुस के हाथ सत्ता है ,फिर भी वही धर्मांधता, निशाने पर बांग्ला बोलने वाले, बांग्लादेश के माटी पुत्र क्यों? सिर्फ इसलिए कि वों हिंदू है? करोड़ों बांग्लादेशी घुसपैठिए भारत में है,ये भी गैर कानूनी, नरसंहार भी गैर कानूनी, फिर इरादा क्या है,सिवाय जनसंख्या अनुपात को बिगाड़ने के, धार्मिक कट्टरता फैलाने के ना आप अपनी माटी पर शांत है, ना यहां शांत रहेंगे, भारत की पूर्ववर्ती सरकारों को ये बताना होगा कि मुक्ति वाहिनी के संघर्ष को अपना समझ ,बांग्लादेश को आजाद करवा कर भारत को क्या मिला? या फिर ये वैसी ही स्वतंत्रता है जिसमें बंटवारे का उत्तरदायित्व कोई नहीं लेता, स्वतंत्र तो भारत हुआ पर बटा भी भारत ही है, जब स्वतंत्रता संग्राम सेनानी है ,तो फिर बंटवारे के भी सेनानी होंगे?
भारत के विभाजन के लिए जो तर्क दिए गए थे ,यदि वों सही थे ,तो फिर बांग्लादेश और पाकिस्तान एक क्यों नहीं रह पाए ? बांग्लादेश और पाकिस्तान के बंटवारे की वजह यदि धर्म नहीं हो सकता, तो भी इस बंटवारे की वजह कुछ तो रही होगी? ना धर्म बांट सकता है, और ना धर्म एक रख सकता ,तो फिर ऐसी धर्मांधता विशेष, किस बात की विशेषता को इंगित करती है ? विश्व में कई देश ऐसे हैं जहां एक ही धर्म मानने वाले रहते हैं, फिर भी वहां नरसंहार आतंकी घटनाएं दशकों से हो रही हैं,आज भी होती है और न जाने कब तक होती रहेगी । क्या विश्व शांति के लिए, मानवता के लिए,इसकी वजहें नहीं ढूंढी जानी चाहिए? भाईचारे की चाहत क्या सिर्फ बताने और कहने के लिए है ,सही में इसका कोई वजूद नहीं है? और यदि है तो फिर ये आतंकी वारदातें क्यों? यदि मानव सभ्य है, सभी धर्म शांति का संदेश देते हैं, तो फिर कहां है विश्व बंधुत्व?कहां है शांति? क्या ये सभ्य मानव समाज के इतिहास को कलंकित नहीं करता? वर्तमान कलुषित है, भविष्य अंधकारमय, चांद और अंतरिक्ष तक तो मानव पहुंच गया पर अपनी पहुंच शांति तक नहीं बना पा रहा । ये धार्मिक वर्चस्वता अपने धर्म को सर्वश्रेष्ठ समझने का जुनून है,मजहबी श्रेष्ठता की जिद्द नें सहअस्तित्व और सहिष्णुता को ताक पर रख दिया, तक रहे एक दूसरे को धर्म के नाम पर, आतंक हो रहा और बाद उसके भी कह रहे कि धर्म हमें शांति का पाठ पढ़ाता है ,क्या ये रंगे सियारों का शुतुरमुर्गिया रवैया नहीं है? सार यही है कि -------------------------------ये रंगे सियारों का शुतुरमुर्गिया रवैया है।
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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